Wednesday, June 17, 2015

//मोम में 'मधु' की तलाश//


से शब्द जिनका कोई समानार्थी या पर्याय नहीं मिलता, उनमें ‘मोम’ भी है। मोम यानी क्या? यह जानकर ताज्जुब हो सकता है कि मोम भी हिन्दी का अपना नहीं बल्कि बरास्ता फ़ारसी हिन्दी में समाया है। ऐसा नहीं कि वैदिक अथवा संस्कृत शब्दावली में मोम के लिए शब्द नहीं हैं किन्तु हिन्दी में इनकी छाया भी नज़र नहीं आती। फ़ारसी में मोम शब्द की व्युत्पत्ति मूम से मानी जाती है। इस मूम का मूल क्या है इसके आगे रास्ता बन्द मिलता है। हिन्दी में इस कड़ी में मोमजामा, मोमबत्ती, मोमिया जैसे कुछ पद प्रचलित हैं। जानते हैं मोम के जन्मसूत्रों को और इस फ़ारसी शब्द के संस्कृत-वैदिक रिश्तों को।

मोम के जितने भी विकल्प संस्कृत में मिलते हैं उन सबका रिश्ता मधु से जुड़ता है। संस्कृत में मधु का अर्थ फूलों का रस यानी शहद होता है, यह सब जानते हैं। इसी का विस्तार मदिरा या मद्य भी है जिसका अर्थ है शराब। मदिरा और मद्य भी मधु से ही विकसित है। फ़ारसी में शराब को मय कहते हैं। संस्कृत के मद्य से द का लोप करें तो फारसी का मय प्राप्त होता है। इसी के साथ मधु में मोम का भाव भी है। मधु का एक अन्य अर्थ है मधुमक्खियों का छत्ता।  जाहिर है कि मोम से अभिप्राय मधुमक्खियों द्वारा बनाए गए छत्ते से ही है। संस्कृत में ‘मधुकाश्रयम्’ का अर्थ भी मोम होता है और मधु भी। ‘मदना’ का अर्थ भी वही है जो अंग्रेजी में wax का होता है। इसी तरह एक अन्य शब्द है सिक्थक जिसका अर्थ भी मधुमक्खियों के छत्ते से प्राप्त मोम है। यूँ सिक्थ का अर्थ मोम भी होता है और पकाया हुआ चावल भी।

गौरतलब है कि मराठी में मोम के स्थान पर मेण शब्द प्रचलित है। मोमबत्ती की जगह वहाँ मेणबत्ती शब्द का इस्तेमाल होता है। इसी तरह सिन्धी में भी मेण शब्द प्रचलित है। ध्यान रहे, प्राचीनकाल में दुनियाभर में पशुओं की वसा या चर्बी का इस्तेमाल रात में उजाले के लिए किया जाता रहा है। इसके लिए संस्कृत में मिद्, मिन्द, मिन्न जैसे शब्द हैं जिसमें फूलने का भाव है। इसका एक अर्थ चर्बी या वसा भी होता है।

राजनिघण्टु में मोम के अनेक नाम दिए गए हैं- सिक्थकम्, मधुजम्, विघसम्, मधसम्भवम्, मोदनम्, काचम्, उच्छिष्टमोदनम्, मक्षिकामलम्, क्षौद्रेयम्, पीतरागम्, स्निग्धम्, माक्षिकजम्, क्षौद्रजम्, मधुशेषम्, द्रावकम्, मक्षिकाश्रमयम्, मधूत्थितम् और मधूत्थम् आदि। मोम को संस्कृत में मधुज भी कहा गया है अर्थात शहद से बना हुआ या जिसे शहद के छत्ते से प्राप्त किया गया हो।

मधुजम् शब्द पर गौर करें। मधु से जन्मा यानि मोम। मधुजम् से मउअम, मऊम और फिर मूम प्राप्त होता है। इसी तरह फ़ारसी की ओकारान्त प्रवृत्ति को ध्यान रखें तो मधुजम् > मउअम > मऊम > मूम > मोम के विकासक्रम से बात सुलझ जाती है। बेशक मोम फ़ारसी लफ़्ज़ है किन्तु उसका मूल इंडो-ईरानी है। यह कहने की ज़रूरत नहीं कि मधु शब्द की जड़ें समूचे भारोपीय परिवार की अनेक भाषाओं में व्याप्त हैं। इस पर फिर कभी।

‘ममी’ यानी संरक्षित मृतदेह से भी इस मोम का रिश्ता है। अरबी के ‘ममियाह’ शब्द का लैटिन रूप हुआ ममिया जो बिटुमिन या डामर के अर्थ में ही रहा और लैटिन से यह अंग्रेजी में ममी हुआ। अरबी का ममियाह भी फ़ारसी मोम का ही रूपान्तर है। प्राकृतिक परिवर्तनों के तहत भूमि के भीतर दफ्न हो गई जीवधारियों की देह तो फॉसिल अथवा जीवाश्म कहलाईं। मगर पुनर्जन्म की कल्पना के चलते दुनियाभर की संस्कृतियों में मृतदेह को इस आशा में संरक्षित करने की परंपरा रही है कि पुनर्जन्म के वक्त आत्मा को फिर पुराना शरीर मिल जाए। इसके लिए प्रचलित शब्द है ममी।

यह शब्द मिस्र की संस्कृति से आया है मगर है अरबी का जिसका मूल फारसी है। समझा जाता है कि प्राचीन प्राचीन मिस्र में इसी भूगर्भीय काले पदार्थ, जो गोंद, टार, वैक्स या राल से मिलता जुलता था, मृत देह के परिरक्षण के लिए इसका शरीर पर लेपन किया जाता था। इस देह के लिए ही ममी शब्द प्रचलित हुआ।
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