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Sunday, May 31, 2009
बकवास है शब्दों का सफर…टिप्पणीकार भी मूर्ख!
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 53 कमेंट्स पर 3:26 AM
Saturday, May 30, 2009
ताल-मेल और ताले की बातें
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 15 कमेंट्स पर 3:18 AM
Friday, May 29, 2009
लालू-लल्लन के गुड्डे-गुड़िया
... छुटपन के प्रतीक गुड्डे-गुड़िया में एक शिशु की आदर्श छवियां होती हैं। वे खूबसूरत, गोलमटोल, स्वस्थ बच्चों का प्रतिरूप होते हैं …
गुड्डे-गुड़िया जैसे आकारों से लेकर सुग्गा-तोता, हाथी, बिल्ली व अन्य जीव-जंतुओं के रूपाकार भी शामिल थे। गुडः में हर तरह के पिंड का भाव है। खांडसारी का पूर्व रूप गुड़ भी इसी गुडः से निकला है। गुडः+इका के मेल से गुडिका बना जिसने गुड़िया का रूप लिया। गुड्डा भी इसी मूल से जन्मा। ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 16 कमेंट्स पर 3:56 AM
Thursday, May 28, 2009
पूनम का पराठा और पूरणपोळी [ खानपान-12]
इसी धातु से बना है। पत्ते के आकार में पल् धातु का अर्थ स्पष्ट हो रहा है। हिन्दी का पेलना, पलाना जैसे शब्द जिनमें विस्तार और फैलाव का भाव निहित है इसी श्रंखला में आते हैं।
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 24 कमेंट्स पर 3:06 AM
Wednesday, May 27, 2009
गुप्ताजी का राजकाज
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 18 कमेंट्स पर 1:39 AM
Tuesday, May 26, 2009
सिर के बालों ने बनाया सरदार [बकलमखुद-87]
दिनेशराय द्विवेदी सुपरिचित ब्लागर हैं। इनके दो ब्लाग है तीसरा खम्भा जिसके जरिये ये अपनी व्यस्तता के बीच हमें कानून की जानकारियां सरल तरीके से देते हैं और अनवरत जिसमें समसामयिक घटनाक्रम, आप-बीती, जग-रीति के दायरे में आने वाली सब बातें बताते चलते हैं। शब्दों का सफर के लिए हमने उन्हें कोई साल भर पहले न्योता दिया था जिसे उन्होंने सहर्ष कबूल कर लिया था। लगातार व्यस्ततावश यह अब सामने आ रहा है। तो जानते हैं वकील साब की अब तक अनकही सफर के पंद्रहवें पड़ाव और पिच्चासीवें सोपान पर... शब्दों का सफर में अनिताकुमार, विमल वर्मा, लावण्या शाह, काकेश, मीनाक्षी धन्वन्तरि, शिवकुमार मिश्र, अफ़लातून,बेजी, अरुण अरोरा, हर्षवर्धन त्रिपाठी, प्रभाकर पाण्डेय अभिषेक ओझा, रंजना भाटिया और पल्लवी त्रिवेदी अब तक बकलमखुद लिख चुके हैं।
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 25 कमेंट्स पर 2:59 AM
Monday, May 25, 2009
शेरसिंह, शायरी और बाल
एक प्रसिद्ध पुष्पतंतु को केसर कहते हैं कश्मीर घाटी में पाया जाता है। अरबी में इसे ज़ाफरान कहते हैं। केशरः से क वर्ण का लोप करें तो शरः और अरबी शार की बाल के अर्थ में रिश्तेदारी आसान लगती है। इंडो-ईरानी भाषा परिवार में संस्कृत का क ईरानी के ग में बदलता है। संस्कृत का केशः शब्द हिन्दी में भी केश बनता है और मराठी समेत कई अन्य ज़बानों में केस बनता है। फारसी में यही सहजता से गेसू हो जाता है जिसका अभिप्राय जुल्फों से है।
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 20 कमेंट्स पर 2:55 AM
Sunday, May 24, 2009
मुनिया और छुट्टन के छोरा-छोरी
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 20 कमेंट्स पर 3:00 AM
Saturday, May 23, 2009
सांकल और चेन का सीरियल…
जेवर है सांकल मालवी राजस्थानी में इसका उच्चार सांखल या सांखली भी होता है जो स्त्रियों का आभूषण भी होता है। |
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 16 कमेंट्स पर 2:26 AM
Thursday, May 21, 2009
औलाद बिन वालदैन इब्न वल्दीयत
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 16 कमेंट्स पर 2:46 AM
Wednesday, May 20, 2009
सेना से फौजदारी तक…
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 11 कमेंट्स पर 2:52 AM लेबल: government
Tuesday, May 19, 2009
तारीखों और वारों का चक्कर- [बकलमखुद-86]
... दिनेश भाई और शोभा भाभी को वैवाहिक वर्षगांठ की शुभकामनाएं...
दिनेशराय द्विवेदी सुपरिचित ब्लागर हैं। इनके दो ब्लाग है तीसरा खम्भा जिसके जरिये ये अपनी व्यस्तता के बीच हमें कानून की जानकारियां सरल तरीके से देते हैं और अनवरत जिसमें समसामयिक घटनाक्रम, आप-बीती, जग-रीति के दायरे में आने वाली सब बातें बताते चलते हैं। शब्दों का सफर के लिए हमने उन्हें कोई साल भर पहले न्योता दिया था जिसे उन्होंने सहर्ष कबूल कर लिया था। लगातार व्यस्ततावश यह अब सामने आ रहा है। तो जानते हैं वकील साब की अब तक अनकही सफर के पंद्रहवें पड़ाव और चौरासीवें सोपान पर... शब्दों का सफर में अब तक अनिताकुमार, विमल वर्मा, लावण्या शाह, काकेश, मीनाक्षी धन्वन्तरि, शिवकुमार मिश्र, अफ़लातून,बेजी, अरुण अरोरा, हर्षवर्धन त्रिपाठी, प्रभाकर पाण्डेय अभिषेक ओझा, रंजना भाटिया और पल्लवी त्रिवेदी अब तक बकलमखुद लिख चुके हैं।
कुछ साल पहले यूं मना था वकील साब का पच्चीसवां विवाहोत्सव बिटिया पूर्वा, शोभाजी, वकील साब और बेटा वैभव
पत्नी को बताया तो बोली अब तीन ही रहने दो, अपन चार को प्राइवेसी वाली मनाया करेंगे। ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 24 कमेंट्स पर 10:20 AM लेबल: बकलमखुद