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पाकशाला गीत मैं जीरे की छौंक / और हूं लहसुन की चटनी / मक्का बाजरा की रोटी मैं / सौंधी गंध सनी. यह गीत मेरे गुरुवर प्रसिद्ध कवि प्रो.प्रेमशंकर रघुवंशी ने लिखा है। पूरा देखें यहां
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पाकशाला गीत मैं जीरे की छौंक / और हूं लहसुन की चटनी / मक्का बाजरा की रोटी मैं / सौंधी गंध सनी. यह गीत मेरे गुरुवर प्रसिद्ध कवि प्रो.प्रेमशंकर रघुवंशी ने लिखा है। पूरा देखें यहां
प्रस्तुतकर्ता
अजित वडनेरकर
पर
2:41 AM
लेबल:
food drink
16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
12 कमेंट्स:
जीरा के बारे मे सबकुछ पढ़ा . कई भाषाओँ मे जीरा ज से ही शुरू होता है रोचक तथ्य है
ऊंट के मुह में नजर भी न आने वाला जीरा इतना बडा है-यह तो आपकी इस पोस्ट से ही मालूम हो पाया।
बीज में व़क्ष कैसे छुपा होता है, ऐसी पोस्टों से ही पता चलता है।
बहुत पढ़ लिया, अब जाकर थोडा जलजीरा पीया जाए.
सौंधी गंध भरी पोस्ट
आभार अजित जी.
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चन्द्रकुमार
बहुत बढिया जी. वैसे जलजीरे का सीजन ( गर्मी ) आ ही गया है.
रामराम.
जीरे के गुणो के बारे मे आज पता चला वर्ना आज तक़ इस विषय मे सोचा भी नही था।खूब मेहनत का काम कर रहे है आप।
ओह जलजीरे के बारे में इतना तो मैं नही जानता था..
जीरे के विभिन्न नाम और प्रकार भी पता चले ।
एक स्पेनिश सहयोगी रही कुछ दिनों तक एक लैब में. लंच में कभी-कभी उनके यहाँ भी खाना होता. उनके उच्चारण बड़े भले लगते. स्पैनिश के मुंह से निकली अंग्रेजी... बड़ी मधुर लगती है. कोई जवाब नहीं ! एक ही मसाला उन्हें पसंद था और 'कॉमिनो' शब्द उन्हीं के मुंह से सुना था. काला मोटा जीरा (उतना स्वादिष्ट नहीं होता जीतना छोटे वाले होते हैं) खूब मिलता खाने में... थोड़ा कड़वा सा लगता और मैं मन में कहता 'आज बहुत कमीने खाए :-)'
आप तो हर पोस्ट में हरिद्वार की याद दिला रहे हो.गंगा के किनारे जलजीरा वाला बैठा करता था जिसका जलजीरा बहुत स्वादिष्ट हुआ करता था.
जीरे की इतनी लंबी गहानी है । कद छोटा पर कीर्ती महान वाली बात हो गई ।
आपने 'जरा' का मतलब 'अवस्था' कहा है, क्या बुढ़ापा ठीक नहीं रहेगा ? गुरु नानक ने कहा है, 'जरा मरण गतु गरबु निवारे' अर्थात बुढ़ापे, मौत और अहंकार दूर कर देता है . अंग्रेजी शब्द जेरिएत्रिक्स
इससे सम्ब्दत शब्द है.
अजीब बात है कि क्षरण, घटना वाले भाव देता 'जृ' बुढ़ापे की ओर ले जाता है जब कि ऐसे ही भाव देता 'क्षुद्' धातु छोटू की ओर ले जाता है.
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