संबंधित कड़ियां-1.लीक छोड़ तीनौं चलै, सायर-सिंघ-सपूत [लकीर-1]2.रेखा का लेखा-जोखा (लकीर-2)3.कोलतार पर ऊंटों की क़तार [लकीर-3]4.मेहरौली, मुंगावली, दानाओली, दीपावली[लकीर-4]5.सूत्रपात, रेशम और धागा [रेखा-5]
क़तार के अर्थ में लाईन line शब्द अंग्रेजी का है मगर हिन्दी ने इसे अपना लिया है। लाईन शब्द की अर्थवत्ता बहुआयामी है। लकीर और क़तार शब्दों में मूलतः सरल रैखीय भाव तो है पर ये एक दूसरे के वैकल्पिक शब्द नहीं है। रेखा खींची जाती है जबकि कतार बनती है या लगती है। रेखा के अर्थ में कतार खींचना जैसा वाक्य प्रयोग नहीं किया जा सकता। मगर लाईन शब्द में चमत्कारिक अर्थवत्ता है। हिन्दी में कतार के अर्थ में भी लाईन है, सरल रेखा के अर्थ में भी लाईन है और सरणि अर्थात पंक्ति के अर्थ में भी लाईन है। लाईन खींची भी जाती है, लाईन लगाई भी जाती है, लाईन तोड़ी भी जाती है और लाईन तोड़ने वाले को लाईन हाजिर भी कर दिया जाता है जिसका मतलब है अनुशासनहीनता दिखाने पर सजा देना। इसी तरह लाईन में लगना एक तरह से नियम-पालना, दण्ड या अनुशासन का द्योतक है। लाईन तोड़ने में अनुशासनहीनता साफ झलक रही है। हिन्दी में लाईन मारना मुहावरा भी बीते कुछ दशकों से चल पड़ा है जिसका अभिप्राय किसी को ( प्रेमिका के संदर्भ में ) प्रभावित करने के उपक्रम से है।
लाईन शब्द इंडो – यूरोपीय भाषा परिवार का है जिसका अर्थ वही है जो हिन्दी के सूत्र और फारसी के रिश्ता यानी सेवईं का है। सूत्र का अर्थ धागा होता है। इसी तरह लाईन की अर्थवत्ता व्यापक है और इसमें रस्सी, धागा, रास्ता, कतार, आदि भाव है। लाईन लैटिन मूल का शब्द है जिसका रिश्ता एक खास किस्म के कपड़े से है जिसे लिनेन कहा जाता है। लैटिन में इसका रूप है linum जिसका मतलब है एक खास किस्म की वनस्पति जिससे निर्मित रेशे से सूती वस्त्र का निर्माण होता है जिसे लिनेन कहा जाता है। भारत में इस पौधे के कई नाम हैं मगर ज्यादातर इसे अलसी के नाम से जाना जाता है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है जो प्रसाधन उद्योग में काम आता है। इसकी एक नस्ल जूट भी है। एक खास किस्म की फर्शीचटाई को
लिनोलियम कहा जाता है जिस पर कोई दाग-धब्बा नहीं लगता। इसका निर्माण भी जूट यानी लीनम के रेशों से होता है।
अलसी का एक नाम पटसन भी है। भारत में अलसी का पौधा दरअसल ओषधीय और बहुउपयोगी पौधा माना जाता है। जहां तक लीनम की बात है इससे बने लिनेन का अर्थ सूती कपड़ा होता है। समूचे यूरोप में यह पौधा बेहतरीन, शरीर के अनुकूल और हर मौसम में धारण करने लायक समझा जाता रहा है। संस्कृत में जूट या अलसी के कई नाम है जैसे उमा, मालिका, क्षमा, पार्वती, सन, सुनीला और बदरीपत्री आदि। इसी तरह गोथिक, लैटिन और ग्रीक मूल की विभिन्न भाषाओं में इस मूल के कई शब्द है जैसे lin, llion, liner, linum, linen, lein, lan आदि। भारतीय जूट या पटसन की तरह ही इंडो-यूरोपीय भाषाओं ल व र वर्णों में परिवर्तन होता है। भारतीय भाषाओं में लकीर, लेखा, लिख, लीक, ऋष् ,रास्ता, रेशा, रेशम, रिश्ता जैसे ज्यादातर शब्द कतार, पंक्ति, रेखा, मार्ग या तन्तु की अर्थवत्ता रखते हैं। इनके मूल में ऋ वर्ण में समाई ध्वनि है जिसमें अधिकार, क्रमबद्धता, जाना, गमन करने से लेकर निर्दिष्ट करने, राह दिखाने जैसी अर्थवत्ता है। रेखाएं गुज़रती ही हैं और ये हमें मार्ग भी दिखाती है। लाईन शब्द में लिनेन यानी एक विशिष्ट पौधे से लेकर उससे निर्मित फाईबर या तन्तु से बने वस्त्र तक का भाव इसकी इंडो-यूरोपीय ध्वनि ऋ से रिश्तेदारी स्थापित करता है। यूरोप में भी लीनम यानी अलसी के पौधे से उत्तम किस्म के रेशे तैयार किए जाते हैं। एथेंस के पास ए प्राचीन स्थल है माईसेने। प्राचीनकाल में यहां एक समृद्ध संस्कृति पनपी थी। पुरा ग्रीक काल की एक भाषा का नाम इसी क्षेत्र के नाम पर माइसेनियन है जिसमें लीनम का एक रूप री-नो ri-no भी है। यह माना जा सकता है यह र ध्वनि बाद में ल में परिवर्तित हुई। बहरहाल ऋष् धातु से बनी रेखा का संबंध इसी मूल से बने फारसी शब्द रिश्ता, रिश्तः (सिंवई, सूत्र), रास्ता से भी है। इसी तरह रेशम यानी सूत्र भी इसी कड़ी का हिस्सा है। जब बात लिनेन जैसे कपड़े तक पहुंचती है तब भी यही ऋष् इसमें नजर आता है। साफ है कि प्राचीन यूरोप में भी लिनेन यानी सूत का उपयोग वस्त्र निर्माण के साथ पैमाइश के लिए भी होता था। लिनेन का रेशा सरलता और सीध का प्रतीक था जिसमें सरणि, राह, क्रम, कतार का भाव उभरता था। अभिप्राय मनुष्यों अथवा वस्तुओं के क्रमबद्ध विन्यास से ही था। लाईन, लीनियर, लाईनेज, लेन, लाइंस (सिविल) जैसे शब्द इसी मूल से उपजे हैं। एक खास किस्म की फर्शीचटाई को लिनोलियम कहा जाता है जिस पर कोई दाग-धब्बा नहीं लगता। यह सामान्य पत्थर के फर्श की तुलना में चिकनी, हल्की और चमकदार होती है क्योंकि इसका निर्माण भी जूट यानी लीनम के रेशों से होता है। इसकी मोटाई और कठोरता राज़ इसमें छुपे तेल से रिस कर बाहर आ रहा है। लिनोलियम बना है लीनम+ओलियम (linum+oleum= linoleum) से। लैटिन में ओलियम का मतलब होता है तेल, तैलीय। अंग्रेजी का ऑईल शब्द इससे ही बना है। पेट्रा यानि मिट्टी, प्रस्तर आदि और ओलियम यानी तेल, इससे बने पेट्रोलियम शब्द से भी यह जाहिर है। गौर करें कि जिस तरह हमारे यहां अलसी के बीज तेल निकालने के काम आते है वैसे ही यूरोप में भी लाईनसीड linseed का उपयोग होता है। लिनोलियम में इस वनस्पति से निर्मित दोनों प्रमुख उत्पादों रेशा और तेल का उपयोग हो रहा है। तेल की गाढ़ी पर्त के साथ विभिन्न मोटाई वाले रेशों के सघन विन्यास से ही लिनोलियम बनता है जिससे टिकाऊ और खूबसूरत चटाई या मैट्रेस का निर्माण होता है। ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
22 कमेंट्स:
आज हम टिपियाने में नहीं पिछुआए हैं।
भाऊ, इतनी मेहनत रात को 1:44 पर पोस्ट! एक सलाह है अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए निशा जागरण के घंटों को नियोजित करें।
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लाइन तोड़ना अनुशासनहीनता तो लाइन मारना इश्कबाजी। कहाँ कहाँ लाइने घुसी हुई हैं जिन्दगी के रोजनामचे में! जूट से लिनोलियम एक नई बात लगी। पक्की है ना? अलसी और पटुआ भी एक ही होते हैं ?
@ गिरिजेशराव
भाई, आपकी टिप्पणियों से डरता हूं। कहां कैसी गिरें, कह नहीं सकता।
सबका अपना अपना प्रारब्ध है। दुखी आत्मा हूं, सो यह सब कर रहा हूं।
सुखी हो जाऊंगा, तो कब क्या कर गुजरूं, कुछ पता न रहेगा।
प्रभु ने जितने दिन दिए हैं, नेक काम में गुज़र जाएं। गलत तो नहीं कर रहे?
बाकी आपकी शुभकामनाओं से उम्र तो पूरी होगी ही। जै जै ।
लाइन के इतने रूप? बस आप ही दिखा सकते थे।
लाईन मे लगे हुयें हैं भाऊ हम तो,तारीफ़ करने वालों की।
लो जी कई दिन से आपकी लाइन मे नहीं लगे थे। सच मे इतनी लम्बी लाईन है क्या बात है अच्छा है ये सफर भी शुभकामनायें
वडनेकर जी!
बहुत खूब.....।
लाइन पर भी लाइन मार ही दी।
बधाई!
लाइन शब्द अंग्रेजी का है जो हमारी रग रग में बस गया है गाँव में तो इसे हिंदी ही मानेगे कतार शब्द का प्रयोग तो कभी कभी ही होता है \
लाइन का सफर अच्छा लगा |लाइन मारना का लाइन से कुछ सम्बन्ध है क्या?
बिंदु से रेखा बनी उससे बनी कतार,
'ऋ' से रिस-रिस कर बना शब्दों का भंडार.
दिलचस्प श्रंखला, लाइन मारने तक के 'सिलसिले' तक पहुंचाती हुई!
@ शोभना चौरे
टिप्पणी के लिए शुक्रिया शोभना जी।
लाईन मारना तो अब मुहावरा बन चुका है। आलेख के पहले पैरे में भी इसका उल्लेख है। किसी पर प्रभाव जमाने के अर्थ में, खासकर इश्कबाजी के संदर्भ में लाईन मारना मुहावरा खूब इस्तेमाल होता है।
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शुभकामनाओं सहित
अजित
http://shabdavali.blogspot.com/
अलसी का नाम सुनकर ही गिरिजेश जी दौड़े चले आये ।
बेहतरीन प्रविष्टि । आभार ।
@ हिमांशु जी,
पकल्लिया !
हा हा हा।
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वैसे ऐसी कोई बात नहीं थी ;)
पोस्ट में से 'लाइन मारना' हिट हो गया, बाकी शब्द धरे के धरे रह गए :)
ऋष से रेशा और लिन से लाइन और लाइन मारना भी शायद इसका मतलब सीधे आँख मिलाने से हो (सीधी रेखा में ) । हमेशा की तरह जानकारी सेभरपूर पोस्ट ।
हमें पूरी आशा है कि आपके ब्लाग की लाइन पर चलते चलते हम भाषाविद हो जायेंगे. आभार.
लिनेन का रेशा सरलता और सीध का प्रतीक था जिसमें सरणि, राह, क्रम, कतार का भाव उभरता था। अभिप्राय मनुष्यों अथवा वस्तुओं के क्रमबद्ध विन्यास से ही था। लाईन, लीनियर, लाईनेज, लेन, लाइंस (सिविल) जैसे शब्द इसी मूल से उपजे हैं......
अजित जी आये तो थे आपकी इस विशेष जानकारी के लिए शुक्रिया अदा करने ....पर ये गिरिराज जी ने लाइन क्या मारी सभी उसके पीछे हो लिए ....बोहोत गलत बात है यह ....खैर ...इस लाइन मारने की प्रक्रिया की जानकारी के लिए बोहोत बोहोत शुक्रिया .....!!
लाईन हमारे यहाँ बिजली को भी कहते हैं। जैसे हम सब कहते हैं लाईन गइल मतलब बिजली गई। वहीं कुछ शौकीन लोग लाईट भी कहते हैं। हालाँकि हम कहीं भी लाईन या बिजली ही कहते है।
अलसी को तीसी कहते हैं और तीसी को कूट कर, पीस कर उसके चूर्ण को भात(पके चावल) के साथ खाने का आनंद ही अलग है। बिना सब्जी- दाल के भी काम चलता है।
भोजपुरी में जुएँ( बाल में यानी सिर में पाए जाते हैं) को लीख या किलनी कहते हैं या ढील भी। वहाँ लीख का कोई संबंध इस लिख से ?
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