हिन्दी में रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और मंडियों में एक शब्द अक्सर सुनाई पड़ता है वहा है खलासी या खल्लासी। आमतौर पर ये कामगारों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है जिसका मतलब होता है सामान उतारने वाला श्रमिक। खलासी पूरे भारत में प्रचलित शब्द है। खलासी शब्द से जुड़े की शब्द आज हिन्दी–उर्दू में प्रचलित हैं जिनके दार्शनिक अर्थ और व्याख्याएं भी हैं।
अरबी ज़बान में एक शब्द है ख़ला जिसके मायने होते हैं अंतरिक्ष, आसमान, रिक्त स्थान, शून्य आदि। इसके अलावा एकाकीपन, एकान्त आदि भाव भी इसमें समाहित है। खला से ही बना है खालीपन। ख़ला में व्याप्त आसमान और अंतरिक्ष के भाव का विस्तार भी शामिल है अर्थात यह संसार या सभी कुछ जड़-जंगम दृष्टिगोचर इसमें आ जाते हैं। इससे ही बना है ख़ल्क़ [ khalaq / khalq ]यानी सृष्टि , विश्व , संसार। पुराने दौर की कहावत ख़ल्क़ खुदा का , मुल्क बादशाह का जैसी कहावतों में यह जिंदा है।
अब गौर करें ख़ला मे निहित अंतरिक्ष वाले अर्थ पर । मूलतः यही अर्थ व्यापक है। अंतरिक्ष क्या है ? अंग्रेजी में इसे स्पेस कहते हैं यानी खाली जगह । ख़ला से ही बना है अरबी, फारसी और उर्दू का ख़ाली शब्द जिसका अर्थ होता है रिक्त करना । अंतरिक्ष भी रिक्त स्थान ही है। दार्शनिक अर्थों में इसे शून्य भी कहा जाता है। ख़ाली से ही बना है खलास अर्थात रिक्त करना , मुक्त करना , छुटकारा , रिहाई वगैरह।
प्राचीनकाल से ही अरब लोग सौदागरी में माहिर थे और सामुद्रिक व्यापार में खूब बढ़े-चढ़े थे। देश-विदेश के माल से लदे उनके जहाज़ बंदरगाहों पर आ टिकते और मज़दूरों का ख़ास तबका इन्हें ख़ाली करने के काम में जुटता । जहाज़ को खाली करानेवाले ही खलासी कहलाए। भारत में खलासी सामान्य मज़दूर भी कहलाता है और ट्रक को अनलोड कराने वाला श्रमिक भी। गोदी (बंदरगाह )पर काम करनेवाला श्रमिक भी खलासी कहलाता है और रेलवे के
एक निम्न वर्ग में इसी पदनाम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती भी होती है। अब रिक्त कराने या खाली कराने के अर्थ मे तो खलास का अर्थ स्पष्ट हुआ मगर मुंबइया ज़बान में किसी को मारने , कत्ल करने जैसे अर्थ में भी खल्लास जैसा शब्द चलता है। गौर करें खलास में शामिल मुक्ति या छुटकारा दिलाने जैसे भाव पर । खल्लास यहां आकर कत्ल का अर्थ लेता है।
अरबी शबद खला का एक रूप खुलू भी है जिसका मतलब भी खाली होना, रिक्त होना है। खुलूद में निहित रिक्तता या शून्यता का भाव इसे ब्रह्मत्व से भी जोड़ता है । ब्रह्म यानि सर्वोच्च , अनित्य, चिरंतन। इसी तरह स्वर्ग के अर्थ में अरबी में खुल्द शब्द है। ग़ालिब ने कहा है-
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
कुल मिला कर यह सृष्टि शून्य है । शून्य ही ब्रह्म है और सबको एक दिन ब्रह्मलीन हो जाना है। आप चाहें तो कह सकते हैं कि खल्लास हो जाना है। क़यामत या महाप्रलय का सिद्धांत तो यही कहता है। मगर ख़ला तब भी बनी रहेगी। ख़ालीपन तब भी रहेगा जिसे भरने फिर सृजन होगा।
[ प्रसंगवश बता दें कि अरब के पहले रॉक बैंड का नाम भी खलास ही है। इस संदर्भ में हमें एक दिलचस्प वीडियों मिली जिसका इस पोस्ट से कोई लेना-देना नहीं है । हमें अरबी संगीत बहुत पसंद है और यह भी पसंद आया। आप भी लीजिए आनंद
]
आपकी चिट्ठियां
सफर के पिछले तीन पड़ावों [ भैया हम तो आनंद पा गए, स्कर्ट की तकदीर है मुसलसल छोटा होते जाना, आसमां पे है खुदा और ज़मीं पे हम... ]पर इरफान, दिनेशराय द्ववेदी, संजय , विजय गौर, यूनुस, सजीव सारथी, संजीत त्रिपाठी, डॉ चंद्रकुमार जैन, अनूप शुक्ल, अनिता कुमार , अजित, मीनाक्षी, डॉ प्रवीण चोपड़ा, विमल वर्मा , प्रमोद सिंह, लावण्या शाह, दीपा पाठक, नीरज रोहिल्ला , ईष्टदेव सांकृत्यायन, प्रशांत प्रियदर्शी, अशोक पाण्डे,अनिल रघुराज , काकेश , सृजनशिल्पी, घोस्टबस्टर, मनीष,अफ़लातून, सुनीता शानू, घुघूती बासूती , अर्चना जोगलेकर की उत्साहवर्धक टिप्पणियां मिलीं। आप सबका बहुत बहुत आभार ।
Wednesday, March 26, 2008
खल्लास हो जाएगा एक दिन सब कुछ ...
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 1:39 PM
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14 कमेंट्स:
ऊर्दू में एक शब्द है मौसी के लिए खाला, इसका कोई संबंध तो नहीं है यहां से
खल्लास पर ये शोध बहुत अच्छा लगा,पर आशीष की बात का भी जवाब अगर दे सके तो मैं भी जानना चाहता हूँ,खल,खलबली, या खाला का भी कुछ संदर्भ मिलता है क्या? वाकई एक दिन सब कुछ तो खल्लास हो जाना है...
न हो ख़ला तो कुछ न हो,
कुछ होने को खला चाहिए।
ज्ञानवर्धक!!
विमल जी के कहे मे ये भी जोड़ना चाहूंगा कि ये जो समाचार चैनलों को इन दिनों "खली फीवर" चढ़ा है वह खली भी बताएं ;)
अरबी में बातचीत में खलास का प्रयोग ओके की तरह होता है. हर वाक्य के अंत में लोग आईसी, ओके, राइट, फाइन की तरह खलास का प्रयोग कहते हैं, कुछ इस तरह की ये बात हो गई अब अगली बात.
शुक्रिया. जानने लायक जानकारी है.
खल्लास.आपकी तारीफ के लिये शब्द खल्लास हो गये हैं भाई!! :)
शब्दों की आपकी व्याख्या अप्रतिम होती है। अर्थहीन होते जा रहे शब्दों के मूल में जाकर आप ऐसे ही सार्थक हस्तक्षेप करते रहें। हमारी शुभकामनाएं।
रोचक जानकारी...खजूर की एक किस्म को भी खलास कहते हैं, वैसे तो हज़ारों किस्में हैं लेकिन हमें शुकरी और खलास ज़्यादा पसन्द हैं. ईरान में किसी प्रियजन के न होने पर भी खाली शब्द का इस्तेमाल होता है- "जा ए शोमा खाली"... आपकी जगह खाली है यानि उस व्यक्ति की कमी महसूस की जा रही है.
अच्छी जानकारी
आभार आपका
फिर गड़बड़ हो गयी है अजित भाई। ऊपर वाला अनिल रघुराज मैं नहीं हूं। हालांकि अगर मैं भी होता, तो वही बात कहता, जो मेरे नाम के सज्जन ने ऊपर कह दी है। इसलिए ये आपकी इच्छा पर निर्भर है कि ऊपर वाला कमेंट रहने दें या डिलीट कर दें।
मैने इसीलिए कहा अनिलभाई के ये नटखट
बेनामी ही असली ब्लागवीर हैं। अब आपने जो लिखा है कि आपके जुड़वां बेनामी अनिल रघुराज(बेनामी) की टिप्पणी रहने दूं या नही ये मेरी मर्जी है । तो बिना इस नटखट की टिप्पणी के आपकी टिप्पणी बेमानी हो जाएगी। अब क्या किया जाए ! एक बारगी इसे सभी को देख लेने दीजिए । बाकी देखते है :)
वैसे आपका शुक्रिया और बेनामी का भी।
ये बेनामी अनिल रघुराज का क्या चक्कर है जी
खुली गुत्थी ख़ालीपन की
खल्क का पढ़कर बयां
बादशाहत सफ़र की ये
जीतती दिल का ज़हां !
इस तरह खुलकर जिएं
आबाद दुनिया के लिए
कुछ न हो तो फिर शुरू हो
कुछ नया सा सिलसिला.
अजीत जी,
इस पड़ाव की भी बधाई !
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