पिछली कड़ियां- 1.काना राजा और काक दृष्टि 2.जरूर कोई ‘कांड’ हुआ है…
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 11:37 PM लेबल: animals birds, nature, शरीर, सम्बोधन
16.चंद्रभूषण-
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15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
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11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
7 कमेंट्स:
गन्ने के गांठ से गांठ तक के हिस्से को गण्डेरी भी बोलते हैं।
वाह, गण्ड, खण्ड, कण्ड और काण्ड, गलगण्ड को मराठी में कहते हैं गण्डमाळा । रोचक जानकारी . ठठेरे के खिलौने तो हमने भी बनाये हैं बचपन में।
'क'न्द, कांड से ले प्रकांड तलक शब्दों क सफ़र चलता ही गया,
'खं'डो में विभाजित ईख हुआ, स्वभाव मगर मीठा ही रहा,
'गु'ड़, गंड बना शीरा भी शकर, गलगंद हुआ गेंदा भी बना,
'क' , 'ख', 'ग' सीखे ही थे कि, 'घ'न्टी बजदी मैं चलते बना.
ज्ञान बढ़ गया ।
शुक्रिया !
देर से आ पाया :)
मैंने आपसे पहले भी आग्रह किया था कि जब आप इतनी बारीकी से
शोध करते हैं तो एक बार संयुक्त और बुने हुये शब्दों को अलग करके
भी देखे । वैसे अबकी बार आपने जो शब्द चुना था वो मेरा पसन्दीदा
शब्द है..प्र..अब मैं आपको अपना द्रष्टिकोण बताता हूँ । मैं इसके रहस्यों
को जानने के लिये इसे प्र से पर कर देता हूँ । उदाहरण..प्रकृति..प्रदर्शन
..परकरती..परदरसन..अब ये पर एक सेतु का कार्य कर रहा है..या
एक किसी भी वाहक का कार्य कर रहा हैं । कि जो प्रतिबिम्बित हो
रहा है । उसका मूल कहाँ है ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
बहुत सुंदर प्रयास है...सुक्रिया इसे हमारे बीच प्रस्तुत करने के लिए.
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