Monday, June 1, 2009

सिक्किम यानी नया घर !!

हा ल ही में हमें सिक्किम शब्द की व्युत्पत्ति ज्ञात हुई। यह बना है सु+ख्यिम sukhyim से यानी नया घर। हमने पाया कि शब्दों का सफर में आश्रय नाम से जो शब्द-श्रंखला चल रही है, यह शब्द भी उसी कड़ी का हिस्सा है और सिक्किम का रिश्ता जुड़ता है खेमा शब्द से जिस पर हम विस्तृत पोस्ट लिख चुके हैं। इस जानकारी को भी अब उस पोस्ट में अपडेट कर दिया गया है।
ध्वनि संकेतों से ही भाषा का निर्माण होता है जिनका लगातार प्रसार होता रहता है और भाषा अपना दायरा बढ़ाती है। इस प्रक्रिया में संकेत-ध्वनि में भी बदलाव आता रहता है और उसकी अर्थवत्ता भी 653px-Vajra_Guru_Mantra.svg व्यापक होती जाती है। उदाहरण के लिए इंडो-यूरोपीय धातु कम् kam है जिसमें झुकाव, घुमाव, टेढ़ापन का भाव है। किसी आश्रय के निर्माण में यह झुकाव ही महत्वपूर्ण होता है। भारोपीय धातु kam से ही कमरा शब्द बना है। इससे ही बने कोम kome का अगला रूप होम home हुआ। विकास संस्कृत के स्कम्भ में नजर आता है जिसका मतलब होता है आधार, स्तम्भ जिसके बिना आश्रय का निर्माण संभव नहीं। संस्कृत धातु कुट् में भी यही भाव है जिससे कुटीर, कुटिया जैसे शब्द बने हैं क्योंकि इसका निर्माण बांस के शहतीरों से ही होता है जिन्हें मोड़ कर छत की शक्ल दी जाती है। मोड़ने के लिए अरबी में एक क्रिया है जिसे खम कहते हैं। यही खम नज़र आ रहा है खेमा में जिसका मतलब होता है तम्बू। आश्रय का एक बहुत प्राचीन साधन। खेमा में स्कम्भ भी झाकता नजर आ रहा है। बिना खम्भे के कोई भी खेमा खड़ा नहीं हो सकता। तिब्बती में भी घर के लिए खेम शब्द है। पर्वतीय क्षेत्र की ही भाषा लिम्बू में इसका रूप ख्यिम् होता है जिसका अर्थ भी घर ही होता है। भारतीय प्रांत सिक्किम के मूल में यही ख्यिम है। यह बना है इसके आगे सु उपसर्ग लगने से जिसका लिम्बू भाषा में अर्थ होता है नया। इस तरह सिक्किम का अर्थ हुआ रहने के लिए सुंदर घर। यह सु उपसर्ग भी बहुत कुछ संस्कृत के सु जैसा ही है जिसका अर्थ होता है सुंदर, अच्छा। जाहिर है जो कुछ भी नया होता है, वह अच्छा ही होता है।
विस्तार से देखें यहां

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17 कमेंट्स:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

एक बात जो समझ में आती है शब्दों का भावार्थ निरर्थक नहीं होता है . कोई न कोई कारण होता है उसके पीछे , और यह जानकारी आपसे मिलती है हमें निर्वाध रूप से

रंजना said...

वाह ! एकदम नयी जानकारी मिली...बड़ा अच्छा लगा....
आभार.

Abhishek Ojha said...

सिक्किम का मतलब तो आज जान गए. गंगटोक का मतलब 'पहाडी के ऊपर' होता है ऐसा एक गाइड के मुंह से सुना था. पर शायद वह क्षेत्रीय भाषा से आया हो. पर वहां भी हो सकता है कहीं न कहीं से सफर कर के गया हो ! वैसे 'टोक' प्रत्यय तो पहाडी जगहों के लिए इस्तेमाल होता ही है. इस पर भी एक पोस्ट बनती है.

संजय बेंगाणी said...

रोचक विवरण. सु ख्यिम बोले तो सिक्किम नाम के बारे में.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सिक्किम की जान्रकारी घर बैठे ही मिल गई।
धन्यवाद।

डॉ. मनोज मिश्र said...

सुंदर ,नई जानकारी .

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सिक्किम प्रदेश रहस्यमय सा लगता है हमेशा ही
ये पहल अच्छी लगी
-- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सिक्किम प्रदेश रहस्यमय सा लगता है हमेशा ही - ये पहल अच्छी लगी
-- लावण्या

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वडनेकर जी।
आज क्या लीला रच दी, टिप्पणी नजर ही नही आ रही।
"सु+ख्यिम sukhyim यानी नया घर।"
और उसमें आते ही मॉडरेशन।
बहुत खूब।

मुनीश ( munish ) said...

Amazing ! thnx a lot sir!

सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ said...

जमीनों की चौहद्दी या सीमा का निर्धारण पहले प्राकृतिक प्रतीकों या लैण्डमार्क्स से किया जाता था। एक तरफ पहाड़ दूसरी तरफ नदी तीसरी ओर सरकारी सड़्क और चौथी तरफ मंदिर या ऎसा ही कुछ। गोवा में विशेषकर दक्षिण गोवा में एक विशेष प्रकार की जमीन होती है जिसे कमुन्दाद या कुम्‌दाद लैण्ड़ कहते हैं। जानकारी से यह पता लगा कि पहाड़ी/ पहाड़ पर गिरनें वाला (‘कुम’ या संस्कृत का ‘कं’ )वर्षा जल पहाड़ को दो हिस्सों में बाँट देता है। पहाड़ की ऊँट की पीठ जैसी वह सन्धि, जहाँ से एक ढ़्लान उत्तर तो दूसरी दक्षिण की ओर वर्षा जल को बाँटती है, जमीन की प्राकृतिक सीमा की निर्धारक बनती है। क्या सिक्किम शब्द में सीमा और कं या कम्‌ का प्रभाव हो सकता है?

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सारगर्भित जानकारी.

रामराम.

Gyan Dutt Pandey said...

सिक्किम के चित्रों को देख नाम सार्थक लगता है!

अजित वडनेरकर said...

@सुमंत मिश्र कात्यायन
आपने महत्वपूर्ण जानकारी दी है कात्यायनजी। कं कम् शब्द धातुरुप में इंडो-यूरोपीय भाषाई संदर्भों में आते हैं। कुट् धातु में वक्रता का भाव है। छत डालने के लिए शहतीरों को वक्र ही किया जाता है। पहाड़ी इलाकों के आश्रयों की छत भी वक्र यानी तिरछी होती हैं। तीखी पहाड़ी ढलान की वक्रता भी विपरीत दिशा की हवा और बारिश से लोगों को आश्रय प्रदान करती है, जिसका आपने ढलान के रूप में उल्लेख किया है। कोम् और होम की साम्यता भी गौरतलब है। अरबी-फारसी खम में भी वक्रता है। आवास या आश्रय के अर्थ में खेमा यानी तम्बू की वक्रता स्पष्ट है और इस शब्द का रिश्ता तातारी, मंगोल भाषाओं से लोकर सेमेटिक भाषाओं तक है। अरबी खेमा की धातु ch-y-m जिसकी लिंबू ख्यिम से समानता है। खेमा को उर्दू-फारसी में खीमा प्रयोग भी मिलता है जो ch-y-m का सरलीकरण हो सकता है। यही शब्द सिनो-तिब्बतन या तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार में ख्यिम के तौर पर है। स्कम्भ का देशज रूप जब खम्भा होता है तब कम् या कं से निश्चित ही खम भी हो सकता है। ये परिवर्तन बहुत पहले हुए होंगे। किस क्रम में हुए इसके बारे में भाषाविद् भी अपने अनुमान लगातार बदलते रहते हैं। विभिन्न आर्य-समूहों के भाषा-व्यवहार से एशिया का विशाल भूभाग प्रभावित रहा है। जातीयता, भौगोलिक परिस्थितियों ने विभिन्न विभिन्न ध्वनियां प्रभावित हुई हैं मगर उनके वैविध्य के बावजूद समान अर्थवत्ता और उसका व्यापक विस्तार साफ पहचाना जा सकता है।

RAJ SINH said...

अजीत भाऊ जी ,
आपका तो हम सहित सभी लोहा मानते ही हैं . इन्सान की तो इन्सान जाने ,शब्दों की वल्दियत आप के यहाँ जरूर दर्ज मिलेगी .
इसीलिये एक निवेदन ले हाज़िर हुआ हूँ .
शब्द है ' जुगाड़ ' . अब को नहीं जानत है जग में .....वाली इश्टाइल में सभी मतलब ही नहीं जानते , हर तरह जुगाड़ने में लगे हैं . अब तो यह शब्द मैंने लोगों को मराठी ,गुजराती , अंगरेजी बोलते हुए भी सुना है .सर्च में एक वाहन भी सुमार है .
इस वक़्त भारत भूमि में यह शब्द राम से भी ज्यादा कण कण में समाया है .
कृपया इसकी वंशावली के बारे में कुछ अता पता करें .
वैसे भले सेक्स्पीर कह गए नाम में ( बाप के नाम छोड ) क्या रखा है, पर आज इस के बाप के बारे में बता ही दें .
पता ही होगा आज बाप खानदान वगैरह कितने महत्व पूर्ण हो गए हैं . उन्हीं की बदौलत संसद भर गयी , मंत्री मंडल भर गया ,प्र. मंत्रित्व तो भरा ही जाता रहा है , फिर भर जायेगा .
मुझे जुगाड़ के बाप का नाम नहीं पता पर होगा कोई पावरफुल ही .
वैसे एक दोस्त का कहना है की 'जुगाडू' बाप भी 'जुगाड़' लेते हैं .

तो जरा हो जाये भाऊ इस 'आलमाइटी' का भी कुछ अता पता !

किरण राजपुरोहित नितिला said...

bahut mahatvpurn jankari di.Sikkim ka arth itana sudar hai to pradesh bhi aisa hi hoga.

Anil Pusadkar said...

वाह भाऊ!सिक्किम घूमने की इच्छा फ़िर से जगा दी।

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