Monday, March 19, 2012

खुलासे का खुलासा

Squeeze

प्या ज के छिलके की तरह ही शब्दों पर भी न जाने कितनी परतें चढ़ी रहती हैं । हर परत पर उस शब्द के चरित्र को बताने वाला एक डीएनए कोड दर्ज़ रहता है । सारी परतें उतारे बिना उस शब्द की अर्थवत्ता की थाह मिलना नामुमकिन है । इसी तरह प्रत्येक मनुष्य के स्वभाव का ब्योरा भी मन की अनेक परतों में दर्ज़ होता है । वक्त और जगह के साथ ही जिस तरह किसी व्यक्ति के बर्ताव में फ़र्क़ नज़र आने लगता है उसी तरह शब्दों के साथ भी होता है । ऐसा इसलिए होता है कि स्थान बदलने के साथ धीरे धीरे उस शब्द की विभिन्न अर्थछटाएँ प्रकट होती हैं यही बात इन्सानों के साथ भी होती है । तुर्कमेनिस्तान के नामालूम से सूबे फ़रग़ाना का एक नाकामयाब क़बाइली सरदार घोड़े पर ऐंड़ लगाते हुए निकल पड़ता है और हिन्दुकुश पर्वत पार करने के बाद एक के बाद एक कामयाबियाँ उसे मिलती जाती हैं और वह हिन्दुस्तान का बादशाह बन जाता है । लोग उसे बाबर के नाम से जानते हैं । दूरदराज़ से चल कर आए शब्दों के साथ भी यही होता है । अपनी मूल अर्थवत्ता से हट कर किसी शब्द के मायने दूसरी भाषा में जाने के बाद अक़्सर बदल जाते हैं । शब्दों का सफ़र में आज करते हैं ऐसे ही एक शब्द का खुलासा ।
रोजमर्रा की हिन्दी में खूब बोले जाने वाले शब्दों में खुलासा  khulasa शब्द का शुमार है । ‘खुलासा’ की आमद भी हिन्दी में फ़ारसी से हुई है मगर मूलतः यह अरबी ज़बान का शब्द है और इसका जन्म सेमिटिक धातु kh-l-s से हुआ है । ख-ल-स में शुद्ध, परिष्कृत, चमकदार, सार, खरा, सच्चा असली जैसे भाव हैं । इसी धातु से बना है ‘ख़ालिस’ khalis जिसका प्रयोग भी हिन्दी में खूब होता है । जिसमें किसी भी दूसरी चीज़ का मेल न हो, जो अपने शुद्धतम रूप में सम्मुख हो, एकदम खरी, शुद्ध या मिलावट रहित उस चीज़ के लिए ख़ालिस का प्रयोग किया जाता है । निर्मलता, निष्कपटता, मुक्त ( मिलावट से ), शुद्ध जैसे अर्थों में ख़ालिस का प्रयोग कई जगह होता है । अरबी मूल से आया सम्पत्ति अथवा धन के अर्थ वाला माल शब्द भारतीय भाषाओं में प्रचलित है । इस माल के असली होने के सन्दर्भ में खरा माल या खालिस माल जैसे शब्दों में खालिस शब्द को समझा जा सकता है ।
विद्वानों का मानना है कि सिख धर्म का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शब्द खालसा khalsa  भी इसी मूल से निकला है । फैलन का कोश स्पष्ट करता है कि ‘खालसा’ का शुद्ध अरबी रूप ‘खालिसह्’ है मगर बोलीभाषा में इसका प्रचलित रूप ‘खालसा’ ही है । तीनसौ साल पहले गुरु गोविन्दसिंह ने खालसा पन्थ की स्थापना की थी । ‘खालिस’ में निहित तमाम अर्थ कुल मिला कर सत्य के ही अलग अलग नाम हैं । अल सईद एम बदावी  और एमए अब्देल हलीम अपनी कुरानिक डिक्शनरी में सेमिटिक धातु kh-l-s में उक्त सभी भावों के अलावा मित्रता, किसी के साथ चलना, किसी से जुड़ना जैसे भावों का खुलासा भी करते हैं । इसी तरह यह कोश खालिस में भी सत्य, शुद्ध, खरा के अलावा ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव बताता है । इसमें आत्मज्ञान की प्राप्ति या अपनी तलाश में दुनिया से खुद को दूर करने जैसा भाव भी है । सत्य एक है । वही सार्वकालिक परम ब्रह्म है । इसे अलग अलग धर्मों में अलग अलग नामों से जाना जाता है । खालसा पंथ में यह अकाल पुरुख akaal purukh है ।
मुग़लों के ज़माने की भूराजस्व शब्दावली में ख़ालसा शब्द ज़मीन बंदोबस्त के तहत भी प्रयोग होता था । कृषियोग्य सरकारी भूमि ‘खालसा ज़मीन’ कहलाती थीं । उत्तर से दक्षिण भारत तक,

.headlines.. आजकल मीडिया रहस्योद्घाटन के रूप में भी खुलासा शब्द का प्रयोग करता है … “स्टाम्प घोटाले में बड़ा खुलासा” यानी किसी खास तथ्य का सामने आना । मगर आजकल ऐसे शीर्षक पढ़ कर यही लगता है कि खुलासा शब्द सनसनी का पर्याय बन गया है...

जहाँ भी मुग़लों का शासन था, यह शब्द प्रचलित हुआ । मराठी में खालसा या खालिसा शब्द आज भी चलन में है । यह अरबी के ख़ालिसह् से बना है जिसका अर्थ है जिसमें कोई मिलावट न हो, जो सिर्फ़ एक की मिल्कीयत हो अर्थात यहाँ अभिप्राय शासन की ज़मीनों से है । खालसा ज़मीन वह भी है जिसे कोई न जोत रहा हो, जिसका स्वामी कोई न हो और वह भी जिसे राजस्व न चुकाने की वजह से जब्त कर लिया गया हो । इस कार्रवाई को खालसा करना कहते थे । जाहिर है राजस्व न चुकाने वाली भूमि राज्य की हुई और इस पर दूसरे का कब्ज़ा माना जाएगा । उसे खाली कराने की क्रिया खालसा कहलाई । ‘खाली कराना’ या खलास करना जैसे शब्दों के सन्दर्भ में इसे समझा जा सकता है । खालसा ज़मीन उस भूमि को भी कहते है जो बेहद उपजाऊ हो । आखिर भूमि का असली गुण तो उर्वरा होना ही है । जो ज़मीन ख़ालिस है , वही तो ख़ालसा कहलाएगी । ख़ालिस का एक रूप निखालिस भी मिलता है । शब्द सागर के अनुसार यह अरबी के ख़ालिस में हिन्दी का नि उपसर्ग लगाकर निखालिस बना लिया गया है ।
सेमिटिक धातु kh-l-s से बने विभिन्न शब्दों और अर्थ छटाओं को जानने के बाद अब आते हैं ‘ख़ुलासा’ पर । इसका शुद्ध अरबी रूप खुलासाह् है । मद्दाह के उर्दू-हिन्दी कोश के मुताबिक ‘खुलासा’ का अर्थ है सार, संक्षेप, निचोड़, परिणाम, नतीजा, सारांश, तल्ख़ीस (बहुवचन-खुलासा, सारतत्व) आदि । इसी तरह जॉन शेक्सपियर के कोश में इसके मायने हासिल, नतीजा, उत्तम, सार, सत्व, इत्र, अनुमान, सर्वश्रेष्ठ भाग, विशाल, बड़ा आदि बताए गए हैं । गौरतलब है कि आज की हिन्दी में खुलासा शब्द का इस्तेमाल मीडिया में किसी सूचना के सन्दर्भ में ज्यादा होता है । खुलासा का प्रयोग करते हुए हमारे दिमाग़ में किसी बात को विस्तार  से जानने का आशय होता है । “ज़रा खुलासा करो” में बात को खोल कर बताने का आग्रह है । शब्दकोशों में दिए गए ‘खोलना’ शब्द का अर्थ अधिकांश लोग विवरण या विस्तार से लगाते हैं जो दरअसल ग़लत है । पूरा विवरण तो कहानी या क़िस्सा कहलाएगा, जो कि खुलासा का आशय नहीं है । अंग्रेजी के substance, out-come, onclusion, abstract जैसे शब्दों से ‘खुलासा’ का भाव स्पष्ट होता है ।
ख़-ल-स में निहित सार, सत्व, सत्य, निचोड़ जैसे आशयों पर गौर करें तो स्पष्ट होता है कि किसी सूचना या बात के मूल में निहित मूल तथ्य से आशय है । किसी हत्याकाण्ड का ‘खुलासा’ अनेक सम्भावित कारणों में से अवैध सम्बन्ध हो सकता है । ‘खुलासा’ में ढीला करना, शिथिल करना जैसे भाव हैं । जब किसी फल से रस या सार निकाला जाता है अथवा किसी चीज़ को निचोड़ा जाता है तो उसे ढीला करना पड़ता है । फल का गूदा खाने के लिए उसे खोलना पड़ता है । फल का पकना दरअसल शिथिल होने की प्रक्रिया है । उसके बाद ही उसमें से मीठा रस निकलता है । यही सार है और इसमें जो भाव है उसे ही खुलासा कहते हैं । किसी नतीजे तक पहुँचने के लिए उस सूचना या खबर का पकना ज़रूरी है । उसके बाद ही परिणाम हासिल होगा । यह जो हासिल है, यही है खुलासा । “उन्होंने इस बात का खुलासा किया” में आशय ‘स्पष्टता’ का है न कि ‘विवरण’ है । ज़ाहिर है भीतर की चीज़ को बाहर लाने के लिए उसे खोलना पड़ेगा, तभी वह साफ़ साफ़ नज़र आएगी । आजकल मीडिया रहस्योद्घाटन के रूप में भी ‘खुलासा’ शब्द का प्रयोग करता है । “स्टाम्प घोटाले में बड़ा खुलासा” यानी किसी खास तथ्य का सामने आना । मगर ऐसे शीर्षक पढ़ कर यही लगता है कि खुलासा शब्द अब सनसनी का पर्याय बन गया है ।

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

7 कमेंट्स:

प्रवीण पाण्डेय said...

खालिस लेख है...खुलासा करता हुआ।

Anonymous said...

मैं आपके ब्लॉग का सदा प्रशंसक रहा हूँ । आप इन शोधपरक लेखों को लिखने में काफी परिश्रम करते हैं । इसके लिए आपको साधुवाद !
पर कुछ लेखों में थोड़े और सन्दर्भ की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे लेखों के कई तथ्यों से पाठकों की असहमति हो सकती है ।
यदि संभव हो तो कुछ नए शब्द जिनसे हमारा परिचय कम है, परिचय करने की कृपा करें ।
रवि शंकर प्रसाद, धनबाद, झारखण्ड, भारत

Asha Joglekar said...

य़ह खुलासे का खुलासा जोरदार रहा ।

संगीता पुरी said...

अच्‍छी जानकारी ..

Mansoor ali Hashmi said...

आपके लेख के 'उपसंहार' का एक 'सार' यह भी हो सकता है [कृपया, 'बौद्धिक वर्ग' इसे अन्यथा न लेवे] :

बंधी मुट्ठी का जैसे खुल जाना,
चीज़ 'ख़ालिस' का जैसे मिल जाना,
कर गए है कई 'ख़ुलासे' आप,
हासिल होतेय 'खल्लास'* हो जाना ! *मुम्बईया शब्द

विष्णु बैरागी said...

भूमि प्रबन्‍धन से 'खालसा' की सम्‍बध्‍दता के उल्‍लेख से जिज्ञासा उपजी है - क्‍या 'खसरा' और 'खालसा' में कोई अन्‍तर्सम्‍बन्‍ध है?

sudarshan said...

sir is khulasa ko padhe bina ise samajhna namumkin tha, aaj is post ko mere ek sathi ne bhee padha usne kaha shabdon kee is gahrai ko kabhi samajhne kee jaroorat hee mahsoos nahin hui thee

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin