Thursday, February 5, 2009

भूख बढ़ाए जल जीरा…[ खान पान-4]

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cumin
शाहजीरा उच्चारण दोष का शिकार है। अपने मूल रूप में इसका नाम सियाह जीरा है जो इसकी काली रंगत की वजह से है।
लजीरा का नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है। भूख बढ़ाने और ज़ायका पैदा करने का इससे बेहतर इंस्टैंट टॉनिक कोई और नहीं हैं। जलजीरा बना है जल+जीरा के मेल से। मगर इसमें जीरे के अलावा अन्य मसालों का प्रयोग भी होता है तभी इसमें जाना-पहचाना ज़ायका आता है। इसके बावजूद इसका प्रमुख तत्व जीरा ही है जो एक प्रसिद्ध भारतीय मसाला है।
जीरा बना है संस्कृत धातु जृ से जिसमें क्षरण, घटना, कमजोरआ दि भाव हैं जिनसे हिन्दी के जरा(अवस्था), जीर्ण, जर्जर जैसे कई शब्द बने हैं। जृ में इन भावों के अलावा पाचन का भाव भी हैजो मूलतः जीरा के नामकरण का आधार है। गौर करें तो क्षरण, कमजोर, क्षीण, क्षय जैसे भावों का ही विस्तार है पाचन। भोजन को पचाने की क्रिया दरअसल आहार को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ने, पीसने से जुड़ी है। इसके अलावा आमाशय में आहार में विभिन्न पाचक रस घुलते हैं जो भोजन के पौष्टिक तत्वों को शरीर के ग्रहण करने लायक बनाने के लिए उसकी कठोरता-उग्रता को कम करने का काम करते हैं। ये सभी क्रियाएं पाचन से जुड़ी हैं और जृ धातु के मूल भावों को सिद्ध करती हैं।
जीरे की महिमा सम्पूर्ण मध्यएशिया और दक्षिण एशिया में नजर आती है जहां इसी शब्द के आसपास किसी न किसी उच्चारण से इस मसाले को पहचाना जाता है मसलन कजाखिस्तान में जैरे, अजरबैजान में सिरा, ज्यार्जिया में द्जिरा, फारसी में जिरेह और उर्दू में भी जिरेह कहा जाता है। हिन्दी, पंजाबी, बांग्ला में इसे जीरा, गुजराती में जीरू, तमिल में जीरगम्, तेलुगू में जिरकारा, बर्मा में जिया, थाईलैंड में यीरा और चीन में जीरन कहा जाता है। जीरा के कई प्रकार है जिन्हें उनकी कुछ भिन्न गंध और तासीर के चलते महत्व मिला हुआ है इनमें खास है शाहजीरा। नाम से ही स्पष्ट है कि जीरा की इस किस्म का प्रयोग शाही भोजन को लज़ीज़ बनाने में

पाकशाला गीत 11313 मैं जीरे की छौंक / और हूं लहसुन की चटनी / मक्का बाजरा की रोटी मैं / सौंधी गंध सनी. यह गीत मेरे गुरुवर प्रसिद्ध कवि प्रो.प्रेमशंकर रघुवंशी ने लिखा है। पूरा देखें यहां

होता रहा है। यह सामान्य से कुछ ज्यादा पतला, सुतवां और विशिष्ट सुगंध लिए होता है। वैसे शाहजीरा उच्चारण दोष का शिकार है। अपने मूल रूप में इसका नाम सियाह जीरा है जो इसकी काली रंगत की वजह से मिला है। इसे चलती हिन्दी में कालाजीरा भी कहा जाता है। अंग्रेजी में यह ब्लैक क्यूमिन है। इसके अलावा कश्मीरी जीरा और हिमालयी जीरा भी इसकी किस्में हैं। सामान्य जीरा सफेद जीरा भी कहलाता है। संस्कृत में जीरा के लिए सुषवी शब्द है जिसमें शीतल, ठंडा, सुखकर और रुचिकर करने का भाव है। जीरा में यह सभी गुण हैं क्योंकि इसकी मूल प्रकृति शीतल ही होती है।
जीरा के औषधीय गुणों की जानकारी मनुष्य को अत्यंत प्राचीनकाल से पता है। सीरिया और मिस्र के कुछ उत्खनन स्थलों पर चार हजार साल पुराने जीरा बीज मिले हैं। जीरा को पश्चिमी दुनिया में क्यूमिन (कमिन cumin) नाम से जाना जाता है। मूलतः अंग्रेजी में इस शब्द की आमद लैटिन कुमिनम से हुई है। स्पैनिश भाषा का कॉमिनो भी यूरोप में इस नाम के पीछे एक वजह माना जाता है। स्पैन में अरबों के शासनकाल के दौरान यह शब्द वहां पहुंचा। जीरा की तरह कुमिन नाम भी एशियाई मूल का है और सेमेटिक भाषा परिवार की प्राचीन सुमेरी भाषा का माना जाता है। इसका मूल स्वरूप था गमुन gamun जो अक्कद भाषा में क कमुनू kamûnu में बदलते हुए अरबी में हुआ अल कमून al-kamoun, मिस्री ज़बान में यह कम्मिनी kamnini कहलाया। हिब्रू में यह कम्मोन और पुरानी इराकी अर्थात आरमेइक में कमुना कहलाया। ईरान का एक प्रसिद्ध शहर है केरमान kerman इसके साथ भी जीरा अर्थात क्यूमिन बताई जाती है। प्राचीन संदर्भों के मुताबिक ईरान के केरमान प्रांत में इसकी खूब उपज होती थी। केरमान के कुमिन में तब्दील होने का क्रम कुछ यूं रहा- Kerman > Kermun > Kumun > cumin. भारत में नमकीन ज़ायका बढ़ाने के लिए मसालों की बुकनी अर्थात चूरण बनाय जाता है। जीरे की बुकनी प्रायः हर रसोई में होती है और तैयार भोजन पर इसे छिड़क कर तुरत-फुरत स्वादिष्ट बना लिया जाता है।
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12 कमेंट्स:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

जीरा के बारे मे सबकुछ पढ़ा . कई भाषाओँ मे जीरा ज से ही शुरू होता है रोचक तथ्य है

विष्णु बैरागी said...

ऊंट के मुह में नजर भी न आने वाला जीरा इतना बडा है-यह तो आपकी इस पोस्‍ट से ही मालूम हो पाया।
बीज में व़क्ष कैसे छुपा होता है, ऐसी पोस्‍टों से ही पता चलता है।

Smart Indian said...

बहुत पढ़ लिया, अब जाकर थोडा जलजीरा पीया जाए.

Dr. Chandra Kumar Jain said...

सौंधी गंध भरी पोस्ट
आभार अजित जी.
==============
चन्द्रकुमार

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया जी. वैसे जलजीरे का सीजन ( गर्मी ) आ ही गया है.

रामराम.

Anil Pusadkar said...

जीरे के गुणो के बारे मे आज पता चला वर्ना आज तक़ इस विषय मे सोचा भी नही था।खूब मेहनत का काम कर रहे है आप।

कुश said...

ओह जलजीरे के बारे में इतना तो मैं नही जानता था..

mamta said...

जीरे के विभिन्न नाम और प्रकार भी पता चले ।

Abhishek Ojha said...

एक स्पेनिश सहयोगी रही कुछ दिनों तक एक लैब में. लंच में कभी-कभी उनके यहाँ भी खाना होता. उनके उच्चारण बड़े भले लगते. स्पैनिश के मुंह से निकली अंग्रेजी... बड़ी मधुर लगती है. कोई जवाब नहीं ! एक ही मसाला उन्हें पसंद था और 'कॉमिनो' शब्द उन्हीं के मुंह से सुना था. काला मोटा जीरा (उतना स्वादिष्ट नहीं होता जीतना छोटे वाले होते हैं) खूब मिलता खाने में... थोड़ा कड़वा सा लगता और मैं मन में कहता 'आज बहुत कमीने खाए :-)'

Unknown said...

आप तो हर पोस्ट में हरिद्वार की याद दिला रहे हो.गंगा के किनारे जलजीरा वाला बैठा करता था जिसका जलजीरा बहुत स्वादिष्ट हुआ करता था.

Asha Joglekar said...

जीरे की इतनी लंबी गहानी है । कद छोटा पर कीर्ती महान वाली बात हो गई ।

Baljit Basi said...

आपने 'जरा' का मतलब 'अवस्था' कहा है, क्या बुढ़ापा ठीक नहीं रहेगा ? गुरु नानक ने कहा है, 'जरा मरण गतु गरबु निवारे' अर्थात बुढ़ापे, मौत और अहंकार दूर कर देता है . अंग्रेजी शब्द जेरिएत्रिक्स
इससे सम्ब्दत शब्द है.
अजीब बात है कि क्षरण, घटना वाले भाव देता 'जृ' बुढ़ापे की ओर ले जाता है जब कि ऐसे ही भाव देता 'क्षुद्' धातु छोटू की ओर ले जाता है.

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