Tuesday, July 3, 2007

हाइड्रोजन ही पानी है


कैमिस्ट्री की दुनिया में आक्सीजन और हाइड्रोजन से मिलकर पानी का निर्माण हुआ है अर्थात पानी की रचना में हाइड्रोजन का योगदान है। इसके उलट भाषा विज्ञान की दुनिया में यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि हाइड्रोजन शब्द के निर्माण में पानी की खास भूमिका रही है। जानते हैं कैसे।
संस्कृत में पानी के लिए कई शब्द हैं इनमें उदकम् , उदम् या उदक भी हैं और ये शब्द जल भंडार, सागर या जलाशय का अर्थ रखते हैं। इन सभी शब्दों का निर्माण संस्कृत की धातु उद् से हुआ है जिसमें अतिशय ऊंचाई पर , उत्तर में या ऊपर जैसे भाव हैं । जाहिर सी बात है मनुश्य की स्मृतियों में उत्तर दिशा में स्थित हिमालय ही पानी का उद्गम रहा है। उद् से ही बना उद्र जिसका अर्थ हुआ पानी। इसमें सम् उपसर्ग लग जाने से बना समुद्र जाहिर है जहां बहुत सा पानी हो वही समुद्र होगा। शिव के कई नामों में एक नाम समुद्र भी है।
पानी के लिए उद् धातु का प्रसार पश्चिम में भी हुआ और इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार में उडेर, वेडोर , वेड जैसी नई धातुएं बनीं जिनसे यूरोपीय भाषाओं में कई शब्द बने। सबसे पहले बात हाइड्रोजन की। उद्र से ग्रीक भाषा में हुद्र (हुड्र), हुदोर (हुडोर) जैसे शब्द बने जिनसे हाइड्रोजन समेत पानी से रिश्तेदारी रखने वाले अनेक शब्दों का जन्म हुआ। अंग्रेजी का वाटर यानी पानी और वेट यानी नमी जैसे शब्द भी इसी से बने हैं क्रम कुछ यूं रहा होगा - उद-उड-हुड-वेड-वेट-वाटर। गौरतलब है कि सर्दियों के लिए अंग्रेजी में विंटर शब्द है जिसका जन्म भी उड या वेड की शब्दश्रृंखला से है जिनसे वेट (नमी) जैसे शब्द बने और जिनका अर्थविस्तार शीतऋतु हुआ। यही नहीं, डच में वैटेर, जर्मन में वैसर समेत कई यूरोपीय भाषाओं में इससे मिलते जुलते शब्द हैं जिनका अर्थ पानी या लहर है। रूसी में पानी के लिए वोद शब्द है । विश्वप्रसिद्ध रूसी शराब वोदका का नामकरण इससे ही हुआ है। व्हिस्की के पीछे भी यही शब्दश्रृंखला हैं।

2 कमेंट्स:

हरिराम said...

शब्दों की व्युत्पत्ति के बारे में आपके विचार शोधपरक हैं।

अनामदास said...

अजित जी
ज़रा ठहरिए, मेरे पास कुछ सटीक उदाहरण हैं. घंटी बज रही है.

उदबिलाव यानी पानी का बिलाव, पानी में रहने वाला बिल्ला या बिल्ली

बिहार और उत्तर प्रदेश में गीले को ऊदा या उदा भी कहते हैं.

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