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Thursday, May 24, 2012
सुभीता और सहूलियत
बो लचाल की हिन्दी का एक आम शब्द है सहूलियत जिसका प्रयोग सुभीता, सुविधा, आसानी के अर्थ में होता है । सहूलियत का मूल तो अरबी भाषा है मगर हिन्दी में यह फ़ारसी से आया है । दरअसल इसका शुद्ध अरबी रूप सहूलत है । मराठी में सुविधा या आसानी के लिए सवलत शब्द प्रचलित है । इस सवलत में अरबी सहूलत के अवशेष देखे जा सकते हैं । सहूलत जब फ़ारसी में पहुँचा तो इसका रूप सोहुलत हुआ । इस रूप के अवशेष भी मराठी के सोहलत में नज़र आते हैं । सहूलत का एक और रूप भी मराठी में है व्यंजन का रूपान्तर सहजता से स्वर में हो जाता है । अरबी सहूलत से जिस तरह मराठी में सवलत बन रहा है उसी तरह लोकबोली में तत्सम शब्दावली के सुविधा का रूपान्तर सुभीता होता है । मालवी, राजस्थानी, भोजपुरी, अवधी आदि बोलियों में सुभीता का सुविधा से प्रयोग होता है ।
सेमिटिक धातु s-h-l में सम, समतल, समान, चिकना, सपाट जैसे भाव हैं । ध्यान रहे, किन्हीं बातों या वस्तुओं को दुरूह, कठिन, मुश्किल, पेचीदा, जटिल बनाने वाला जो प्रमुख कारण है वह है “सम” का अभाव । ऊबड़-खाबड़, गड्ढों भरी सड़क पर चलना दुरूह होता है । जटिल, उलझी हुई बातें हमेशा पेचीदा ही समझी जाती हैं । खुरदुरापन हमेशा ही दुर्गुण है चाहे वह पेड़ की छाल हो या रूखी त्वचा । कोई सतह सम अर्थात एक समान हो, किसी रस्सी में गाँठ न लगी हो, समुद्र में तूफान अर्थात लहरें न हों, किसी बात में उलझाव न हो तो कल्पना करें कि सब कुछ कितना सुखद होगा ? तो मूलतः जीवन में जो कुछ भी उलझाव, अटकाव है उससे मुक्ति पाने और एक समान, चिकना, सपाट बनाने का आशय है सेमिटिक धातु स-ह-ल में ताकि सब कुछ सरलता, सहजता से हो जाए । स-ह-ल से बने सह्ल का हिन्दी रूप सहल है जिसका अर्थ सरल, सहज, सुगम होता है । सहूलत या सहूलियत का प्रयोग मूलतः सुविधा के अर्थ में होता है मगर इसकी अर्थवत्ता व्यापक है और सुगमता, आसानी, क़ायदा, नियम, अनुशासन, आराम, विश्राम, स्पष्ट, सरल, निर्बाध, निर्विघ्न, सपाट, सहज, शान्त जैसे भाव इसमें है ।
गौर करें कि असमानता, धक्का-मुक्की, हिचकोले, खड्डे, ऊबड़-खाबड़पन, उद्विग्नता, क्रोध, विषाद, अस्थिरता आदि बातें ही जीवन को अशान्त, असुविधापूर्ण बनाती हैं । इनके न होने की कामना ही हर कोई करता है । सहूलियत की ज़िंदगी में साधनों से आशय नहीं बल्कि बाधाओँ, रुकावटों से मुक्त जीवन से है । हमारे पास कार हो या न हो, सड़क की अगर मरम्मत हो जाए तो दोनों ही स्थितियों में यह सुविधा की बात होगी । यहाँ साधन महत्वपूर्ण नहीं है । “मुझे सहूलियत चाहिए” और “मुझे सहूलियत से रहते आना चाहिए” दोनों बातों में फ़र्क़ है । पहले वाक्य में किन्हीं सुविधाओं की इच्छा जताई गई है जबकि दूसरे वाक्य में नियम, क़ायदा, सहजता, शान्ति जैसे अनुशासनों का पालन करते हुए सहज-सरल जीने का ढंग विकसित करने का आशय है ।
सुविधा के मूल में है संस्कृत का विधा शब्द, जो बना है विध् धातु से । ध्यान रहे आसान, सरल और समान बनाने के लिए हमेशा ही चीज़ों के गुँथे हुए रूप को खोलना पड़ता है , विभाजित करना पड़ता है, तोड़ना पड़ता है । ऊबड़-खाबड़ रास्ते के पत्थरों को तोड़ कर एक समान किया जाता है । गठान को दो हिस्सों में खोला जाता है । विध् में चुभोना, काटना, बाँटना, विभाजित करना जैसे भाव खास हैं । इसके अलावा सम्मानित करना, पूजा करना, राज्य करना जैसे भाव भी हैं । विध् का ही एक रूप वेध भी है जिसमें छेद करना, प्रवेश करना, चुभोना का आशय है । वेध में शोध भी है । लक्ष्यवेध, शब्दवेध जैसे शब्दों को इन आशयों के जरिए परखें । जाहिर है किसी दिशा में गहराई तक जाकर कोई तथ्य निकाल कर लाना ही शोध है । बींधना या बेधना जैसे शब्द इसी मूल से उपजे हैं । रास्ता बनाने के लिए भी पहाड़ में सुराख करना पड़ता है, तोड़ना पड़ता है ।
मोटे तौर पर विध् में राह, परिपाटी का भाव है और विधा में भी यही आशय है । बाद में विकल्प, माध्यम, रूप, समाधान और तरीका के रूप में भी राह, रीति जैसे शब्द को नई अभिव्यक्त मिली । सुविधा का अर्थ भी स्पष्ट है । वह तरीका, प्रणाली या रास्ता जो उचित, सुचिन्तित, सुगम है । सुविधा उस रीति या राह को कहते हैं जिस पर चलना सुगम, सरल, सहज हो । आर्य भाषाओं में व का रूपान्त ब होता है और फिर ब का बदलाव भ में होता है । गौर करें वैजयंती शब्द पर । लोकबोली में यह बैजंती होता हुआ भैजंती तक बनता है । यह मुखसुख के परिवर्तन हैं । सुविधा से सुभीता का क्रम भी कुछ यूँ रहा- सुविधा > सुबधा > सुभीता । सुभीता में भी तरीका, प्रणाली, सहूलियत, सुयोग, चैन, सुख, आसानी का आशय हैं ।
ज़रूर देखें -मै इधर जाऊं या उधर जाऊं!!!
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6 कमेंट्स:
बहुत सुन्दर! शब्द भी कित्ता रूप परिवर्तन करते हैं अपनी यात्रा के दौरान!
achhi jaankari
आप से सदा कुछ न कुछ मिलता है ......
शुभकामनाएँ !
वि उपसर्ग और विधा प्रत्यय - बन गया विविधा..दुगना व्यवस्थित पर इसे फुटकर चीजों के लिये प्रयुक्त किया जाता है।
व्यवस्था 'भ्रष्ट' इसलिए तो हुई,
कि मेंहनत बिना ही 'सुविधा' मिले !
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'सुविधा जनक' है "सुविधा" बड़ी, ["Toilet"]
जो खाया-पिया है, चुका दीजिये !
'सहुलत' फराहम यूं ख़ुद को करे,
दिया कम, ज़्यादा लिया कीजिए.
http://aatm-manhan.com
बडी सहूलियत हुई आपके इस लेख से सहहल सहूलत, सवलत. सुविधा और सुभीते को समझने में ।
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