| बुधवार दोपहर को एनडीटीवी के रवीशकुमार का फोन आया। बोले , अमरसिंह ने सत्यव्रत चतुर्वेदी को चिरकुट कह दिया है। बताइये कि चिरकुट पर पोस्ट लिखी है क्या ? हमने कहा अभी नहीं पर लिख देंगे। उनका काम चल जाने जैसा एक ईमेल भी कर दिया । शाम को उन्होंने कहा कि विनोद दुआ के खबरों की खबर में चिरकुट पर चंद सेकंड के लिए बोलना होगा। हम टीवी पर बोलें ऐसे ज्ञानी नहीं पर नखरा नहीं दिखाया और शक्ल दिखा आए। अब पढें चिरकुट पोस्ट । |
Friday, October 10, 2008
एनडीटीवी में चिरकुट चर्चा
चिरकुट शब्द के क्या मायने होते है ? अक्सर बोलचाल की भाषा में लोग ऐसे कई शब्द बेधड़क बोल जाते हैं जिनके अर्थ और अभिप्राय से प्रायः अनभिज्ञ रहते हैं। दरअसल ऐसे ही शब्द अपने मूल भाव की तुलना में लगातार अर्थविस्तार पाते चले जाते हैं। चिरकुट भी ऐसा ही शब्द है। आज किसी भी वस्तु से लेकर व्यक्ति तक चिरकुट हो सकता है। वार्ता से लेकर विचार तक चिरकुट हो सकता है और आस्था से लेकर संस्था तक सब चिरकुट हो सकती है।
चिरकुट शब्द चीर+कृतं से बना है। संस्कृत में चीर शब्द वस्त्र को कहते हैं। चीवर यानी प्राचीन भारत में भद्रलोक और भिक्षुकों द्वारा धारण किया जाने वाला परिधान भी था, इसी चीर से बना है। चीर शब्द बना है संस्कृत की चि धातु से जिसमें भरना, ढकना, मढ़ना आदि भाव शामिल हैं। स्पष्ट है कि कपड़े या वस्त्र जो चीर से निर्मित होते हैं शरीर पर मढे ही जाते हैं, ढकने का ही काम करते हैं। चीरकृतं का अर्थ हुआ तार-तार कर देना। जाहिर है अभिप्राय वस्त्र से ही है। पुराने - फटे कपड़ों को चिथड़े कहते हैं जो इसी चिरकुट का रिश्तेदार हुआ। इसके अलावा लत्ते, गूदड़ आदि भी इससे ही जुड़े हैं। बहुत ज्यादा इस्तेमालशुदा वस्तु या वस्त्र के लिए भी चिरकुट शब्द प्रचलित है। ऐसी वस्तु भी चिरकुट है जो आउटडेटेड हो गई हो। इस स्थिति में नेता भी चिरकुट हो सकते हैं और अभिनेता भी। बदलते वक्त में चिरकुट शब्द आज तुच्छ के अर्थ में भी लोग प्रयोग करने लगे हैं। यहां तक की वार्तालाप, वस्तु अथवा कोई भी सब स्टैंडर्ड या बिलो स्टैंडर्ड वस्तु या व्यक्ति को भी चिरकुट कह दिया जाता है। यूं शब्दकोशों के मुताबिक तो चिरकुटिया वह व्यक्ति है जो गंदे -फटे चीथड़ों में रहता हो। जाहिर है यह तस्वीर भिखारी की ही ज्यादा है। गौर करें कि समाज में जो व्यक्ति भिखारियों सी धज वाला हो और उसके चरित्र में दीनता, हीनता और याचना भी वैसी ही हो तो उसे भी चिरकुट ही कहा जाएगा।
चिरकुट के बारे में सवाल यह है कि यह महान शब्द कब और कैसे इस दुनिया में आया? इस सवाल से प्रश्नकर्ता के मन मे जो चिरकुटों के प्रति आदर का भाव है वह छलकता है। इस सवाल का आधिकारिक जबाब तो अजित भाई ही दे सकते हैं लेकिन आजकल वे पंगेबाज से उलझे हैं सो हम ही कोशिश करते हैं। चिरकुट शब्द का अस्तित्व मेरे ख्याल से तब से दुनिया में आया जब से दुनिया में पहली चिरकुटई हुई होगी। दुनिया की पहली चिरकुटई जैसा कि सब जानते हैं उस समय हुई जब हमारे बाबा आदम और दादी हव्वा को एक जरा सा सेव खाने के कारण स्वर्ग से निकाल दिया गया। आप ही बताइये कि भला सेव खा लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया। सेव खाने की चीज होती ही है। लोग तो न जाने क्या-क्या खा जाते हैं। पैसा, रुपया, ईमान-धरम, कसम,देश तक लोग खा जाते हैं लेकिन हम लोग कब्भी उनसे कुछ नहीं कहते। वहां से जरा सा सेव खाने के कारण निकाल दिया गया। खाया भी कहां था भाई चखा था केवल। इत्ते पर वहां से उनका “हेवन आउट” बोले तो “स्वर्ग निकाला” हो गया। स्वर्ग बदर होते ही आदम और हव्वा ने आपस में जरूर कहा होगा - अजीब चिरकुट है यार। एक सेब के लिये यहां से निकाल दिया। उसी समय से चिरकुट शब्द अस्तित्व में आया होगा।
संस्कृत में चीर या चीवर शब्द प्रायः साधु-सन्यासियों और भिक्षुकों के परिधान को कहते हैं। मूलतः इसे परिधान कहना भी सही नहीं होगा क्योंकि चीवर पहले वस्त्र का एक छोटा टुकड़ा होता था। अपरिग्रह और त्याग के सिद्धांतो की वजह से परिव्राजक निजी उपभोग के लिए जितना हो सके कम से कम सांसारिक वस्तुओं पर निर्भर रहने का प्रयास करते थे। इसीलिए सिले हुए वस्त्र पहनने जैसी विलासिता भी वे नहीं दिखाते थे। वस्त्र के छोटे टुकड़े को ही कंधे से उपर गर्दन की पीछे से गठान बांध कर लटका लिया जाता था जो भिक्षुकों के घुटनों तक शरीर को ढक लेता था। यही चीवर कहलाता था। किसी वस्तु के दो टुकड़े करना या दो हिस्सों में विभक्त करने को हिन्दी में चीरना कहते हैं। हिन्दी का चीर , चिरा , चीरा, चिराई आदि शब्द चीर् से ही बने हैं। गौरतलब है कि वस्त्र को चीरे बिना उससे परिधान का निर्माण करना असंभव है। इसीलिए चीर से चीरना जैसा शब्द बना। जीर्ण-शीर्ण , फटा – पुराना, थिगले-पैबंद लगा हुआ वस्त्र हिन्दी में चीथड़ा कहलाता है । ज्यादा इस्तेमालशुदा वस्त्र या पुराना वस्त्र आमतौर पर इसी गति को प्राप्त होता है। यही है चिरकुट मगर चीथड़ा भी कहलाता है। यह बना है संस्कृत के छिद्र से जिसका मतलब होता है दरार, सूराख, कटाव, दोष या त्रुटि आदि। यह बना है छिद् से जिसमें काटना, खंड-खंड करना और नष्ट करना जैसी क्रियाएं शामिल हैं। जाहिर सी बात है ये सब लक्षण जीर्ण-शीर्ण अवस्था ही जाहिर करते हैं। कपड़े के सन्दर्भ में छिद्र ने छिद्र > छिद्द > चिद्द > चीथ आदि रुप बदले होंगे।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 1:36 AM
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19 कमेंट्स:
NDTV पर तो नहीं देख पाया था कि आपने क्या कहा लेकिन रवीश जी का कॉलम पढ़ लिया जहां इस बारे में उन्होंने चर्चा की है. चिरकुटों के बारे में जानकारी देने का शुक्रिया लेकिन यह प्रकरण हमारे देश की राजनीति के स्तर में आ चुकी गिरावट का प्रतीक है. रवीश ने भी यह बात अपने कॉलम में उठाई है... जिन्होंने नहीं पढ़ी हो वे इस यूआरएल को खोल कर पढ़ सकते हैं.
http://khabar.ndtv.com/2008/10/08161949/ColumnRavish081008.html
धान के छिलके को भी चिरकुट कहते हैं, जो एक हल्की सी फूंक से उड़ जाता है
चिरकुटई भी बड़े काम की चीज है। है न!
अनूप जी ने अपने तरीके से तो मेरे सवाल का जवाब दे ही दिया था :)
और आपने अपने तरीके से इस चिरकुट को ज्ञानी बना दिया!
कोटि कोटि धन्यवाद!
दशहरे की शुभकामनायें।
आपने सही अर्थ समझाया चिरकुट का। पर दिमाग के लिए प्रयोग किया जाए तब?
एक और चिरकुट था।बहुत पहले बच्चों की किताबों में एक पात्र था जासूस चक्रम उसके कुत्ते का नाम था चिरकुट्।मगर आज-कल तो चिरकुट आम हो गया है,कोई भी किसी को हड्काने के लिये कह देता है चुप बे चिरकुट।आपका चिरकुट पुराण अच्छा लगा।
ये भी कमल है भाई !
चिथड़ा-चिथड़ा चिरकुटाई !!
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
खेद है....
कृपा कर कमल को कमाल पढ़ें.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
कल ही पिताजी के साथ शुकुल जी की चिरकुट कथा की चर्चा कर रहा था. चर्चा भी अमर सिंह जी के चलते ही शुरू हुई. आज आपकी पोस्ट पढ़कर चिरकुट शब्द के बारे में और जानकारी मिली.
वैसे अमर सिंह के द्बारा व्याख्या किया जाना अभी बाकी है.
मैंने पहले ही बोल दिया है की अजित जी हिन्दी के महा ज्ञाता है.
@बेनामी बंधु-
आपका बहुत बहुत शुक्रिया बेनामी मित्र इस बहुमूल्य जानकारी का। ये और बताएं कि किस क्षेत्र में यह शब्द प्रचलित है...अर्थात किस बोली में व्यवह्रत है। यूं आपका नाम अगर बताते तो इस सवाल को पूछने की ज़रूरत नहीं रहती । हम यूं ही समझ जाते :)
सब आपकी माया है .....
अजित भाई,
एक अनुरोध मेरा नोट करें. बेनामी शब्द के उद्भव और विकास पर एक पोस्ट लिखें.
कपड़े के टुकड़े के लिए शायद 'चिरकुट' के अलावा कोई दूसरा शब्द नहीं है। इस अर्थ में हम बचपन से ही इस शब्द का इस्तेमाल करते आए हैं। बाद में कई अन्य अर्थों में भी इसके इस्तेमाल की जानकारी मिलती गयी। इस शब्द के बारे में आज इतना कुछ जानना वाकई बहुत अच्छा लग रहा है। अजित जी इसके लिए आपको धन्यवाद।
rochak jaankari
चिरकुटत्व गाथा भी खूब रही !
आज तो हमने चिरकुट शब्द की पूरी व्याख्या विस्तार से जान ली..बहुत बहुत शुक्रिया...एक और बात के लिए शुक्रिया.. रेगिस्तान के खालीपन में शब्दों के सफ़र पर चलना अच्छा लगा..
यह चिरकुट चर्चा बढ़िया रही.
घुघूती बासूती
what do mean by Chirkut
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