Tuesday, April 8, 2008

चतुर चालों के माहिर

त् धातु से बने चत्वरम् के हिन्दी रूप चार की महिमा नगर व्यवस्था (चौक , चौराहा) रसोई ( चौका-बासन ), भूगोल (चतुर्दिक), सुरक्षा-गुप्तचरी (चौकीदार, चौकसी) आदि कई क्षेत्रों में नज़र आती है। चार की संख्या बहुत महत्वपूर्ण है और इस अंक की खूबी यही है कि इससे बने कई शब्द संस्कृत, हिन्दी , उर्दू, फारसी में नजर आते हैं। पशुओं के लिये चौपाया और शय्या के लिए चारपाई, किसी घिरे हुए अहाते, इमारत के लिए चारदीवारी, खानेदार कपड़े के लिए चारखाना या चौखाना आदि शब्द इसे साबित भी करते हैं। चार से बनी कई कहावतें भी हिन्दी में मशहूर हैं जैसे चारोंख़ाने चित्त होना, चौकड़ी भूलना, आंखें चार होना, चार चांद लगना आदि।

खेलों की दुनिया में भी पोलो के लिए चौगान जैसा शब्द इसी की देन है। यही नही, दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में एक शतरंज में भी इसी चत् यानी चार की महिमा उजागर हो रही है। इसे चतुराई का खेल यूँ ही नहीं कहते। भारत में जन्मे और चार तरह के मोहरों से खेले जाने वाले इस खेल का नामकरण संस्कृत में हुआ और दुनियाभर में इसी के रूप चल रहे हैं। शतरंज दरअसल असल् चत् से बने चतुर् (चार) और अंग से मिलकर बना है। इसका सही रूप है चतुरंग। प्राचीनकाल में सेना के चार अंग होते थे जिसे चतुरंगिणी सेना कहा जाता था जिसके चार प्रमुख अंग होते थे-पदातिक, हस्तिसेना, अश्वसेना और रथसेना । शतरंज के खेल को भी किसी सेना की व्यूहरचना के आधार पर तैयार किया गया है। 

संस्कृत का चतुरंग ही फारसी में जाकर शत्रंज बन जाता है। इस खेल को बुद्धिमानों का खेल माना जाता है और कहा जाता है कि इसके जैसा तार्किक और बुद्धिमानीपूर्ण खेल आज तक कोई दूसरा नहीं बना। मराठी में इस खेल को बुद्धिबऴ ही कहते हैं। इसमें निहित चतुर् के दूसरे भाव यानी चतुराई , अक्लमंदी की सार्थकता भी इसमें साबित हो रही है। चतुरंग से शत्रंज होता हुआ अरबी में इसने शतरंज का रूप ले लिया । अरबी में इसकी व्याख्या शतरंज यानि सौ रंज (दुख) से भी की जाती है। अरबी से शतरंज शब्द ने स्पेनी में ajedrez रूप ग्रहण किया जहां से पुरानी फ्रैंच में esches और फिर अंग्रेजी के chess में ढल गया।

शतरंज यानी चेस की विभिन्न चालों में सबसे महत्वपूर्ण चाल होती है शह। यह राजा को दी गई चुनौती है। राजा इसे नहीं बच पाता तो उसे शह-मात कहते हैं। यह जो शह शब्द है वह भी फ़ारसी के शाह से ही आ रहा है। बादशाह पर गौर करें। शह यानी लक्ष्य, वेध, बाधा, चुनौती आदि। अंग्रेजी में शह मात का जस का तस रूपान्तर हुआ चेकमेट। शह से बरास्ता फ़ारसी ओल्ड फ्रेंच में एस्चेक शब्द बना और बाद में मात का रूपान्तर भी हो गया मेट। इस तरह फ़ारसी की टर्म शहमात ही चेकमेट के रूप में सामने आई। दिलचस्प यह भी कि चौखाना वाले अर्थ में अंग्रेजी के चेक प्रिन्ट की तुलना शतरंज की बिसात के चौखानों से आसानी से की जा सकती है। यह असल रिश्तेदारी है।
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6 कमेंट्स:

Ghost Buster said...

सबसे बुद्धिमानी का खेल क्रिकेट है. जीतने पर तो पैसा है ही, हारे तो भी कुछ कम नहीं. लीग के उद्घाटन पर स्टेज पर ठुमके लगाइए, डॉलर बरस्वाइए. भले नाचने में इतना थक जाएं की दो दिन बाद टेस्ट मैच का भट्टा बैठा दें. तेल साबुन ठंडा गरम बेचिये. बालाओं के साथ नजर आइये. बताइए, भला आपके चतुरंग में है इतनी चतुरता?

दिनेशराय द्विवेदी said...

आपने चतुर से बने सभी शब्दों का प्रयोग किया है, मगर चतुराई अब तक गायब है?

मीनाक्षी said...

रोचक जानकारी. चार की महिमा अपने अंतिम सफ़र की याद दिलाने लगी...

Dr. Chandra Kumar Jain said...

ज्ञान वर्धक,रोचक और सरस पोस्ट.
चतुरंग से शतरंज तक.....चार और
चतुर की चर्चा अच्छी रही अजित जी !

चतुर्भुज की कृपा हो तो
रिद्धि -सिद्धि और बुद्धि
की प्राप्ति होती है.

चतुर-सुजान लोग
चार फल की प्राप्ति के लिए
चौतरफ़ा भटकने के बदले
मर्यादा की चौहद्दी स्वीकार करते हैं.
वे जानते हैं कि यह संसार
चार दिन की चाँदनी है !

बहरहाल शतरंज के बहाने
सफ़र में चार चाँद लगाने का शुक्रिया.

Unknown said...

ऊंघना होना चाहिए था ग़लत छापा kshamaa

Sanjay Karere said...

ajedrez और esches .... इनका उच्‍चारण क्‍या है अजित भाई. रोचक जानकारी है...

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