Sunday, October 17, 2010

दुनिया तमाशा है या जादू का खिलौना!!!

गत या संसार के अर्थ में हिन्दी में सर्वाधिक बोला जाने वाला शब्द है दुनिया। इसकी व्याप्ति न सिर्फ़ कई भारतीय भाषाओं में है बल्कि एशिया की प्रमुख ज़बानों में भी इन्ही संदर्भों में इस शब्द का इस्तेमाल होता है। यही नहीं यूरोप की कई भाषाओं में भी भिन्न अर्थ और उच्चारण के साथ यह शब्द मौजूद है। इसकी व्याप्ति न सिर्फ सेमिटिक परिवार की भाषाओं में है बल्कि भारोपीय परिवार के साथ तुर्किश अल्टाइक परिवार में भी दुनिया शब्द मौजूद है। दुनिया का इस्तेमाल हिन्दी में न सिर्फ आम बोलचाल में खूब होता है बल्कि अदबी ज़बान का भी यह बेहद क़रीबी और प्यारा लफ़्ज़ है। शायरों ने दुनिया शब्द का इस्तेमाल बड़ी खू़बसूरती से किया है। मशहूर शायर ग़ालिब कहते हैं-
बाज़ीचा ए अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे। 
होता है शबोरोज़ो तमाशा मेरे आगे।

इधर निदा फ़ाज़ली फर्माते हैं-
दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है। 
मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है।

दुनिया को कई तरह की उपमाएं मिलती रहती हैं। किसी के लिए दुनिया एक तमाशा है तो किसी के लिए खुदाई तोहफ़ा। कोई इस मिट्टी का खिलौना कहता है, कोई जादू का तो कोई बच्चों का, मगर है यह खिलौना ही। मगर हक़ीक़त में तो कारोबारे दुनिया में हम सब खिलौने नज़र आते हैं। दुनिया अगर खेल-खिलौना है तो सबसे बड़े खिलाड़ी इसे बनानेवालें, इसके सिरजनहार खुद परमात्मा हैं।

दुनिया मूलतः सेमिटिक भाषा परिवार का शब्द है और हिन्दी में इसकी आमद अरबी से, बरास्ता फ़ारसी हुई है जहाँ इसका शुद्ध रूप दुन्या है। दुन्या शब्द के विभिन्न एशियाई भाषाओं में अलग अलग उच्चारण हैं जैसे ज्युइश में दुन्ये, इंडोनेशियाई में दुन्या, किरगिज़ में दुइनो, पर्शियन में दोन्या, स्वाहिली में दुनिया, तातारी में दून्या, उज्ब़ेकी में दुन्यो वगैरह वगैरह। अरबी में इसका असली रूप है दुन्या और यह बना है अरबी के दाल-नून-वाव (dal-nun-waw ) से जिसमें निकटता या निम्नता अर्थात नीचाई का भाव है। निम्नता का अर्थ ओछापन या छोटापन नहीं बल्कि ऊंचाई का विलोम है। इससे मिलकर बने दुन्या शब्द का अर्थ है जो है अर्थात क़रीब है। ज़ाहिर है हमारे आसपास का गोचर जगत ही दुनिया है। जो कुछ भी दृश्यमान है, जो कुछ भी चल-अचल और दृष्टिगत है, वह सब दुन्या में शामिल है। दुनिया का स्थूल अर्थ जगत, विश्व या संसार है और सूक्ष्म अर्थ है मनुष्य से जुड़ी हुई हर बात दुनिया में शामिल है। इन्सान ने दुनिया को कुछ इसी तरह समझा है कि हर चीज़ के केंद्र में वह है। तमाम जीव, नदी, पहाड़, पेड़-पौधे उसके लिए हैं। ये सब उसके इर्दगिर्द हैं और इन सबका समूह, ज़खीरा ही दुनिया है। इसमें अच्छी-बुरी हर चीज़ शामिल है। मौसम के रंग से लेकर इन्सानी रंजो-ग़म तक इसमें आते हैं तो सुख-समृद्धि और सकल मनोरथ भी दुनिया का हिस्सा हैं। फारसी के प्रत्ययों का मेल इस दुन्या शब्द से बड़ी खूबसूरती से हुआ है कि लगता नहीं कि यह शब्द फ़ारसी का नहीं है। ये तमाम लफ्ज़ हिन्दी में भी प्रचलित हैं जैसे दुनियादार अर्थात जो संसारी मनुष्य, दुनियादारी यानी गृहस्थी, संसार का मोहपाश, सांसारिक बंधन, दुनियावी यानी सासारिक। मद्दाह साहब के कोश के मुताबिक शुद्ध अरबी में यह दुनयवी है मगर अरबी, फ़ारसी में दुनयावी प्रचलित है और हिन्दी में दुनियावी

ग्रीक भाषा के शब्द व्युत्पत्ति संदर्भों में भी दुनिया का उल्लेख दुन्या के रूप में बतौर तुर्किक शब्द दर्ज़ है। कुछ संदर्भों में सेमिटिक दुन्या को हैलेनिक, प्रकारांतर से ग्रीक मूल का माना गया है। तुर्की और ग्रीस पड़ोसी रहे हैं। तुर्किक भाषा मे भी संसार के अर्थ में दुन्या शब्द चलता है। इसका रिश्ता ग्रीक शब्द टौनिया ntounia से जोड़ा जाता है। यहां n यानी न की ध्वनि मौन है। इस तरह ग्रीक शब्द का उच्चारण हुआ टौनिया जिसमें घिरे हुए स्थान या पड़ोस का भाव है। हैलेनिक काल का एक शब्द है गी-टोनिया geitounia जिसका अर्थ है पड़ोस, मोहल्ला या टोला। यहां gei गी का अर्थ है जगत या संसार और Ktoina का मतलब है क्षेत्र, स्थान आदि। यानी भाव आबादी से है। इसकी रिश्तेदारी अंग्रेजी के टाऊन यानी छोटी बसाहट से है। बसाहट के अर्थ में टाउन में घिरी हुई जगह का ही भाव है। मगर यह बात गले नहीं उतरती कि दुन्या शब्द सेमिटिक परिवार को ग्रीक भाषा की देन है। सेमिटिक दुन्या का अर्थ सीधे सीधे संसार है। इसके अतिरिक्त इसमें आस-पास, नीचाई या निम्नता का जो भाव है, ग्रीक ntounia में सीधे सीधे पड़ोस का भाव है। अरबी में जिस दुन्या में आस-पास का भाव है जिसमें पेड़, पौधे और परिवेश तक आ जाते हैं वहीं इसके ग्रीक रूपांतर में यही "आस-पास" स्थूल रूप से "पड़ोस" का भाव ग्रहण करता है। जाहिर है यह परवर्ती विकास है। इसकी अगली कड़ी टाऊन शब्द के बसाहट वाले भाव में स्पष्ट हो जाती है। अंग्रेजी का डाऊन down शब्द भी इसी शृंखला से जुड़ा है। दुन्या में निहित नीचाई, निम्नता जैसे भावों पर गौर करें। अत्यंत प्राचीनकाल में मनुष्य पशुओं व अन्य जनजातीयों से बचने के लिए पर्वतीय प्रदेशों में रहता था। विकासक्रम में ऊंचाई पर किले, बुर्ज, दुर्ग, गढ़ आदि बने। बचाव की युक्तियां खोजने के बाद उसने नीचे के इलाकों अर्थात मैदानी इलाकों में रहना शुरू किया। दुन्या में समाए निम्न, नीचाई वाले भावों का विकसित रूप डाऊन और टाऊन जैसे शब्दों में खोजा जाना चाहिए।




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8 कमेंट्स:

प्रवीण पाण्डेय said...

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

प्रवीण जी की लाईन मै भी लिखने वाला था .दुनिया के बारे में दुनियावी बाते

Mansoor ali Hashmi said...

'डाऊन' हुए तो देखली 'दुनिया' 'क़रीब' से,
'ऊंचाई' चाहिए तो मिलेगी सलीब से,

'दुनिया' की तरह रहते है गर्दिश में ये सदा,
'अल्फाज़' भी मुसाफ़री करते नसीब से.

हर कौस पर बदलता है लहजा ज़ुबान का,
अपने ही 'शब्द' लगते अजीबो गरीब से.

दिनेशराय द्विवेदी said...

दुनिया का खूब खाक़ा खींचा है।

उम्मतें said...

अजित भाई ,
दीन-ओ-दुनिया के हवाले से कहूं तो दुनिया 'दीन' से इतर है ! दो समानांतर अर्थों वाले शब्द इहलौकिक और पारलौकिक जैसे...तो शायद दुनिया होने का मतलब लौकिक होना हो सकता है !

Baljit Basi said...

मुझे दुन्या को अंग्रेज़ी town या down के साथ जोड़ने वाली बात नहीं जची. Online Etymology ने town और down को सम्बंधित तो माना है लेकिन इसका हैलेनिक या तुर्किक के साथ रिश्ता नहीं जोड़ा . उसमें इन दोनों शब्दों का संबंध भारोपीय मूल dheue-
के साथ जोड़ा गया है:
dheue- "to close, finish, come full circle..."

RAJ SINH said...

अरे अजित जी हम तो बस ये कहेंगे की सफ़र लौटा दुनिया लौटी .

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar said...

अजीत जी,
शब्दों की सुन्दर दुनिया यहाँ हँस-खेल रही है। दुनिया... यानी ‘संसार’... शनै-शनै संसृति इति संसारः

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