हिन्दी में जमाई के लिए पाहुना, पावणा कंवरसाब ब्याहीजी और यजमान जिजमान जैसे शब्द भी इस्तेमाल किए जाते हैं। |
Monday, February 9, 2009
जमाई, दामाद क्यों… दूल्हा, दुर्लभ क्यों…
पु त्री के पति के लिए हिन्दी में दामाद शब्द आम है। वैसे इस रिश्ते के लिए जमाई, जामाता जैसे शब्द भी हैं मगर दामाद बोलचाल में ज्यादा घुलामिला है। दामाद शब्द मूलतः हिन्दी का नहीं है मगर हिन्दी के जमाई से इसकी गहरी रिश्तेदारी है। मान्यता है कि जमाई दसवां ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सौरमंडल में नौ ग्रह ही हैं। कन्याराशि से संबद्ध होने के कारण जमाई को दसवां ग्रह माना गया है-जामाता दशमो ग्रहः ।
उपरोक्त उक्ति से यह स्पष्ट है कि कन्यावर का जितना सम्मान भारतीय संस्कृति में है उतना अन्य किसी संबंधी का नहीं है। खासतौर पर दामाद और उसके परिजन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं इसीलिए समधी शब्द को संबंधी अर्थात रिश्तेदार का पर्याय होना चाहिए था मगर यह शब्द सिर्फ वैवाहिक संदर्भ में ही प्रयुक्त होता है। संस्कृत में एक शब्द है जामातृ जिसका अर्थ होता है पुत्री का पति। इस शब्द में स्वामी, मालिक का भी भाव है। हिन्दी का जमाई और जामाता शब्द भी जामातृ से ही उपजे हैं। कही कहीं इसे यामाता भी कहा जाता है। कुछ व्याख्याकार जा अर्थात संतान और मा यानि निर्माण करना से जामाता की व्युत्पत्ति बताते हैं अर्थात जो संतान का निर्माण करे। संस्कृत का जामातृ शब्द अवेस्ता में जामातर का रूप धारण करता है और फिर फ़ारसी में यह दामाद हो जाता है। तुर्की में भी यह दामातर के रूप में मौजूद है जबकि ग्रीक में जामितर के रूप में इसकी उपस्थिति है। मराठी का जावई भी जामातृ का ही अपभ्रंश है। हिन्दी में जमाई के लिए पाहुना, पावणा, कंवरसाब, ब्याहीजी और यजमान, जिजमान जैसे शब्द भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
संस्कृत में पुत्री के लिए जामा शब्द है। इमें पुत्रवधु का भाव भी निहित है। जामिः का अर्थ भी स्त्रीवाची है जिसमें बहन, पुत्री, पुत्रवधु, निकट संबंधी स्त्री, गुणवती स्त्री आदि। ये दोनो शब्द बने हैं जम् धातु से जिसका अर्थ होता है भोजन। जीमण, ज्योनार जैसे शब्द इसी जम् धातु से बने हैं। जम् में ज वर्ण में निहित उत्पन्न करना जैसा भाव शामिल है। जम् अर्थात आहार ही जीवन का मुख्य आधार है। हमारे समाज में पारंपरिक तौर पर भोजन निर्माण का काम स्त्री ही करती आई है इसीलिए जम् से बने जामिः अथवा जामा में भोजन निर्माण करनेवाली स्त्री का भाव भी निहित है। इसी क्रम में आता है जाया शब्द जिसका अर्थ है पत्नी। दम्पती की तर्ज पर पति-पत्नी के लिए जायापति या जम्पती शब्द भी है।
कन्या के भावी पति को दूल्हा भी कहा जाता है। यह शब्द कुछ रस्मों तक ही प्रयोग में आता है क्योंकि उसके बाद उसे पति का दर्जा भी मिल जाता है। कहते हैं कि शब्द बोलते हैं। इनके जरिये इतिहास, संस्कृति, परंपरा हर बात के साक्ष्य मिलते हैं। दूल्हा शब्द अपने आप में भारतीय समाज में कन्या की स्थिति को स्पष्ट करता है। यह शब्द बना है संस्कृत के दुर्लभ शब्द से, इसका अपभ्रंश हुआ दुल्लहओ जिससे बना खड़ी बोली का दूल्हा। जाहिर है कि प्राचीनकाल से ही कन्या का विवाह पिता के लिए भारी चिंता का विषय रहा है। कन्या के लिए अच्छा पति मिलना पुराने ज़माने से ही मुश्किल रहा है इसीलिए सुपात्र को दुर्लभ माना गया जो बाद में दूल्हा के अर्थ में वर का पर्याय हो गया। समाज ने मान लिया कि कन्या का जिससे विवाह हो रहा है वह दुर्लभ-पात्र ही है। पुत्री के विवश पिता कैसे कैसे दुर्लभ और सुपात्र जमाई ढूंढते हैं यह आए दिन उनके कुकर्मों से उजागर होता रहता है।
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:04 AM
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15 कमेंट्स:
बहुत रोचक जानकारी, क्या मैं रोचक जानकारियों का स्रोत जान सकता हूँ!
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चाँद, बादल और शाम
@विनय
शब्दों का सफर के सहयात्री अक्सर इसकी सामग्री के बारे मेंस्रोत का संदर्भ जानना चाहते हैं। मैं एकाधिक बार इस बारे में बता चुका हूं। साइड बार में कुछ अपनी में भी इसका स्पष्ट संकेत दिया है। आपकी जिज्ञासा संभव है आप कहां से जुगाड़ करते हैं... पोस्ट को पढ़ने से शांत हो जाए।
बहुत सुंदर व्याख्या है, लेकिन यह परिकल्पना खतरनाक दर्जे तक सच है कि 'भोजन निर्माण का काम स्त्री ही करती आई है इसीलिए जम् से बने जामिः अथवा जामा में भोजन निर्माण करनेवाली स्त्री का भाव भी निहित है।'
आज भी अधिकांश समाजों में स्त्री की स्थिति खाना बनाने वाली जितनी ही है। यहाँ तक कि पत्नी की मृत्यु पर अधेड़ द्वारा विवाह के लिए कन्या तलाशने या अपने कम उम्र के बालक का विवाह करने के पीछे सब से बड़ा तर्क यही दिया जाता है कि घर में कोई भोजन बनाने वाला नहीं है।
यह पोस्ट अनायास ही एक बार फिर 'पुरुष प्रधानता' को ही रेखांकित करती है। 'यत्र नार्यस्तु पूजते, तत्र रमन्ते देवा' वाली उक्ति अन्तत: 'स्त्री' का अहम् तुष्ट कर उसे बरगलाने के लिए ही प्रयुक्त की जाती है/होगी, यह निष्कर्ष भी निकलता है।
दामाद के लिए मालवा में कहा जाता है - 'बेटी देकर बेटा लिया।' लेकिन यह 'बेटा' जब त्रस्त कर देता है तो चेताया जाता है 'जमाईजी, पांव पूजे हैं, सिर नहीं।'
बहरहाल, शब्द सम्पदा बढाने वाली एक और सुन्दर पोस्ट।
बहुत उपयोगी जानकारी दी है।आभार।
हमारी भाषा मैथिली में जमाई का एक और नाम है "पाहून" कभी इस पर भी प्रकाश डालिए.. जानने को उत्सुक हूँ..
@प्रशांत प्रियदर्शी
ज़रूर लिखूंगा प्रशांत। कई दिनों से टल रहा है इस पर लिखना। काफी दिलचस्प है यह शब्द। मैं तो यह शब्द भी दामाद के साथ निपटा रहा था, मगर फिर लगा कि इस पर पूरी पोस्ट बननी चाहिए क्योंकि इसमें विस्तार ज्यादा है। दामाद का अर्थ तो सिर्फ दामाद ही है मगर पाहून में दामाद सीमित दायरे में है जबकि मेहमान का अर्थ व्यापक दायरे में हैं, सो इस पर स्वतंत्र पोस्ट लिखूंगा। हालांकि पाहून के अन्य रूप पाहुना, पावणा का उल्लेख मैने पोस्ट में किया है।
यहाँ आकर कोई नई जानकारी न मिले ऐसा भला हो सकता है क्या ।
दामाद से एक कहावत याद आ गई पहले दामाद फ़िर जीजा फ़िर फूफा ।
एक और सुंदर जानकारी....... शब्दों के साथ साथ अपनी संस्कृति को भी जाना जा सकता है आपके ब्लॉग पर, आपकी व्याख्या इतिहास की कड़ियों की सुंदर श्रंखला सी लगती है.
आभार आप की सुंदर लेखन कला का
'पाहून बन के मत बैठो'... इस तरह की कहावतें भी बहुत होती हैं उनके लिए जो अलसी होते हैं या किसी और को काम करने के लिए बार-बार कहते हैं. बहुत इज्जत पाई है दामादों ने इतिहास में.
safar me sardi vali dhoop hai or sufiyat ki chaanv bhi.daamad;durlabh paatr pdh kr hi mja aagya aage to sunne ko bhi mili nusrat ki kalandari.
उर्दू के जामिन शब्द का क्या अर्थ है ? दूल्हा शब्द शादी के बाद भी प्रयुक्त होता है !
आपके आलेखों को पढ़कर बस सोचती रह जाती हूँ कि आपके पास ज्ञान का कितना बड़ा भण्डार है.......
लाजवाब.....बिल्कुल नई जानकारी थी.....आभार...
हमेशा की तरह एक नयी जानकारी मिली. जमाई से दामाद तक तो ठीक. लेकिन दूल्हे का दुर्लभ होना अच्छा नहीं लगा.भविष्य में दुल्हन भी दुर्लभ होने वाली है.
आपका ब्लॉग उम्दा है, अफ़सोस इस बात का कि पहले नज़र से नही गुज़रा ...खैर... अब आना jaanaa लगा रहेगा...
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