Sunday, June 28, 2009

लंबा क़द और लंबी ज़ुबान

हि न्दी में दीर्घ deergh का अर्थ होता है लंबा, दूर तक पहुंचनेवाला, ऊंचा, उन्नत आदि। इस तरह देखें तो दीर्घकाय का अर्थ हुआ लंबा व्यक्ति मगर दीर्घकाय शब्द का अभिप्राय आमतौर पर विशालकाय के अर्थ में ही लगाया जाता है। दरअसल जब किसी आकार के साथ दीर्घ शब्द का विशेषण की तरह प्रयोग होता है तब  लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के आयाम भी उसमें जड़ जाते हैं, इस तरह दीर्घाकार, दीर्घकाय जैसे शब्दों में बड़ा अथवा विशाल का भाव आ जाता है। बुद्धिमान व्यक्ति को दूरदर्शी कहा जाता है। संस्कृत में इसके लिए दीर्घदर्शी शब्द भी है यानी दूर तक देखनेवाला। लंबी आयु के लिए दीर्घजीवी शब्द प्रचलित है।
"दराज़ शब्द के वही मायने हैं जो हिन्दी के दीर्घ शब्द के हैं।" 17213
भाषाविज्ञानियों नें संस्कृत के दीर्घ शब्द की रिश्तेदारी प्रोटो इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की धातु dlonghos में खोजी है। अंग्रेजी का लाँग long शब्द भी इससे ही बना है जिसका अर्थ भी लंबा या दीर्घ ही होता है। गौरतलब है कि संस्कृत दीर्घ शब्द ने ही बरास्ता अवेस्ता, ईरानी परिवार की भाषाओं में जाकर दराग, दिरंग होते हुए फारसी के दराज़ शब्द का रूप लिया। फारसी के दराज़ का अर्थ होता है लंबा। गौरतलब है कि भारोपीय भाषाओं मे र-ल और क-ग-घ जैसे वर्णों में आपस में तब्दीली होती है। फारसी का दराज़ शब्द उम्रदराज़ के रूप में हिन्दी में भी इस्तेमाल होता है जिसका अर्थ होता है लंबी आयु वाला अर्थात बूढ़ा, वृद्ध, बुजुर्ग। गौरतलब है कि फारसी के बुजुर्ग शब्द की भी संस्कृत-हिन्दी के वज्र से रिश्तेदारी है जिसका मतलब होता है महान, कठोर, वरिष्ठ आदि। बुजुर्ग में भी मूलतः आदरणीय, महान, प्रभुतासम्पन्न जैसे भाव ही हैं। मगर कालांतर में इसके साथ वरिष्ठता के विभिन्न भाव जुडते चले गए जिनका अर्थ विस्तार रसूख, प्रभाव में हुआ और बाद में आयु के उत्कर्ष के तौर पर ये सब बुजुर्ग में सिमट गए। वाचालता अथवा अशिष्ट सम्भाषण के लिए ज़ुबानदराज़ी शब्द भी हिन्दी में इस्तेमाल होता है जिसका अर्थ है ज्यादा बोलना। जुंबानदराज़ी करना मुहावरा मूलतः फ़ारसी से ही हिन्दी में आया है जिसका मूल रूप है ज़ुबानदराज़ करदन यानी बढ़-चढ़ कर बोलना।
राज शब्द का एक अन्य अर्थ में भी हिन्दी में प्रयोग होता है जिसका मतलब होता है टेबल, मेज या आलमारी में बना हुआ काग़ज-पत्र या अन्य छोटी सामग्री रखने का खाना या खण्ड जिसे खींच कर बाहर निकाला जा सके। संभवतः इस दराज़ से इसका कोई रिश्ता नहीं है। मुहम्मद मुस्तफा खां मद्दाह के कोश के मुताबिक मूलतः यह अरबी के दरजः (दर्जः) से बना है। यह उर्दू में दर्जः हो गया और इसका हिन्दी उच्चारण दराज की तरह होने लगा। दर्जः का मतलब है वर्ग, खण्ड, ओहदा, श्रेणी आदि। गौरतलब है कि उत्तर भारत में आज भी कक्षा के लिए भी दर्जा शब्द का ही इस्तेमाल होता है। रेलवे की आरक्षण शब्दावली में श्रेणी शब्द चाहे लिखा जाता है, पर इस्तेमाल मे दर्जा शब्द ही आता है। दर्जा का मतलब इमारत की मंजिल या माला भी होता है। अवस्था के लिए भी दर्जा शब्द का प्रयोग होता है।

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

21 कमेंट्स:

शरद कोकास said...

फारसी से हमारी दूरदराज़ की रिश्तेदारी है..

शरद कोकास said...

शंका के साथ दीर्घ लगना कबसे शुरू हुआ और इस कार्य विशेष के लिये इसका प्रयोग कबसे शुरू हुआ कृपया मेरी यह छोटी सी शंका दूर करें.

Himanshu Pandey said...

जुबानदराजी मतलब ज्यादा बोलना - हम समझ गये । आभार ।

विवेक सिंह said...

सही है !

Pramendra Pratap Singh said...

जानकारी भरी पोस्‍ट बहुत पहले गाँव व बुर्जुग जो पूछते थे बेटवा कौने दर्जा में हौ ?

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

दराज के राज खोलने के लिए धन्यवाद। मेरा एक बॉस ऐसा था कि एक बार अनजाने ही बस दराज खींच देने पर ही बुरी तरह से झाड़ दिया था। :)


हाँ, अब ग़लती से भी 'वज्र बुजुर्ग' टाइप के प्रयोग नहीं करूँगा। भोजपूरी में एक प्रयोग है 'बजर ढीठ'। ढीठ व्यक्ति को बजर का टोप पहना कर और खतरनाक बना दिया जाता है. . .

दिनेशराय द्विवेदी said...

ये दराजें बहुत परेशान करती हैं। वे मेज की हों, अलमारी की या उम्र की। कहीं का सामान कहीं घुस लेता है और फिर उन्हें तलाश करते रहें।
अच्छा आलेख।

Unknown said...

sada kli bhanti shaandaar.......

अनिल कान्त said...

जानकारी से भरी पोस्ट है ये

Anil Pusadkar said...

वाह!आपकी पोस्ट तो हमेशा अव्व्ल दर्ज़े की रहती है।भाऊ निकल रहा हूं थोड़ी देर मे लांग ड्राईव पर बरसात का मज़ा लेने।भांजा गर्मियों की छुट्टियों मे आया हुया था उसे छोड़ भी आऊंगा और मामा के घर भी हो आऊंगा।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

दराज का राज़ खोलने का शुक्रिया।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

दराज तो मेज़ में लगी बकसिया को भी कहते है. क्यों -पता नहीं .
लेकिन आप जैसे दीर्घदर्शी का साथ कुछ तो बदलेगा हमको भी

MAYUR said...

नमस्कार सर,
एक सवाल आया है के हम कई बार एक जैसे शब्दों को जोड़कर क्यों लिखे हैं .
जैसे दूर-दराज एक उद्धरण है ,
धन्यवाद,
मयूर

Gyan Dutt Pandey said...

वाह! दीर्घ से दर्जी तक सटासट चले आये हम यह पोस्ट पढ़ कर!

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया ....

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही है ,अच्छी पोस्ट .

Abhishek Ojha said...

वाह ! छोटा सा दराज-ए-सफ़र पसंद आया.

Mansoor ali Hashmi said...

तेरी जुल्फे दराज़ याद आई,
बढ़ गयी और शामे तन्हाई.

ये मशहूर शेर याद आ गया आपकी पोस्ट पर. इसी ग़ज़ल का ये शेर भी लिखने को मन कर रहा है:-
क्यों मुझे बज्म से उठाते हो,
है तुम्हारी भी इसमें रुसवाई.

रंजना said...

ज्ञानवर्धक यात्रा पड़ाव....
दराज शब्द का प्रयोग
हम भी इसी खंड रूप में किया करते हैं....शब्द विवेचना बड़ी ही अच्छी लगी.आभार

Baljit Basi said...

मेज वाले दराज को आपने अरबी के दरजः (दर्जः) से बना बतलाया है, लेकिन मैं तो इसको अंग्रेजी के 'चेस्ट ऑफ़ डरार्ज' का बिगड़ा रूप समझता हूँ . प्लेट्स भी ऐसा ही कहता है :

H دراز darāz (corr. fr. the English), s.f. Drawers (of a chest, &c.).

शंका दूर करें .

अजित वडनेरकर said...

@बलजीत बासी
शुक्रिया बलजीत भाई,
मैने कई संदर्भों को टटोलने के बाद ही ऐसा लिखा है जिसमें प्लैट्स महोदय भी हैं। कुछ अन्य कोश भी इसकी व्युत्पत्ति ड्राअर से बताते हैं। समयाभाव के चलते कई बार मैं संदर्भों का उल्लेख नहीं कर पाता हूं। पुरानी कई पोस्टों में ऐसा हुआ है और अभी भी होता है। इनका संदर्भ रह गया लगता है। अग्रेजी के ड्राअर से दराज शब्द का बनना तार्किक तो लगता है, पर खण्ड या खाना के अर्थ में फारसी में दरजः शब्द पहले से मौजूद है। ये ठीक है कि आगे खींच कर बाहर निकालने के लिए अंग्रेजी के ड्राअर शब्द से इसकी समानता कई लोगों को नजर आती है। पर मूलतः यह है तो खण्ड या आला ही। और मेज, आलमारी में भी इसकी कई मंजिलें यानी दरजे होते हैं। यह मान लेना कुछ मुश्किल लगता है कि यूरोपीयों के आने से पहले अरब, फारस या भारत के लोग टेबल या मेजनुमा किसी देशी व्यवस्था के बिना गुजारा करते थे। खास कर तब, जब प्रायः सभी सभ्यताओं-समाजों में काष्ठकला सर्वाधिक प्रारम्भिक कलाओं में रही है। बहरहाल, सारा मामला संभवतः शब्द न लगाने से उभरता है। मुझे पोस्ट का यह हिस्सा फिर सम्पादित करना होगा। इसी सोच के तहत जब मैने मुहम्मद मुस्तफा खां मद्दाह के कोश में संदर्भ टटोला तो वहां अपनी धारणा को पुष्ट करता हुआ उदाहरण मिला। इसी तरह सीरियक अरबी में भी सीधे सीधे इसका अर्थ मेज की दराज दिया हुआ है। मैं भी यही मानता हूं कि यह अंग्रजी से नहीं बल्कि फारसी-अरबी मूल का ही शब्द है। यूं ड्राअर भी इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से ही ताल्लुक रखता है। फिर भी आपको शंका हुई तो औरों को भी हो सकती है। कुछ सुधार करूंगा। अलबत्ता संभवतः शब्द का इस्तेमाल करना ज्यादा सुविधाजनक रहता।
अभी दफ्तर में हूं।

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin