पुर्तगाली मे आर्माजेम का एक और रूप हुआ आर्मोरियो जिसका अर्थ हुआ कैबिनेट, स्टोर या ऐसे शैल्फ जहां वस्तुओ को करीने से रखा जा सके। ज्यादातर लोगों को यह जानकर ताज्जुब हो सकता है कि हिन्दी के सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाले शब्दों में एक आलमारी भी इसी आर्मोरियो से बना है जिसकी ख़ज़ाने से गहरी रिश्तेदारी है। पुर्तगाली जब भारत आए तो उनके साथ यह शब्द बांग्ला में भी दाखिल हुआ आलमारी बन कर। बांग्ला की आलमारी आज ज्यादातर भारतीय भाषाओं की भी शोभा बढ़ा रही है। यही शब्द अंग्रेजी में भी अल्मीरा बन कर दाखिल हुआ। हालांकि अंग्रेजी का अलमीरा हिन्दी के आलमारी के नज़दीक है। मगर हिन्दी आलमारी दरअसल बांग्ला की ही देन है और बांग्ला को यह पुर्तगालियों से मिला। दरअसल बंगाल में अंग्रेजों से भी पहले पुर्तगाली पहुंचे थे जहां उन्होने अपनी कोठियां स्थापित की थी।
Saturday, October 18, 2008
आलमारी में ख़ज़ाने की तलाश[जेब-5]
ख़ज़ाना अरबी भाषा का शब्द है जिसमें किसी बेशकीमती वस्तुओं के भंडार वाला भाव न होकर मूलतः सामान्य भंडार, आगार या डिपो का भाव है।
ख़ज़ाना एक ऐसा शब्द है जो हमेशा आम आदमी को लुभाता है। बात सिर्फ शब्द की हो रही है वर्ना बहुत कम लोग हैं जिनके नसीब में ख़ज़ाना होता है। ख़ज़ाना दरअसल क्या है ? बोलचाल मे आज उर्दू, फ़ारसी, अरबी, मिस्री , तुर्की, अज़रबैजानी आदि भाषाओं में यह शब्द इस्तेमाल होता है और अभिप्राय धन-संपत्ति के ऐसे कोष से होता है जो बहुत सुरक्षित और संरक्षित है।
मुहावरे के तौर पर भी ख़ज़ाना शब्द का इस्तेमाल होता है जिसमें कोष, ज़खीरा, भंडार का अभिप्राय होता है। मसलन किताबों का ख़ज़ाना, ज़ायके का ख़ज़ाना, खूबसूरती का ख़ज़ाना, संगीत का ख़ज़ाना आदि। ख़ज़ाना सचमुच मिले तो हम खुद को ख़ुशनसीब समझेंगे मगर अकेले इस लफ़्ज में नायाब शब्दों के कुछ ऐसे मोती निकले हैं जिन्होने इंडो-यूरोपीय और सेमेटिक परिवार की कई भाषाओं को समृद्ध किया है बल्कि बोलचाल की ज़बान को रवानी भी दी है। हिन्दी – उर्दू भी उनमें से एक हैं।
ख़ज़ाना अरबी भाषा का शब्द है जिसमें किसी बेशकीमती वस्तुओं के भंडार वाला भाव न होकर मूलतः सामान्य भंडार, आगार या डिपो का भाव है। यह बना है सेमेटिक धातु ख़ज्न से जिसमें भंडारण या स्टोर का भाव है। अरबी भाषा का एक उपसर्ग है म या मा जिसमें सामूहिकता ,वृद्धि या समग्रता का भाव है। जब यह किसी शब्द से पहले लगता है तो ज्यादातर उस शब्द का बहुवचन हो जाता है। खज़्न से बने ख़ज़ाना में जब यह उपसर्ग लगा तो नए शब्द भी बने। एक शब्द बना खाज़िनून अर्थात स्टोर कीपर, कोषाधिपति या कोषाध्यक्ष। वैसे फारसी उर्दू और हिन्दी में इस अर्थ में खज़ानची या खजांची शब्द ज्यादा प्रचलित है। अरबी के खाज़िनून में यह परिवर्तन फारसी प्रभाव में हुआ। ची एक महत्वपूर्ण प्रत्यय है जो तुर्की और फ़ारसी शब्दों के पीछे वाला के अर्थ में लगाया जाता है। इसी तरह बना माख़्ज़ुनून अर्थात जिसका भंडारण किया गया हो और माख़ज़ानुन यानी ख़ज़ाना का बहुवचन। भंडारगृह अथवा कोषागार के अर्थ में। अरब सौदागरों के साथ माख़ज़ानुन अलग अलग रूपों में यूरोपीय ज़बानों में दाखिल हुआ । मिसाल के लिए फ्रैंच भाषा में यह मैग़सीन हुआ तो दक्षिण पश्चिमी यूरोप की इतालवी में हुआ मैग़ेज़िनो ।
पुर्तगाली मे आर्माजेम का एक और रूप हुआ आर्मोरियो जिसका अर्थ हुआ कैबिनेट, स्टोर या ऐसे शैल्फ जहां वस्तुओ को करीने से रखा जा सके। ज्यादातर लोगों को यह जानकर ताज्जुब हो सकता है कि हिन्दी के सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाले शब्दों में एक आलमारी भी इसी आर्मोरियो से बना है जिसकी ख़ज़ाने से गहरी रिश्तेदारी है। पुर्तगाली जब भारत आए तो उनके साथ यह शब्द बांग्ला में भी दाखिल हुआ आलमारी बन कर। बांग्ला की आलमारी आज ज्यादातर भारतीय भाषाओं की भी शोभा बढ़ा रही है। यही शब्द अंग्रेजी में भी अल्मीरा बन कर दाखिल हुआ। हालांकि अंग्रेजी का अलमीरा हिन्दी के आलमारी के नज़दीक है। मगर हिन्दी आलमारी दरअसल बांग्ला की ही देन है और बांग्ला को यह पुर्तगालियों से मिला। दरअसल बंगाल में अंग्रेजों से भी पहले पुर्तगाली पहुंचे थे जहां उन्होने अपनी कोठियां स्थापित की थी।
पूरी दुनिया में पत्र-पत्रकाओं के लिए भी मैग़ज़ीन शब्द प्रचलित है। बल्कि इसी अर्थ में आम आदमी इसे रोज़ इस्तेमाल करता है। दरअसल इस रूप में मैग़ज़ीन का इस्तेमाल बीती दो सदियों से शुरू हुआ है । सन 1731 मे लंदन के एडवर्ड केव ने एक मासिक पत्र शुरू किया जिसमें बाज़ार भाव से लेकर कविताई तक सब कुछ था। आज से करीब तीन सदी पहले इस किस्म के पत्रकारिताकर्म की कल्पना करना भी मुश्किल है। डाइजेस्ट के अंदाज़ मे शुरू हुए इस नियतकालीन पत्र का नाम रखा गया द जैंटलमेंस मैग़ज़ीन। चूंकि इसमें हर रंग, हर मसाला भरने का प्रयास किया गया था इसीलिए इसे भंडार या स्टोर हाऊस की तर्ज पर मैग़ज़ीन नाम दिया गया ।
स्पैनिश में इसका रूप हुआ अल्मासेन और पुर्तगाली में बना आर्माज़ेम। पुर्तगाली और स्पैनी रूपांतरों में अरबी के अल शब्द का प्रयोग साफ़ नज़र आ रहा है। इन तमाम शब्दों का अर्थ वही रहा भंडार, गोदाम या कैबिनेट। स्पेन के पड़ौसी देश मोरक्को में जहां की भाषा भी मोरक्कन अरबी है वहां इसका रूप होता है मख़्जेन जिसका मतलब होता है सरकार चलानेवाला कुलीन मंडल। इसे ही अंग्रेजी में कैबिनेट भी कहते हैं यानी चाहे मैग़जीन कहें या कैबिनेट या ख़जाना भाव तो समुच्चय का ही है। अंग्रेजी भाषा में भी मैग़जीन शब्द की व्याप्ति हुई। इन सभी भाषाओं में मूलतः भाव वहीं था संग्रह या भंडारगृह का। पंद्रहवीं सदी में मैग़ज़ीन एक ऐसे आरक्षित, घिरे हुए स्थान को कहा जाने लगा जहां राज्य की सेना के काम आनेवाले हथियार रखे जाते थे। आज भी मैग़ज़ीन शस्त्रागार को ही कहते हैं। इसके अलावा बंदूक या पिस्तौल के उस चैम्बर को भी मैग़ज़ीन कहा जाता है जिसमें कारतूस भरे जाते हैं। चंद्रकांतासंतति में देवकीनंदन खत्री ने भी गोलाबारूद के भंडार के लिए कई जगह मैगजीन शब्द का ही प्रयोग किया है। पुर्तगाली मे आर्माजेम का एक और रूप हुआ आर्मोरियो जिसका अर्थ हुआ कैबिनेट, स्टोर या ऐसे शैल्फ जहां वस्तुओ को करीने से रखा जा सके। ज्यादातर लोगों को यह जानकर ताज्जुब हो सकता है कि हिन्दी के सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाले शब्दों में एक आलमारी भी इसी आर्मोरियो से बना है जिसकी ख़ज़ाने से गहरी रिश्तेदारी है। पुर्तगाली जब भारत आए तो उनके साथ यह शब्द बांग्ला में भी दाखिल हुआ आलमारी बन कर। बांग्ला की आलमारी आज ज्यादातर भारतीय भाषाओं की भी शोभा बढ़ा रही है। यही शब्द अंग्रेजी में भी अल्मीरा बन कर दाखिल हुआ। हालांकि अंग्रेजी का अलमीरा हिन्दी के आलमारी के नज़दीक है। मगर हिन्दी आलमारी दरअसल बांग्ला की ही देन है और बांग्ला को यह पुर्तगालियों से मिला। दरअसल बंगाल में अंग्रेजों से भी पहले पुर्तगाली पहुंचे थे जहां उन्होने अपनी कोठियां स्थापित की थी।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:49 AM
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15 कमेंट्स:
व जो कारतूस रखने के काम आता है उसे भी तो शायद मैगजीन ही कहते हैं...काफी बेहतरीन रोचक जानकारी मिली.
वाह, अलमारी पोर्चुगीज लाये भर ले जाने को। पर हमने वह अंग्रेजों को दे दी! यह शब्दों का सफर सम्पदा के प्लण्डर से मैच कर गया!
ये भी खूब रहा
खजाना तो अलमारी में ही रहेगा !!:-)
शब्द संपदा होते हैं पर लोग इन्हें उदारता से दूसरों को सोंप देते हैं, और दूसरे उसी उदारता से इन्हें ग्रहण भी कर लेते हैं।
इस खज़ाने के लिए भी शुक्रिया.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
वाह दादा मेग्जिन शब्द का उद्भव जानकर बडा अच्छा लगा .धन्यवाद
शुक्रिया भाई ...
शब्दों का खजाना
या शब्दों की आलमारी
अच्छी तस्वीर है उतारी
जीन जो होते हैं
इंसान में
उन्हें आपने ढूंढ निकाला
पत्रिकाओं में भी
और कारतूस के बक्से में भी
आपकी नजर नायाब है
आप तो जनाब आप हैं
और मैगजीन को कहें
कारतूस की आलमारी
या कारतूस का खजाना
खजाना तो दिया आपने बतला
पर खज का आना भी दें बतला
या खज होता है क्या
इसी से खुज या
बना होगा खुजलाना
शब्दों का सफर
एक तरह की दिमागी
खुजलाहट ही है
जो सबके मन की आहट
सरसराहट की बानगी
सबके दिमाग को
खुजला देती है।
अब कहां ढूंढें हम
खुजलाहट का खजाना।
शब्दों के सफर पर बने रहेंगे
रोज रहेगा आना जाना फिर आना।
"great, intresting to read"
Regards
@उड़नतश्तरी,
समीर भाई , शुक्रिया...बंदूक-पिस्तौल वाला मैग़ज़ीन भी इस आलेख का हिस्सा था मगर पोस्टिंग में रह गया। अब फिर जोड़ दिया है । याद दिलाने का शुक्रिया .....
खजाना आलमारी में रखा जाता है, और संतों को खजाने से क्या काम ! वैसे ही जैसे यहाँ शब्दों का खजाना ब्लॉग पर ही बिखर रहा है :-)
अजित जी, यहाँ की जानकारी तो हमारे शब्दकोष के लिए वैसे भी ख़जाना है किंतु मुझे अधिक दिलचस्प लगी केबिनेट , मैगजीन और अर्मोरियो शबदों की अर्थ उत्पत्ति. अनवरत रहें. धन्यवाद.
दरअसल सारे आर्म्स और अमुनेशन जहाँ रखे जाते हैं, वह सुरक्षित शस्त्रागार 'मैगजीन' ही कहलाता है और इसी के सुरक्षित रखवाली से जुड़ा हुआ है "आर्मोरियो" नामक और स्थान और रखवाला "आरमोरर" .
बेहद रोचक जानकारी
किताब किस भाषा का शबद हे??
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