Monday, December 24, 2012

मोदी की जन्मकुंडली

gnatmodikhana[ शब्द संदर्भ- असबाबअहदीमुसद्दीमुनीमजागीरदार, तहसीलदारवज़ीरसर्राफ़नौकरचाकरनायबफ़ौजदार, पंसारीव्यापारीदुकानदारबनिया-बक्कालक़ानूनगोलवाजमा, चालानजमादारभंडारीकोठारीकिरानीचीज़गोदामअमीर, वायसराय ]
प्रा  यः सभी भाषाओं के बुनियादी शब्दभंडार में जिन ख़ास स्रोतों से शब्द आते हैं उनमें सैन्य-प्रशासन जैसे क्षेत्र भी है । ऐसा ही एक शब्द है ‘मोदी’ modi वणिक वर्ग का एक उपनाम भी है जैसे प्रसिद्ध व्यावसायिक घराना ‘मोदी’ के संस्थापक रायबहादुर गूजरमल मोदी । उपनामों पर अगर गौर करें तो अधिकांश उपनामों के निर्माण का आधार स्थानवाची या कर्मवाची है अर्थात उपनाम धारण करने वाले के निवास या उसके खानदानी पेशा का संकेत इसमें छुपा होता है जैसे दारूवाला ( मद्य व्यवसाय ) या पोखरियाल (पोखरा वाला अर्थात पोखरा का निवासी ) आदि । ऐसा ही एक नाम ‘मोदी’ है मगर दो अक्षरों के इस सरनेम से ऐसा कोई संकेत नहीं निकलता जिससे इसमें निहित व्यवसायगत या जातिगत संकेत मिलें । हम सिर्फ़ रूढ़ अर्थ में जानते हैं कि ‘मोदी’ बनिया जाति का एक उपनाम है और बनिया व्यापार करता है । किन्तु मोदी शब्द में व्यापार जैसी अर्थवत्ता भी नहीं है । जानते हैं ‘मोदी’ की जन्मकुंडली ।

ब्दकोशों में ‘मोदी’ शब्द के बारे में तसल्लीबख़्श जानकारियाँ नहीं मिलतीं । लगभग सभी शब्दकोशों में ‘मोदी’ का रिश्ता संस्कृत के ‘मोद’ ( आनंद ) या मोदक ( लड्डू ) से जोड़ने का प्रयत्न नज़र आता है । खास बात यह भी कि तमाम कोशों में इसका अर्थ बनिया, अनाज का व्यापारी, नून-तेल-मिर्ची, आटा-दाल-चावल का आढ़ती, खाद्य सामग्री बेचने वाला परचूनिया, राशन-अनाज का किरानी आदि बताया गया है । ये सभी आशय संस्कृत के ‘मोद’ अर्थात आनंद, हर्ष, सुख के व्यावहारिक अर्थ से मेल नहीं खाते । जॉन प्लैट्स ‘मोदी’ का रिश्ता संस्कृत से जोड़ते हैं मगर उसका मूल नहीं बताते । यही नहीं, वे मोदी का मुख्य अर्थ मिठाईवाला या हलवाई बताते हैं । सम्भव है उनके दिमाग़ में ‘मोद’ से ‘मोदक’ अर्थात एक क़िस्म का लड्डू रहा हो । ‘मोदी’ का रिश्ता ‘मोदक’ से हिन्दी शब्दसागर में भी जोड़ा गया है, अलबत्ता ‘मोदक’ के अलावा उसके अरबी मूल का होने की सम्भावना भी जताई गई है । 

प्लैट्स के कोश में भी ‘मोदी’ को दुकानदार, बनिया, भंडारी आदि बताया गया है । गुजरात में मोढ़ वैश्य समुदायको मोढी भी कहा जाता है। इसका उच्चार भी कहीं कहीं मोदी की तरह किया जाता है। इस तरह यह स्थानवाची शब्द हुआ।  कुछ लोग सोचते हैं कि देशव्यापी मोदी का रिश्ता गुजरात के मोढेरा या गुजराती मोढ़ वैश्य समूदाय से है तो वह संकुचित दृष्टि है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में साहू तेली होते हैं। यह साहू मूलतः साह, साधु से ही आ रहा है। प्रभावशाली वर्ग। अरबी मोदी की तुलना में मोढी या मोढ़ उपसर्ग का अर्थ व्यापक है। मोढेरा से जिनका रिश्ता है वे सभी मोढ हैं। खास तौर पर वणिकों और ब्राह्मणों में आप्रवासन ज्यादा हुआ सो मोढेरा के लोग मोढ हो गए। गुजाराती विश्वकोश के मुताबिक मोढ़ समुदाय में ब्राह्मण, वैश्य, किरानी, तेली, पंसारी, साहूकार सब आ जाते हैं।
 

मारा मानना है कि ‘मोदी’ भी सैन्य शब्दावली से आया शब्द है । इसका रिश्ता सेना की रसद आपूर्ति व्यवस्था से है । ‘मोदी’ का निर्माण निश्चित ही मुस्लिम दौर में हुआ जब अरबी-फ़ारसी शब्दों की रच-बस भारतीय भाषाओं में हो रही थी । फ़ौजदार, जमादार, नायब, एहदी, बहादुर, नौकर, चाकर, ज़मींदार, कानूनगो, मुनीम समेत सैकड़ों अनेक शब्द गिनाए जा सकते हैं जो अरबी-फ़ारसी मूल के हैं और जिनका रिश्ता फ़ौज से रहा है । ‘मोदी’ भी मूल रूप से अरबी ज़बान से बरास्ता फ़ारसी, हिन्दी, पंजाबी, मराठी, गुजराती में दाखिल हुआ । इतिहास-पुरातत्व के ख्यात विद्वान हँसमुख धीरजलाल साँकलिया ने गुजरात के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, नृतत्वशास्त्रीय अध्ययन में इसे अरबी मूल का माना है । हालाँकि एस. डब्ल्यू फ़ैलन की न्यू हिन्दुस्तानी इंग्लिश डिक्शनरी में भी ‘मोदी’ का रिश्ता मोदक अर्थात लड्डू से जोड़ा गया है । ध्यान रहे मोदक का रिश्ता ‘मोद’ अर्थात आनंद से हैं ।
मोदी शब्द के अरबी होने के कई प्रमाण हैं । औपनिवेशिक शब्दावली के प्रसिद्ध कोश हैंक्लिन-जैंक्लिन में भी बनिया प्रविष्टि के अंतर्गत ‘मोदी’ का भी उल्लेख है । इसमें लिखा है कि “रियासती दौर में लगान की वसूली अनाज के रूप में होती थी उसे जिस गोदाम में इकट्ठा किया जाता था उसे मोदीखाना कहते थे । व्यापारी के अर्थ में एक अन्य शब्द ‘मोदी’ भी हिन्दी में प्रचलित है जिसका दर्ज़ा पंसारी या किरानी का है ।” आज भी देश के सैकड़ों शहरों-क़स्बों में ‘मोदीखाना’ नाम की इमारतें हैं जिनकी वजह से समूचे मोहल्ले या इलाक़े को भी मोदीखाना modikhana के नाम से जाना जाता है जैसे जयपुर का चौकड़ी मोदीख़ाना । इतिहास की क़िताबों में पंसारी या दुकानदार की अर्थवत्ता से इतर ‘मोदी’ शब्द के जो संदर्भ हैं उनमें उसे लगान अधिकार, कारिंदा, गुमाश्ता, दीवान, गाँव का मुखिया आदि बताया है। 

कृ.पा. कुलकर्णी के प्रसिद्ध मराठी व्युत्पत्तिकोश में ‘मोदी’ शब्द का अर्थ अनाज व्यापारी, दीवान, चौधरी, भंडारी आदि बताया है । ‘मोदी’ की व्युत्पत्ति अरबी के ‘मुदाई’ से बताई गई है जिसका अर्थ होता है विश्वस्त या भंडारी । मोदी के साथ ही मोदीखाना शब्द भी है जिसका अर्थ है फौजी रसद विभाग । ज़ाहिर है मोदी ही फ़ौजी रसद विभाग का प्रमुख यानी भंडारी हुआ । सिख विकी में भी मोदी शब्द का रिश्ता रसद, राशन, किराना से ही जुड़ता है न कि मिठाई या हलवाई से – “Modi Khana is a reference to a provision store or a food supplies store. It is referred to in the Janamsakhis of Guru Nanak when he worked in a food store in Sultanpur while staying in the town where his sister, Nanaki and her husband Bhai Jai Ram lived. ”  यही नहीं फारसी-मराठी कोशों में भी मोदी शब्द का उल्लेख है और इसका मूल ‘मुदाई’ बताया गया है ये अलग बात है कि अरबी, फ़ारसी, उर्दू कोशों में मुदाई शब्द नहीं मिलता । 
sutlerइंग्लिश-हिन्दुतानी, इंग्लिश-इंग्लिश, फ़ारसी-हिन्दी कोशों में मोदी का अर्थ सामान्य तौर पर आढ़ती ( grain merchant ) पंसारी ( grocer) बनिया ( trader ) विक्रेता ( vender ), व्यापारी ( Merchant ) दुकानदार ( shopkeeper ) के अलावा बतौर हलवाई या मिठाईवाला  'A sweetmeat-maker, a confectioner' भी मिलता है जिसका व्युत्पत्तिक सम्बन्ध कोशकारों नें ‘मोद’ या ‘मुद’ से जोड़ा है । ऐसा लगता है कि कोशकारों के मन में मोद = आनंद = मिठाई = हलवाई जैसा समीकरण रहा होगा अगर इसे किसी तरह कबूल भी कर लिया जाए तो भी यह मानना कठिन है कि हलवाई की अर्थवत्ता में पंसारी, आढ़ती, व्यापारी, बनिया, दुकानदार जैसे भाव कहाँ से समा गए ?

इसी कड़ी में क़रीब 110 साल पहले पोरबंदर रियासत के गजेटियर में ‘मोदी’ के बारे में लिखी ये पंक्तियाँ ध्यान देने लायक हैं- “In order No. 45* dated 17-8-1901 published in State Gazette Vol. XV regarding the Modi's duty to be present when called to fix the Nirakh of the Modikhana, the word " Modi " includes gheevvalas, fuel sellers, grocers, sweetmeat sellers, butchers &c.( The Porbandar State directory (Volume 2)” गजेटियर यह भी लिखता है कि मोदीखाना के लिए साल में एक बार स्थानीय व्यापारियों में से किसी एक को ठेका दिया जाता था ।
डिक्शनरी ऑफ़ द प्रिन्सीपल लेंग्वेजेज़ स्पोकन इन द बेंगाल प्रेसिडेंसी में पी.एस. डी’रोजेरियो भी ग्रोसर अर्थात किरानी के पर्याय के लिए ‘मोदी’ शब्द ही बताते हैं । हालाँकि वे इसके बांग्ला रूप ‘मुदी’ का उल्लेख करते हैं । बांग्ला और मराठी में ‘मोदी’ के साथ ‘मुदी’ mudi शब्द भी मिलता है । अंग्रेजी में एक शब्द है सटलर sutler जो मध्यकालीन डच भाषा के soeteler से बना है अर्थात सेना के लिए खान-पान सेवा चलाने वाला व्यापारी । अधिकांश प्रसिद्ध कोशों के पुस्तकाकार या ऑनलाईन संस्करणों में इसका हिन्दी अनुवाद मोदी ही दिया हुआ है । ध्यान रहे सामान्य तौर पर कैंटीन का अर्थ भी रसोई ही होता है । फौजी छावनियों को केंटोनमेंट cantonment कहते हैं जिसका संक्षेप कैंट होता है । अंग्रेजी कोशों में भी कैंट का मूलार्थ फौजी छावनी में राशन की दुकान है । अरबी के ‘आमद्दा’ में राशन पहुँचाने, मदद पहुँचाने या आपूर्ति का भाव है । ग्रोसर या पंसारी के तौर पर अरबी में ‘मोदी’ शब्द नहीं मिलता और फ़ारसी में भी नहीं पर इससे मिलते जुलते शब्द हैं जैसे मद्दी ( विषय-वस्तुओं में रुचि रखनेवाला), मुअद्दी ( पहुँचानेवाला, भेजनेवाला ), मद्दा ( विषय-वस्तु, सामग्री, चीज़, पदार्थ ) आदि जिनसे फ़ारस या भारत की ज़मीन पर मोदी शब्द विकसित हुआ होगा और वहीं से अन्य मुस्लिम शासित इलाक़ों की बोलियों में यह रचा-बसा होगा । –जारी 
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4 कमेंट्स:

दिनेशराय द्विवेदी said...

अच्छी जानकारी। हाडौ़ती मालवा में पनवाड़ी बिरादरी के लोग मोदी को जातीय रूप में प्रयोग करते हैं। भानपुरा में पान उत्पादन से विक्रय तक का उद्योग जातिगत रूप से मोदियों के हाथो में है।

Mansoor ali Hashmi said...

शब्द 'मोदी' , रहस्यमय निकला !
'रिश्ता' 'सौदागरी' से भी निकला.
'डाकूओ' के खजांची भी रहे,
और 'हाकिम' दिलो का भी निकला.
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जीत के 'मोद' में चले 'मोदी',
'केशुभाई' को 'मोदक' दिया.
"मुख में छुरी, बगल में है राम"
प्रचलित 'कौल' पलटा दिया!
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http://aatm-manthan.com

प्रवीण पाण्डेय said...

मन मुदित रहे, वही भाव भाता है,
नहीं तो शब्दों पर इतिहास चला आता है।

विष्णु बैरागी said...

मेरे कस्‍बेके प्रमुख बाजार का नाम 'डालुमोदी बाजार' है। कहते हैं कि उालुजी नाम के व्‍यापारी, रतलाम राज्‍य के भण्‍डार प्रभारी (मोदी) हुआ करते थे। उन्‍हीं के नाम पर बाजार का नामकरण हुआ है।

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