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Friday, August 28, 2009
बंदूक अरब की, कारतूस-पिस्तौल पुर्तगाल के
संबंधित कड़ियां-1.सरकारी खरीता या रेशमी थैली 2.बहीखातों का अम्बार यानी दफ्तर 3.अरब की रद्दी, चीन का काग़ज़
बंदूक का नामकरण उसकी गोली से हुआ। बेहद कठोर आवरण होने की वजह से अखरोट जैसे फलों का प्रयोग गुलेल जैसे हथियारों में भी किया जाता रहा
बं दूक यानी एक ऐसा आग्नेयास्त्र जिसने कई सदियों से जंग के मैदान में आमने-सामने की लड़ाई में अपना दबदबा कायम रखा हुआ है। बंदूक का नाम लेते ही राईफल, दुनाली, बारह बोर जैसे नाम भी याद आ जाते हैं जो बंदूक के ही अलग-अलग प्रकार हैं। हिन्दी, उर्दू, अरबी और फारसी में बंदूक समान रूप से प्रचलित है मगर हिन्दी में इसकी आमद अरबी से हुई है। बंदूक मूल रूप से अरबी भाषा का शब्द भी नहीं है। हिन्दी का बंदूक शब्द अरबी में बुंदूक है। इसका तुर्की रूप फिन्दिक है जो अरबी बुंदूक का ही परिवर्तित रूप है।
एशिया और यूरोप के सीमांत पर काला सागर है जिसका दक्षिणी हिस्सा प्राचीनकाल में पोंटस कहलाता था। यह ग्रीक साम्राज्य का हिस्सा था। इसमें तुर्की, ईरान, आर्मीनिया जैसे इलाके आते थे। इस क्षेत्र में कठोर परत वाले एक फल को पोन्टिका, पोंटिक या पोंटिकोन कहा जाता था। यह कॉफी से मिलता जुलता होता है। गौरतलब है कि कॉफी के बीज बादाम की तरह एक कठोर कवच के अंदर होते हैं। अंग्रेजी में इसे हेजलनट कहा जाता है। यह हिन्दुुस्तान में नहीं पाया जाता मगर कोशों में इसे पहाड़ी बादाम बताया गया है। पोंटिकोन का ही अरबी रूप अल-बोंदिगस हुआ। इसका अगला रूप फुंदुक और फिर बुंदूक हुआ। बंदूक का नामकरण उसकी गोली से हुआ। बेहद कठोर आवरण होने की वजह से पोंटिकोन जैसे फलों का प्रयोग गुलेल जैसे हथियारों में भी किया जाता रहा है। बाद में जब राईफल का आविष्कार हुआ तो उसकी गोली यानी कारतूस को बंदूक कहा जाने लगा। बाद में मुख्य हथियार का नाम ही बंदूक लोकप्रिय हो गया। दिलचस्प है कि स्पेन में मीटबॉल जैसी एक रेसिपी को अल्बोंदिगस कहा जाता है। यह नाम अरबी प्रभाव में बना। आज अल्बोंदिगस मैक्सिको के विशिष्ट सामिष पदार्थों में शुमार है। गोल होने की वजह से ही बुलेट को गोली कहा जाता है। इसी तरह अंग्रेजी में बुलेट शब्द में भी गोलाई झांक रही है। लैटिन शब्द बुल्ला bulla का अर्थ होता है गोल वस्तु या घुंडी। फ्रैंच में इसका रूप हुआ बॉलेट boulette जिससे अंग्रेजी में बना बुलेट।
इसी कड़ी में कारतूस भी आता है जो है गॉथिक मूल का शब्द है। अंग्रेजी में इसके लिए कार्ट्रिज शब्द है मगर हिन्दुस्तानी में यह पुर्तगाली से दाखिल हुआ। पुर्तगाली में इसका रूप है कार्तूशो cartucho जिसका उच्चारण हुआ कारतूस। कारतूस का मतलब भी बंदूक की गोली से ही होता है। मूलतः यह एक खोल या डिब्बी होती है जिसमें बारूद भरी रहती है। अंग्रेजी का कार्ट्रिज फ्रैच भाषा के कार्तोशे cartouche से बना है। फ्रैंच में यह इतालवी ज़बान के कार्तोसियो से दाखिल हुआ जिसका मतलब होता है कागज का बंडल या रोल। कार्तोसियो का जन्म लैटिन के कार्टा से हुआ है जिसका मतलब होता है काग़ज। अग्रेजी के चार्ट और कार्ड शब्द इसी मूल से आ रहे हैं जिनसे कागज झांक रहा है। अंग्रेजी का चार्ट शब्द प्राचीनकाल से ही सामुद्रिक नक्शों के लिए प्रयोग होता आया है। इस अरबी में नक्शे के लिए
1857 के दौर में ब्रिटिश फौज इंग्लैंड की जिस एन्फील्ड कंपनी का कारतूस इस्तेमाल करती थी, उसका भीतरी रूप। सिपाहियों को शक था कि इसका खोल गाय की चमड़ी से बनाय जा रहा है।
खरीता शब्द मिलता है। इस चार्ट का उद्गम ग्रीक शब्द khartes से माना जाता है जिसका लैटिन रूप हुआ चार्टा/कार्टा और अंग्रेजी में हुआ चार्ट। अंग्रेजी में नक्शानवीस को कार्टोग्राफर कहा जाता है। इन तमाम शब्दों का रिश्ता जुड़ता है काग़ज़ से, पत्तों से। गौरतलब है कि प्राचीनकाल से ही दुनियाभर में लिखने की शुरूआत पत्तों पर ही हुई। मूलतः सेमेटिक भाषा परिवार के चरीता से ही ग्रीक khartes भी बना। इसका अरबी रूप खरीता हुआ जिसका मतलब था नक्शा। सेमिटिक चरीता, अरबी खरीता और ग्रीक khartes की समानता गौरतलब है। हिन्दी उर्दू में खरीता या खलीता का मतलब एक छोटी थैली या बटुआ भी होता है। राजशाही दौर में राजाज्ञा-पत्र या प्रमुख दस्तावेज मलमल की एक छोटी थैली, बांस अथवा पत्तों की बनी नली में लपेटे जाते थे। कहने की ज़रूरत नहीं है कि इसी तरह किसी ज़माने में बंदूक की गोली या कारतूस का आवरण एक खास किस्म की सुखाई हुई वनस्पति से होता था। बाद में इसकी जगह काग़ज़ का उपयोग होने लगा। काग़ज़ के स्थान पर जानवरों की पतली चमड़ी के इस्तेमाल की तरकीब भी बाद में निकाली गई। अठारह सौ सत्तावन की क्रांति के मूल में चमड़ी से बना कारतूस का खोल ही था।
बंदूक की तरह ही पिस्तौल शब्द भी हिन्दी मे लोकप्रिय है। पिस्तौल शब्द की हिन्दी में आमद पुर्तगाली भाषा से हुई है। यूरोपीय समाज में प्रचलित कई शब्द ऐसे हैं जिनकी आमद बरास्ता अंग्रेजी ज़बान न होकर पुर्तगाली ज़बान से हुई है क्योंकि अंग्रेजों से भी पहले पुर्तगालियों ने भारतीय तटों पर अपनी बस्तियां बसानी शुरू कर दी थी। दिलचस्प तथ्य है कि बंदूक शब्द ध्यान में आते ही लंबी नली नज़र आती है मगर बंदूक के नामकरण में नली का नहीं बल्कि गोली का योगदान है। इसके विपरीत बेहद छोटे आकार के जेबी हथियार के तौर पर बनाई गई पिस्तौल की पहचान नली की बजाय उसका हत्था और ट्रिगर होती है, मगर पिस्तौल के नामकरण में नली का योगदान है। पिस्तौल शब्द का मूल पूर्वी यूरोपीय माना जाता है। रूसी भाषा में एक शब्द है पिश्चैल paschal जिसका अर्थ होता है लंबी पतली नली। पिस्तौल का विकास होने से पहले तक लंबी नलीदार बंदूकों का ही प्रचलन था। पिस्तौल का आधुनिक स्वरूप रिवाल्वर है जिसमें घूमनेवाला चैम्बर लगा होने से उसे रिवाल्वर कहा जाता है।
बंदूकों का इस्तेमाल सबसे पहले चीन में शुरू हुआ क्योंकि चीन के पास ही बारूद निर्माण की तकनीक थी। घोड़ो पर बैठ कर बंदूक से निशाना साधने में होने वाली दिक्कत के चलते सोलहवी सदी में पिस्तौल का विकास हुआ। रूसी पिश्चैल से चेक भाषा में बना पिस्टाला जिसका अर्थ था छोटा आग्नेयास्त्र। बाद में जर्मन और फ्रैच भाषा में इसका रूप हुआ pistole जो अंग्रेजी में जाकर हो गया pistol .भारतीयों ने यह पिस्टल सबसे पहले पुर्तगालियों के हाथों में देखी और इसे एक नया नाम मिल गया–पिस्तौल। फारसी प्रभाव से इन शब्दों में ची प्रत्यय का चलन भी शुरू हुआ जिसमें कर्ता का अभिप्राय होता है जैसे बंदूकची यानी बंदूक चलानेवाला या पिस्तौलची अर्थात पिस्तौल चलानेवाला। बंदूकों के कई प्रकार होते हैं जैसे दुनाली बंदूक। किसी भी आग्नेयास्त्र का प्रमुख हिस्सा वह नली होती है जिसमें से होकर गोली गुज़रती है। जिस बंदूक में दो नालियां या बैरल होती है उसे दुनाली या डबल बैरल बंदूक कहते हैं।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:34 AM
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20 कमेंट्स:
आश्चर्यजनक।आभार।
रिवाल्वर हम रोज बनाते हैं! लेकिन इसके नामकरण की कहानी आज पता चली! शुक्रिया। शानदार!
ये कहानी भी गज़ब रही...बहुत जानकारी हासिल कर ली..आपके साभार!!
आग्नेयास्त्रों की श्रंखला अभी लंबी है। बम, तोप, टैंक आदि नाराज न हो जाएँ।
वाह !
बहुत ख़ूब जानकारी दी आज भी.........
धन्यवाद !
बहुत अच्छी जानकारी धन्यवाद्
बहुत ही उम्दा जानकारी से भरपूर पोस्ट. शुभकामनाएं.
रामराम.
very nostalgic in this era of INTER CONTINENTAL BALLISTIC MISSILES !
वाह वाह
कहीं का बन्दूक कहीं का गोला
अजित भाई ने कुनबा जोडा
badhiya hai
@दिनेशराय द्विवेदी
सरजी, टैंक तो शब्दों का सफर में ही खड़ा है। गोले को गुड़-गुल्लक के संदर्भ में याद कर लें। अलबत्ता तब भी कुछ और हथियारों के नाम ढूंढे जा सकते हैं :)
हर बार की तरह रोमांचक सफ़र...इस बार बंदूकों के साये में..
आपके लेख से बहुत सारी नयी जानकारियाँ मिलीं।
आभार!
तो बंदूक और बारूद के मामले में भी खुराफात चीन ने ही शुरू ही की :)
देसी एडीटर
खेती-बाड़ी
तो बंदूक और बारूद के मामले में भी खुराफात चीन ने ही शुरू की :)
देसी एडीटर
खेती-बाड़ी
Atank ke saye men bandook aur pistol kee charcha aur in shabdon ka udgam batane ka abhar.
बहुत बढ़िया जानकारी है
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तख़लीक़-ए-नज़र
बन्दूक और रिवाल्वर दोनों ही है मेरे पास आल इंडिया लाइसेंस सहित . लेकिन बन्दूक ,रिवाल्वर ,कारतूस की उत्पति आज ही पता चली .
बहुत ब्लॉगर गोली बन्दूक से जुड़े हुए हैं... निर्माता से उपभोक्ता तक :)
वैसे इन शब्दों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
बहुत अच्छी जानकारी. धन्यवाद !
- सुलभ ( यादों का इन्द्रजाल..)
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