Monday, October 25, 2010

एक कलश पाकिस्तान में

puja3पिछली कड़ियाँ-1.कलश और कैलाश की रिश्तेदारी 2.कलश, कलीसा और गिरजाघर

लश के में निहित ऊंचाई का भाव प्रकाश, चमक और कांति से भी जुड़ता है। वर्ण का जलतत्व से रिश्ता है और जल की मेघ अथवा पर्वत से रिश्तेदारी में प्रकारांतर से ऊंचाई ही प्रकट होती है। विभिन्न स्रोतों को टटोलने पर पता चलता है कि अलग अलग भाषा परिवारों से जुड़े कई प्राचीन समाजों मसलन सेमेटिक, द्रविड़ या भारोपीय परिवारों की भाषाओं में कल् धातु मौजूद रही जिसमें ऊंचाई, चमक, सौन्दर्य अथवा जलतत्व का भाव था। रामविलास शर्मा की प्रसिद्ध पुस्तक भारत के भाषा परिवार के तीसरे खण्ड में दी गई शब्द सूची के अनुसार संस्कृत में कल् धातु का अर्थ पर्वत भी होता है जिसमें ऊंचाई का भाव निहित है। इससे बने कलिंग का मतलब हुआ पर्वतीय प्रदेश। तमिल में कल का अर्थ पत्थर होता है। लिथुआनी में भी कल्नस् का अर्थ पहाड़ है। गौरतलब है कि लिथुआनी का संस्कृत से साम्य है। लैटिन के कल्कुलुस् का अर्थ छोटा पत्थर होता है। कल्लिस यानी पथरीली राह और कल्लओ यानी संगदिल होना है। संस्कृत में कलिन्द यानी एक विशेष पर्वत होता है। ब्राहुई में ख़ल यानी पत्थर। जाहिर है इन सभी शब्दों में पहाड़ से रिश्तेदारी के तत्व मौजूद हैं और पहाड़ का सीधा संबंध ऊंचाई से है।
सी कल् धातु का रिश्ता जुड़ता है पश्चिमोत्तर पाकिस्तान स्थित हिन्दुकुश पर्वतमाला में बसे चित्राल इलाके के कलश क्षेत्र से जिसे यह नाम यहाँ रहनेवाली कलश जनजाति के कारण मिला है। कलश जनजाति को यह नाम क्यों मिला इसके पीछे दो धारणाएँ हैं। विभिन्न वेब सूत्रों में कलश नामकरण के पीछे इस जनजाति के लोगों द्वारा काले परिधान धारण करने को मुख्य वजह माना जाता है। इस जनजाति के जो भी चित्र मिलते हैं उन्हें देखने से यह तथ्य सत्यापित भी होता है। मगर इस बात की पुष्टि भाषाविज्ञान के जरिए नहीं होती। कलश भाषा इंडो यूरोपीय परिवार की इंडो ईरानी शाखा से संबद्ध है और इसे दरद परिवार की भाषा कहा जा सकता है। संस्कृत में काल का अर्थ काला भी होता है और समय भी। इसी तरह कल् धातु धातु से बने कलंक के मायने भी काला धब्बा होता है। मगर इससे कलश लोगों के श्यामवर्णी परिधान पहनने की गुत्थी नहीं सुलझती। ज्यादातर भौगोलिक-भाषायी संदर्भ कलश को इलाकाई और नस्ल के आधार पर प्रचलित शब्द मानते हैं। पाकिस्तान के जिस हिस्से को आज नूरीस्तान कहते हैं उसका ऊँचाई वाला हिस्सा ही कलश है।
गौर करें नूरीस्तान यानी नूर+स्तान (स्थान) के अर्थ पर जिसका अर्थ है रोशनी का स्थान। नूर का अर्थ चमक, कांति भी होता है। कलश में व्याप्त उच्चता, शिखर अथवा पराकाष्ठा के भाव पर गौर करें। पिछली कड़ी में कल् धातु के जलवाची भाव की व्याख्या हो चुकी है जिससे स्पष्ट है कि कलश में मेघालय, हिमालय जो जल के आगार हैं का भाव विद्ममान है। कलश के रूढ़ अर्थ
kalash... कलश मूलतः उत्तर पश्चिमी एशियाई पर्वतीय क्षेत्र के निवासी हैं। कुर्दों से उनके नैन नक्श मिलते हैं। यूँ भी कश्मीर से लेकर कुर्द तक जितने भी पर्वतीय जन हैं, अगर उनमें मंगोल नक्श को अलग कर दिया जाए तो वे एक जैसे ही नज़र आते हैं। ...
घट में यही जल के भंडार का भाव समाया है। कलश क्षेत्र के पहाड़ों पर सदा बर्फ जमी रहती है जिसमें कलश जैसी चमक भी है। स्पष्ट है कि कलश का नूरीस्तान नाम दरअसल कलश का शाब्दिक अनुवाद है जिसमें ऊंचाई, जल और चमक का भाव निहित है। कलश चूँकि भारत-ईरानी परिवार की भाषा है माना जा सकता है कि अगर पूर्वी हिमालय क्षेत्र के एक हिस्से को कैलाश नाम मिल सकता है तब पश्चिमी हिमालय के एक क्षेत्र को स्थानीय बोली में कलश या कलाशा कहा जा सकता है। अलग अलग भाषायी क्षेत्रों के बावजूद यहां की मूल आंचलिक बोलियों में कल् शब्द और उसकी समान अर्थवत्ता कायम रही होगी। स्पष्ट है कि इलाके को लोगों द्वारा काले वस्त्र पहनने के कुछ अन्य सामाजिक सांस्कृतिक कारण होंगे। किसी क्षेत्र विशेष का नामकरण वहां के निवासियों के परिधानों के आधार पर होने की मिसाल याद नहीं आती अलबत्ता रंग, संस्कृति, जाति या भाषा के आधार पर ही ज्यादातार भौगोलिक नामकरण करने का चलन रहा है। कलश भी एक पहाड़ी क्षेत्र है। कल् में व्याप्त उच्चता का भाव है। कलिंग का अर्थ भी पहाड़ी क्षेत्र है और कैलाश पर्वत से भी उच्चता उजागर है।
लश समुदाय को ग्रीक मूल का भी माना जाता है। इन्हें सिकंदर के उन सैनिकों का वंशज समझा जाता है जो यहीं बस गए थे। कम से कम पाकिस्तान का पर्यटन विभाग तो जोरशोर से इसकी पुष्टि करता है और जबसे नृतत्वशास्त्रियों और समाजविज्ञानियों ने इस ओर गौर करना शुरु किया, ग्रीस में भी कई समूह यही बात जोर शोर से प्रचारित करने लगे हैं। ग्रीक भाषा मे एक शब्द तलाशा गया है कैलोस KALLOS जिसका अर्थ है खूबसूरती, सौन्दर्य। थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि कलश की व्युत्पत्ति इस जनजाति के लोगों के अप्रतिम सौन्दर्य की वजह से मिली है। प्रश्न उठता है कि ग्रीस भी पहाड़ी क्षेत्र है तब इस यहां के किसी पहाड़ी क्षेत्र को कलश, कलाशा तो छोड़िए कैलोस नाम तक क्यों नहीं मिला? जाहिर है, यह सिर्फ़ ध्वनिसाम्य का मामला है। कलश मूलतः उत्तर पश्चिमी एशियाई पर्वतीय क्षेत्र के निवासी हैं। कुछ संदर्भों में कुर्दों से भी उनका  रिश्ता जोड़ा गया है। गौर तलब है कि कुर्द मूलतः वह पहाड़ी क्षेत्र है जो ईरान, इराक और तुर्की तक फैला है। कुर्द क्षेत्र की भाषाएं ईरानी परिवार की हैं। यूँ भी कश्मीर से लेकर कुर्द तक जितने भी पर्वतीय जन हैं, उनके नैन नक्श में समानता है। ध्यान रहे, यहां हम मंगोल जाति के लोगों की बात नहीं कर रहे हैं। कलश क्षेत्र के पुराने शासकों के तौर पर नेट पर राजावई और बुलासिंह जैसे नामों से भी यही साबित होता है कि यह क्षेत्र मूलतः वृहत्तर भारतीय क्षेत्र के निवासी हैं और इनकी भाषा का रिश्ता इंडो ईरानी परिवार से है। यह वही शाखा है जिसमें वैदिकी, अवेस्ता, संस्कृत, फ़ारसी, हिन्दी और उर्दू आती हैं।
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11 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

रोचक जानकारी..आभार.

प्रवीण पाण्डेय said...

संस्कृति, इतिहास, भूगोल और शब्दधारा का अतुलनीय संगम है आपका यह स्तुत्य प्रयास। जितनी धारा बहती है उतना आनन्द समाता है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

नयी जानकारी मिली।

उम्मतें said...

नूरीस्तान और कलश वाला अंश अनुमान / सम्भावनाओं पर आधारित है ! कलश को ग्रीक कैल्लोस से जोडना तो समझ आया पर उन्हे कुर्दिश नैन नक्श की साम्यता से जोडना ? इसके बाद सारे पर्वतीयजनों के मंगोल नक्श हटाकर कुर्दिश समानता का ख्याल ?

अजित वडनेरकर said...

@ali
शुक्रिया अली भाई, ध्यान दिलाने के लिए। मुझे भी लगा कि कुछ अस्पष्टता हो रही है। शायद ठीक से समझा नहीं पाया था। अब कुछ बेहतर हुआ है।

निर्मला कपिला said...

रोचक नई जानकारी। धन्यवाद।

रंजना said...

जन्म से लेकर इतने वर्ष ओडीसा में रही पर आज जाकर कलिंग का अर्थ जाना...
क्या सुन्दर विवेचना की है आपने...वाह !!!!

बहुत बहुत आभार ...

Gautam RK said...

बहुत रोचक जानकारी दी है आपने! आभार...


रामकृष्ण गौतम

Satish Saxena said...

जितना समझ सका, उसमें अच्छा लगा अजित भाई, आभार !!

RDS said...

बहुत गहन और शोधपरक सामग्री प्रस्तुत की है आपने ! कलशकथा का इतना विस्तार होगा, सोचा ही न था !

साधुवाद वडनेरकर जी !!

- RDS

Unknown said...

क्षमा पर मेरा यह विचार नहीँ है। मेरे विचार मेँ कलश जाति के उद्भव की एक ही धारणा है

ऋग्वेद मेँ कुरु विश् का उल्लेख आता है और यह भी मानना पड़ेगा कि दरद जाति और भाषाएँ उस प्रदेश मेँ हैं जहाँ ऋक्काल से ठीक पहले यानि ऋग्वेद की रचना से ठीक पहले आर्य बसे थे। पैशाची के ज़रिए कलश शब्द कुछ यूँ निकला होगा
कुरु विश्=> कुलु बिश=> कुलुईश=>कलश
इस प्रकार आधुनिक कलश जाति ऋग्वैदिक कुरु विश् ही है।

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