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जलसा का अर्थ हुआ महफिल, सत्र, सभा, आयोजन, संगठन, उत्सव आदि। इसमें म उपसर्ग लगने से बना मजलिस जिसका अर्थ होता है परिषद, सभा, गोष्ठी, संघ, समिति, कमेटी आदि।
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प्रस्तुतकर्ता
अजित वडनेरकर
पर
3:17 AM
लेबल:
government
16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
13 कमेंट्स:
पंडित बनने के लिए शब्दों के सफर के साथ सफर जरूरी है।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय पर चढ़ता भगवा रंग
यह जरूर देखिएगा..
http://bolhalla.blogspot.com/
आप तो रोज़ रोज़ शब्दों की उत्पति के मूल तक ले जाते हो . हम कहाँ से रोज़ रोज़ तारीफ़ के लिए शब्द लाये .
ठीक कहा. इसीलिए आजकल कृत्य का मतलब दुष्कृत्य ही हो गया है.
केवल 'कोर्ट' ही नहीं, न्यायिक सन्दर्भ से जुडे अधिकांश (लगभग 90 प्रतिशत से अधिक)अंग्रेजी शब्द फ्रेंच भाषा से ही आए हैं।
इस समबन्ध में, 13 सितम्बर 2007 वाली मेरी 'पोस्ट इंगलैण्ड में असभ्यों की भाषा थी - अंग्रेजी' अवश्य देखें।
मुझे पर्मालिंक देना नहीं आता। सो असुविधा के लिए क्षमा कीजिएगा।
धीरू भाई से सहमत हूं,हमारे पास शब्दो का स्टाक नही है भाऊ।
अजित जी,
ये सफ़र तो एक जलसे की
मानिंद ही है हमारे लिए !
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
@धीरूसिंह/अनिल पुसदकर
हा हा हा
कई लोगों नें इसीलिए टिप्पणियां करनी बंद कर दी हैं।
आप भी जब इस भावभूमि पर पहुंचें तो
ऐसा ही करें।
हम तो सिर्फ धीरू सिंह का धैर्य देख रहे हैं....
@विष्णु बैरागी
शुक्रिया भैया। यह लेख मेरा पढा हुआ है। बरसों पहले मैने भी इसे पढ कर सहेज लिया था,शायद अब भी रखा है। दूसरा संपादकीय आलेख था। आपने याद दिलाया तो अब पुराने काग़जात टटोलता हूं।
साभार
अजित
बहुत बढिया जी.
रामराम.
बहुत अच्छी जानकारी, ऐसे ही सबका ज्ञानवर्धन करते रहें, धन्यवाद!
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चाँद, बादल और शाम
बहुत सही कहा आपने.......जहाँ कृत्य का परीक्षण हो,लेखा जोखा हो,वह कचहरी है.अतिसुन्दर सारगर्भित विवेचना.
न्याय की देवी के आंखों पर पत्ती मुझे लगता है अग्रेजों की देन है,जिस परम्परा को हम आज भी बिना सोचे ढोए जा रहे हैं.
"जुलूस" ~~ शब्द को
वाक्य मेँ
ऐसे भी प्रयुक्त होते सुना है
"अरे तुमने तो मेरा जुलूस निकाल दिया !"
( कबाडा कर दिया :)
" शब्दोँ का सफर "
~~
ज़िँदाबाद !
स स्नेह,
- लावण्या
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