Friday, November 16, 2007

ऋषि में समा गए मुर्शिद और राशिद

देवनागरी का अक्षर दरअसल संस्कृत भाषा का एक मूल शब्द भी है जिसका अर्थ है जाना, पाना। जाहिर है किसी मार्ग पर चलकर कुछ पाने का भाव इसमें समाहित है। इसी तरह के मायने गति या वेग से चलना है जाहिर है मार्ग या राह का अर्थ भी इसमें छुपा है। की महिमा से कई इंडो यूरोपीय भाषाओं जैसे हिन्दी , उर्दू, फारसी अंग्रेजी, जर्मन वगैरह में दर्जनों ऐसे शब्दों का निर्माण हुआ जिन्हें बोलचाल की भाषा में रोजाना इस्तेमाल किया जाता है। जरा देखें, कहा-किस रूप में। से ही बना है ऋत् जिसके मायने हुए पावन प्रथा या उचित प्रकार से । हिन्दी का रीति या रीत शब्द इससे ही निकला है। का जाना और पाना अर्थ इसके ऋत् यानी रीति रूप में और भी साफ हो जाता है अर्थात् उचित राह जाना और सही रीति से कुछ पाना। का प्रतिरूप नजर आता है अंग्रेजी के राइट ( सही-उचित) और जर्मन राख्त में।
मार्ग के अर्थ में हिन्दी में प्रचलित राह या रास्ता जैसे शब्द वैसे तो उर्दू-फारसी के जरिये हिन्दी में आए हैं मगर इनका रिश्ता भी से ही है। फारसी में रास के मायने होते हैं पथ, मार्ग। इसी तरह रस्त: या राह का अर्थ भी पथ या रास्ता के साथ साथ ढंग, तरीका, युक्ति भी है। उर्दू-हिन्दी में प्रचलित राहगीर, राहजनी, राहनुमा और राहत जैसे ढेरों शब्द भी इससे ही बनें हैं। कुछ अन्य शब्द भी देखे।
हिन्दी संस्कृत का जाना-पहचाना ऋषि शब्द देखें तो भी इस की महिमा साफ समझ में आती है। ऋ से बनी एक धातु है ऋष् जिसका मतलब है जाना-पहुंचाना। इसी से बना है ऋषिः जिसका शाब्दिक अर्थ तो हुआ ज्ञानी, महात्मा, मुनि इत्यादि मगर मूलार्थ है सही राह पर ले जाने वाला। फारसी के रशद या रुश्द जैसे शब्द जिसका अर्थ है सन्मार्ग, दीक्षा और गुरू की सीख। इसी से बना रशीद जिसके मायने हैं राह दिखानेवाला। राशिद भी इससे ही बना है जिसके मायने हैं ज्ञान पानेवाला। यही नही मुर्शिद यानी गुरू में भी इसी ऋ की महिमा है। इसी तरह सीधा - सरल और जाना-पाना का अर्थ विस्तार हुआ और अंग्रेजी के रैंक(श्रेणी) और स्ट्रैट (सीधा) जैसे कई अन्य शब्द भी बने।

2 कमेंट्स:

Anonymous said...

चलिये सलमान रुश्दी के नाम का मतलब तो पता चला....:)

अभय तिवारी said...

फ़ारसी में रास्त के एक मायने सच्चा और सीधा भी होता है.. उस से ही रास्ता का अर्थ पथ हुआ क्योंकि वह सीधा होता है.. रास्त का दूसरा अर्थ दाहिना भी होता है.. और चप का उल्टा या बाँया.. तो चपरास्त से बन गया चपरासी जो इधर उधर भागने का काम करता हो..

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