…बिछौना धरती को कर ले अरे आकाश ओढ़ ले… ... नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है, उसके आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं......
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प्रस्तुतकर्ता
अजित वडनेरकर
पर
2:57 AM
16.चंद्रभूषण-
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15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
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11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
17 कमेंट्स:
आपसे बढिया आदमी कोई नहीं। आपकी इस पोस्ट ने जी प्रसन्न कर दिया यह बता कर कि मैं मेरी 'बध्द' और 'बस्ता' को लेकर जानकारियां पूरी तरह सही हैं।
आपने तो मार्निंग गुड कर दी।
बस्ता, बिस्तर और बिछौना, सबकी खोली पोल,
सुबह हो गयी कर लो भैया, अपना बिस्तर गोल,
बिस्तर से उठते ही बिस्तर,बिछोने की बात अच्छी लगी . बचपन मे बस्ता हर क्लास मे नया लेने की जिद करते थे लेकिन पुराने से काम चलाना पड़ता था .
कचहरी मे आज भी वकीलों के बिस्तर होते है और बस्ता भी
बिस्तर बिछाने को हिन्दी में शायद डासना भी कहते हैं .यह देखिये -
डासत ही यह रात गयी
तुलसी कबहूँ न नीद भर सोये !
अजित जी,
सफ़र ने ही शब्द संसार की
विभूति का परिचय देकर हमें
जिज्ञासा वृद्धि का उपहार दिया है,
पर उसे शांत करने का 'बंदोबस्त' भी
इस तरह कर दिया आपने कि बिस्तर पर जाएँ
ओ सफ़र सपनों में आता है...बिस्तर छोडें
तो यहाँ पहुँचकर स्वप्न सच में बदल जाता है !
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वाग्देवी सदैव आप पर प्रसन्न रहें, यही कामना है.
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
आज यह भेद खुला है
कि बस्ताधारकों को
आती है नींद क्यों
अपार
इसी से हुआ है
बिस्तर का विस्तार।
बस्ते से ही जुड़े हुए हैं
बिस्तर के तार
बिस्तर वाले सपनों में
खुलते हैं रचनाओं के
विविध विषय प्रकार।
इससे नहीं कर सकेंगे
अजित जी भी इंकार
जब बिस्तर पर लेटे थे
तभी पाया था पोस्ट
यह लिखने का विचार।
बस्तः से ही तो बस्ती भी हुआ होगा?
स्कूल का सफ़र तो बस्ते के साथ शुरू हुआ मगर बस्ते के सफ़र की कहानी आज पता चली।जानकारी बढाने के लिये आभार्।
ज्ञान का ऐसा बंदोबस्त!! बहुत मस्त!!
बांधने बिछाने को न्यूनतम हो; सब जाये बांटने में - मानव का विस्तार तो उसी में है।
आपकी पोस्टें टेंजेंशियल सोचने का मसाला देती हैं।
दिनेशराय द्विवेदी
बसाहट के अर्थ में जो बस्ती है उसकी रिश्तेदारी वस् धातु से बने वासः से ही। इससे ही अनेक शब्द बने हैं जो आश्रय का भाव रखते हैं विस्तार से देखें लिबास,निवास और हमारा बजाज
अरविंद मिश्र
सही है अरविंदजी। अलबत्ता 'डासना' का अर्थ पूर्वी बोलियो में बिछौना है या नहीं,यह तय नहीं है मगर 'डासत' शब्द के पीछे यहां भाव शयन की व्यवस्था करते रहने से या "बिछाते-बिछाते" से ही है।
बहुत सही है जी.
रामराम.
छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार !
आंखों भर आकाश है, बाँहों भर संसार !!
- निदा फाज़ली
चैन की नींद से बड़ा सुख और क्या ? अभागा वह जो धन कमाए बिछौना सजाए पर सो न पाए ! बिस्तर अनेक; पर एक झपकी को तरसता बेचारा आदमी ! मेहनतकश के लिए पुआल पर स्वर्ग सी शैया ; अलाल को मलाल ही मलाल !!
सो, दिल में चैन हो तो बिस्तर की क्या बिसात !! बिछात हो न हो नींद खुद पलक पांवडे बिछाए तैयार !! मन से राग द्वेष और चाहना हटे तो निंदिया रानी से भेंट हो | बिस्तर की खूब कही !
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट । ज्ञान की पर्त खोलती है ।
अजित जी ,
मैंने थोडा पूंछ पछोर किया -दसना शब्द बिछौना बिछाने के लिए प्रयुक्त होता है -दसनी कथरी जैसा बिछौना है ! बिस्तर दसाई देने का मतलब है बिस्तर बिछा देना ! शुक्रिया !
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