Tuesday, October 12, 2010

मुन्नी बदनाम हुई ...[झंडुबाम-1]

मु न्नी बदनाम हुई गाने की वजह से आजकल झंडुबाम शब्द खूब चर्चा में है। झंडुबाम शब्द को चलताऊ हिन्दी में लगभग मुहावरे का दर्ज़ा मिल चुका है जिसका अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो किसी काम का न हो। इसकी अर्थवत्ता में मूर्ख या भोंदू का भाव भी है। झंडु या झंडू शब्द का स्वतंत्र रूप से भी हिन्दी में प्रयोग होता है जिसका अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो मूर्ख, सुस्त या भोंदू है। एक अन्य मुहावरेदार अभिव्यक्ति भी हिन्दी क्षेत्रों में प्रचलित है-झंड होना, झंड करना आदि। किसी को झंड कर देना या झंड हो जाना में बेवकूफ़ बनना, अवाक रह जाना, ठगा सा रह जाना जैसे भाव हैं। हालांकि इन तमाम शब्दों का झंडुबाम शब्द की व्युत्पत्ति से कुछ लेना देना नहीं है मगर इनकी रिश्तेदारी झंडुबाम की प्रचलित मुहावरेदार अर्थवत्ता से ज़रूर है और इसीलिए दबंग फिल्म के इस मस्त मस्त गीत में जब झंडुबाम को जगह मिली तो इस ब्रांडनेम के प्रवर्तकों का नाराज़ होना स्वाभाविक था। झंडुबाम के पीछे एक महत्वपूर्ण व्यक्ति का नाम जुड़ा है और गीत में झंडुबाम को मुहावरेदार शब्द के तौर पर ही जगह दी गई है। इसके जरिए एक आयुर्वैदिक उत्पाद के नाम को हानि या लाभ पहुंचाने का कोई मक़सद गीतकार या फिल्म निर्माता का नहीं रहा होगा।

झंडू, झंड जैसे शब्द हिन्दी कोशों में मिलते तो हैं मगर इनके जो अर्थ दिए गए हैं वे इन शब्दों के लोकप्रचलित अर्थों से मेल नहीं खाते। अनुमान है कि संस्कृत के यूथं, प्राकृत के जुत्थं का परिवर्तित रूप है झुंड जिसका अर्थ है समूह, भीड़, जमाव, दल आदि। जॉन प्लैट्स की हिन्दुस्तानी इंग्लिश उर्दू डिक्शनरी में में झंडू का रूप झण्डू दिया है और इसकी व्युत्पत्ति जट् धातु से बताई गई है जिससे जटा जैसा शब्द भी बना है। गौरतलब है कि जटा भी समूहवाची शब्द है। इसका अर्थ है सिर पर बड़े बड़े बालों का गुच्छा, फुलों की पंखुड़ियाँ या गेंदे का फूल। हिन्दी शब्दसागर में झँडूला शब्द मिलता है जिसका अर्थ है वह बालक जिसके सिर पर जन्म काल के बाल अभी तक वर्तमान हों। जिसका अभी मुंडन संस्कार न हुआ हो। सिर के वे घने बाल जो गर्भ-काल से ही चले आ रहे हों और अभी तक मूँडे न गये हों। इसके अलावा इसका अर्थ घनी डालियों और पत्तियोंवाला वृक्ष। भी होता है। एक अन्य अर्थ है कोई भी समूह या झुंड। इसके अलावा झंडू शब्द का किन्हीं अन्य अर्थों में प्रयोग भी होता है जैसे मराठी-हिन्दी में झेंडू, झंडू का अर्थ गेंदे का फूल भी होता है। गेंदा को अंग्रेजी में मेरीगोल्ड कहते हैं। यह एक आयुर्वैदिक ओषधि भी है। गेंदा शब्द संस्कृत के कंदुक से बना है। कंदुक> कंदुअ > गंदऊ  गेंदआ  > गेंदा के विकासक्रम से हिन्दी को एक नए फूल का नाम मिला। कंदुक, कंद, गंड, खण्ड जैसे शब्द हैं जो एक ही शब्द शृंखला का हिस्सा हैं। खण्ड, खांड, गुंड, गंड, गुड़ या अग्रेजी का कैंडी आदि इसी कड़ी में आते हैं। कंदुक का अर्थ होता है छोटा गोल पिंड, कोई छोटी या गोल आकार की वस्तु। गोलाई लिए हुए और फूली हुईं पंखुड़ियों के वर्तुलाकार आकार की वजह से इसे कंदुक पुष्प या गेंदा कहा गया। इस फूल पर हजारों की संख्या में पंखुड़ियां होती हैं इसलिए इसे कुछ हिन्दी भाषी क्षेत्रों में हजारी भी कहा जाता है। गेंदे की ही एक किस्म को गुलदाऊदी भी कहते हैं। अर्थात वह फूल जो बादशाह दाऊद को पसंद था। गेंदा के फूल का वैज्ञानिक नाम है टेगेटस इरेक्टा। गेंदा का मुख्य गुण है रक्तशोधन करना। ध्यान रहे, आधुनिक विज्ञान भी विभिन्न रोगों का मूल रक्त की अशुद्धि माना जाता है, आयुर्वेद में तो यह धारणा शुरु से रही है। ध्यान रहे हिन्दी में हजारीलाल या गेंदालाल जैसे व्यक्तिनाम भी प्रचलित हैं। गेंदा के मराठी रूप झेंडू और गुजराती के झंडु को भी इस रूप में देखा जाना चाहिए। ध्यान रहे अंग्रेजी में झंडु की वर्तनी zandu लिखी जाती है न कि jhandu. इसी तरह मराठी में ही गेंद को चेंडू कहा जाता है और कन्नड़ में भी चैंडू है। मराठी पर कन्नड़ का प्रभाव जगज़ाहिर है सो मराठी का चेंडू, कन्नड़ के चैंडू से ही आया होगा, यह तय है। गौरतलब है संस्कृत कंदुक की छाया का कन्नड़ चेंडू पर पड़ना फिर चेंडू का मराठी झेंडू या गुजराती का झंडु बनना आसानी से समझ में आता है।

 संस्कृत कंदुक की छाया का कन्नड़ चेंडू पर पड़ना और फिर चेंडू का मराठी झेंडू या गुजराती का झंडु बनना बहुत आसानी से समझ में आता है

सी तरह शब्दसागर में झंड शब्द भी मिलता है जिसका अर्थ दिया है छोटे बालकों के जन्म काल के सिर के बाल। बच्चों के मुंडन के पहले के बाल जो प्रायः कटवाए न जाने के कारण बड़े बड़े हो जाते हैं। सवाल उठता है कि ये तमाम संदर्भ उस झंड या झंड करना जैसे मुहावरे के आसपास भी नहीं पहुंचते जिसका अर्थ है मूर्ख बनना, ठगा जाना या खिन्न हो जाना। मुझे लगता है यहां सिर के बालों को साफ़ करने की क्रिया अथवा सिर से बाल उतारने या बालों से वंचित होना ज्यादा महत्वपूर्ण है। झंड करना मुहावरे का जन्मसूत्र मिलता है सिर मूँड़ना जैसे मुहावरे में। समाज में बालों का बड़ा महत्व है। अत्यधिक बड़े बालों के अलग माएने होते हैं और कम बालों के अलग। एकदम सफ़ाचट खोपड़ी का मतलब अगर पांडित्य है तो इसका एक अर्थ मूढ़ता या घामड़पन भी है। आमतौर पर किसी वस्तु के छिनने या वंचित होने के संदर्भ में मूँड़ना शब्द का मुहावरेदार प्रयोग होता है। हिन्दी जगत की कई विडम्बनाओं में एक विडम्बना यह भी है कि यहां शब्दकोशों को अद्यतन नहीं किया जाता। शब्दों की बदलती अर्थवत्ता और उसके नए सामाजिक संदर्भों का उल्लेख कोशों में दर्ज़ करने की परम्परा नहीं है। झंड, झंडू या झंड करना के संदर्भ में भी यही बात सामने आ रही है। बीती सदी में झंड शब्द की अर्थवत्ता बदली, मगर कोशकारों ने उसे महसूस तो किया पर दर्ज़ नहीं किया। मूँड़ने की तर्ज पर ही झंड से झंड करना मुहावरा प्रचलित हुआ जिसमें वंचित होने के अर्थ में ठगे जाने, मूर्ख बनने का भाव विकसित हुआ। जो वंचित हुआ वह हुआ झंडू। गौर तलब है कि हिन्दी शब्दसागर कोश में एक मुहावरे का भी उल्लेख है–झंड उतारना अर्थात बच्चे का मुंडन संस्कार करना। मगर इसकी नकारात्मक अर्थवत्ता का उल्लेख नहीं है। ज़ाहिर है झंड करना जैसा भाव बाद में विकसित हुआ होगा जिसे कोशकारों ने दर्ज़ नहीं किया। यह मेरा अनुमान है। -जारी

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16 कमेंट्स:

प्रवीण पाण्डेय said...

बताईये, झंडु बाम में भी पोस्ट निकल आयी।

M VERMA said...

हमारे यहाँ जब लोग लाटरी में हार जाते थे तो कहते थे कि वह झंडु हो गया है.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

झंडू शब्द का प्रयोग झंडुबाम के प्रचलित होने के पहले से ही किया जाता रहा है। काशिका में इसका प्रयोग खूब हुआ है।
..उम्दा पोस्ट।

प्रवीण त्रिवेदी said...

वाह मुन्नी बदनाम ने आपको भी तरोताजा कर ही दिया !!
झंडू बाम मलिए .........ब्लॉग पर चलिए !!

Mansoor ali Hashmi said...

"हिन्दी जगत की कई विडम्बनाओं में एक विडम्बना यह भी है कि यहां शब्दकोशों को अद्यतन नहीं किया जाता। शब्दों की बदलती अर्थवत्ता और उसके नए सामाजिक संदर्भों का उल्लेख कोशों में दर्ज़ करने की परम्परा नहीं है। झंड, झंडू या झंड करना के संदर्भ में भी यही बात सामने आ रही है।"
बड़ा महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकला है आपने.
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# 'भीड़' को भा रही है जब 'मुन्नी',
झुण्ड-दर-झुण्ड आ रहे है लोग,
है, 'अजितजी' भी उसके 'बाम'* पे आज, [*दर]
'Balm झंडू' लगा रहे है लोग.

anshumala said...

ये शब्द बचपन में तब सुना था जब यू पी में लोग लाटरी में हार जाते थे तो कहते थे कि वह झंडु हो गया है.मतलब बेकार चला गया | आपने एस बारे में काफी नई जानकारी दी धन्यवाद

Asha Lata Saxena said...

फिल्मी गीतों में सब जायज है |
मुझे तो यही मालूम था कि यह एक प्रकार का बाम है जो सर दर्द में लगाया जाता है |आज कल जो न हो वह थोड़ा है |
आशा

किरण राजपुरोहित नितिला said...

राजस्थान में इसे झड़ुलो उतारना या झड़ुलियो कहते है .
जो देवताओं के नाम पर जनम से बाल रखे जाते है उन्हें किसी खास दिन उतरने को झडुला कहते है जो की बड़ा उत्सव होता है .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मुन्नी बदनाम हुई तो
झण्डू की भी पोल समझ में आ गई!

उपेन्द्र नाथ said...

आपका झंडू शब्द का पोस्टमार्टम बहुत ही ज्ञानवर्धक रहा......... वैसे अब झंडू बाम को भी इस गाने से आपति नहीं है और लम्बी कानूनी प्रक्रियाओ से बचने के लिए हुए समझौते में झंडू बाम अब इस गाने का प्रायोजक बन गया है.

Anonymous said...

बहुत उम्दा जानकारी दी है आपने

डा० अमर कुमार said...


हे भगवान.. आपने अजित भाई झँडु शब्द की सर्वव्यापकता को खोद डाला, दुहाई है मालिक दुहाई !
पर यह प्रश्न तो अनुत्तरित ही रह गया कि सीता जी किसके पिता थे ?
शात काँड रमायन पोड़े शीता कार बाप
यह सवाल तो रह ही गया कि झँडु को व्यापक बनाने वाले करुणाशंकर जी झंडु भट्ट के नाम से क्यों जाने गये, क्या इस शब्द का गुज़रात की लोकभाषा के किसी विशेष भाव से सम्बन्ध है ?

डा० अमर कुमार said...


I mean to ask Other than सफ़ाचट खोपड़ी ?

अजित वडनेरकर said...

@डॉ अमरकुमार
एक संभावना या अनुमान व्यक्त किया है डॉक्साब-

झंडु भट्टजी के नाम के साथ झंडु शब्द मुझे लगता है गेंदे के लिए प्रचलित झंडु से ही आया है। झंडु भट्टजी ने पीलिया और मधुमेह जैसे रोगों पर महत्वपूर्ण अनुसंधान किया था। रक्तशुद्धि के लिए झंडु के सफल ओषधीय प्रयोगों के चलते संभव है उनके नाम के साथ यह शब्द सम्मान स्वरूप जुड़ा हो।

उम्मतें said...

संभव है आपके अनुमान सही हों !

Asha Joglekar said...

Zandu zendu, kanduk chendu, Zand, mundan, kitane shabdon ka nata rishta khoj nikala aapne.
wsise dilli men janha hum pehale rahate the (safdarjang enclave me us raste ka nam tha ya abhi bhee hai, chaudhari Zandu singh marg.

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