Friday, June 5, 2009

घासलेटी साहित्य और मिट्टी का तेल

…साहित्यिक बिरादरी में ऐसे कई महान लेखक हुए हैं जिन्होने सचमुच घासलेट की रोशनी में ही ज्ञान अर्जित किया है और फिर उत्कृष्ट साहित्य रचा है। यूं देखा जाए तो संघर्ष से रचे लेखन के लिए भी घासलेटी-साहित्य शब्द गलत नहीं है…lantern
टिया और कूड़ा साहित्य को अक्सर घासलेटी साहित्य की संज्ञा दी जाती है और यह मुहावरे की तरह इस्तेमाल होता है। यह शब्द-युग्म आया है घासलेट से जिसे हिन्दी में घासलेट का तेल यानी केरोसिन ऑइल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। केरोसिन ऑईल का एक और प्रचलित नाम है मिट्टी का तेल।
हिन्दी में घासलेट या केरोसिन जैसे शब्द अंग्रेजी के जरिये ही दाखिल हुए हैं। जीवाश्म ईंधन के भंडारों के बारे में अरब जगत के लोग चार हजार वर्षों से परिचित थे। वे इसे एक प्राकृतिक पदार्थ के तौर पर जानते थे और दैनंदिन जीवन में इसके अलग-अलग उपयोग करते थे जिनमें ओषधीय और ऊर्जा, दोनों ही तरह का इस्तेमाल शामिल था। मगर  आज जिस तरह से जीवाश्म ईंधन की औद्योगिक ऊर्जा के तौर पर महत्ता साबित हुई है वह उन्हें नहीं पता थी। इसका रिश्ता दो सौ वर्ष पूर्व शुरू हई यूरोपीय औद्योगिक क्रांति और उपनिवेशवाद के विस्तार से जुड़ा है। यह दिलचस्प है कि आज पेट्रोलियम से जुड़ी शब्दावली के बहुत से प्रचलित शब्द सेमिटिक या फारसी मूल से उपजे oil_production_हैं जहां से ये ग्रीक और लैटिन में गए और फिर अग्रेजी समेत अन्य यूरोपीय भाषाओं के जरिये दुनियाभर में इनका प्रसार हुआ।
घासलेट शब्द बना है गैसलाईट gaslight के देशज रूप से। उन्नीसवीं सदी में पेट्रोलियम पदार्थो के ऊर्जा-प्रयोगों पर यूरोप और अमेरिकी वैज्ञानिक शोध कर रहे थे। कनाडा में जन्मे वैज्ञानिक अब्राहम गैसनर को केरोसिन की खोज का श्रेय जाता है। 1847 के आस-पास उन्होंने कोयले को द्रविकृत कर इस ईंधन की खोज की। बाद में नेप्था से केरोसिन निकालने की तरकीब भी खोजी गई। गैसनर ने 1850 में गैसलाईट कंपनी की स्थापना की जिसने बड़ी संख्या में गैसलैम्प बनाए जिसमें  मिट्टी के तेल को एक खास तापक्रम पर गर्म करने से बनी गैस को मेंटल फाइबर से बने लूप में प्रज्वलित करने पर सफेद रोशनी मिलती थी जो पीली रोशनी की तुलना में लोगों को पसंद आई। गैसलाईट का प्रसार बहुत तेजी से अमेरिका-यूरोप के साथ साथ उपनिवेशों में हुआ।
भारत में गैसलाईट को घासलेट कहा गया। इसी के जरिये लोग एक नए ऊर्जा-कारक से परिचित हुए। चूंकि गैसलाईट उपकरण इससे ही प्रकाशित होता था और लोगों को इसे जलाने के लिए विशिष्ट तेल खरीदना पड़ता था, सो इस ऊर्जा का नाम भी देशी अंदाज़ में चल पड़ा गैसलाईट का तेल यानी घासलेट का तेल। लोगों ने जब यह जाना कि इसे ज़मीन से निकाला जाता है, तो इसके लिए स्रोत से जुड़ा नाम बना लिया गया-मिट्टी का तेल। घासलेट का तेल दुर्गंधयुक्त होता है इस वजह से अरुचिकर, अपरिष्कृत साहित्य के लिए घासलेटी साहित्य की उपमा चल पड़ी। यह वजह भी हो सकती है कि सस्ता साहित्य सीधे ही तेल छिड़ककर आग लगाने योग्य है। जो भी हो, साहित्यिक बिरादरी में ऐसे कई महान लेखक हुए हैं जिन्होने सचमुच घासलेट की रोशनी में ही ज्ञान अर्जित किया है और फिर उत्कृष्ट साहित्य रचा है। यूं देखा जाए तो संघर्ष से रचे लेखन के लिए भी घासलेटी-साहित्य शब्द गलत नहीं है।
पेट्रोलियम ऊर्जा अथवा पेट्रो-पदार्थों के लिए हिन्दी में जीवाश्म ईंधन शब्द प्रचलित है मगर पेट्रोलियम शब्द के अनुवाद पर बनाया गया नाम है मिट्टी का तेल। अंग्रेजी का पेट्रोलियम बना है
petra035 आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में पेट्रा का शुमार है। ईसा से सौ बरस पहले नबातियंस ने इसे जार्डन के रेगिस्तान में चट्टानों के बीच आश्रयस्थली के रूप में विकसित किया था। petra009
लैटिन के पेट्रा और ओलियम शब्दों से मिल कर। लैटिन में पेट्रा कहते हैं चट्टान को और ओलियम का मतलब होता है तेल। गौरतलब है कि वनस्पति पदार्थों की पेराई कर उसमें से जिस संघनित द्रव पदार्थ का निस्तारण किया जाता है उसे हिन्दी में तेल कहा गया। मूलतः यह शब्द बना है तिलम् से। इस तिलहनी फसल के गुणों से भारतीय प्राचीनकाल से ही परिचित थे। तिलम् से निकले द्वव को तैल या तेल कहा गया। तिल की ही तरह पश्चिमी एशिया और यरोप के भूमध्यसागरीय क्षेत्र में जैतून को ऑलिव कहा जाता है। ग्रीको-रोमन संस्कृति में जैतून का बड़ा महत्व था और जैतून का तेल रसोई से लेकर सौन्दर्य प्रसाधनों तक विविध क्षेत्रो में इस्तेमाल होता था। अंग्रेजी का ऑईल शब्द इसी ऑलिव की देन है। ग्रीक में इसके लिए एलाइया शब्द है जिसका लैटिन रूप आलिवा oliva हुआ और फिर अंग्रेजी में यह आलिव हुआ। लैटिन ऑलिवा से ओलियम बना जिसने तेल के अर्थ में अग्रेजी में ऑइल रूप धारण किया। ठीक तेल की तर्ज पर अंग्रेजी के ऑईल का विकास हुआ है।
सी तरह मिट्टी का तेल पेट्रोलियम का बहुत सरलीकृत रूप है, जबकि जीवाश्म ईंधन इसका सही अनुवाद है जो मूलतः पेट्रोलियम से न होकर फॉसिल ऑइल का सही अनुवाद है। फॉसिल का अर्थ होता है जीवाश्म जो जीव+अश्म से मिलकर बना है। अश्म शब्द का मतलब संस्कृत मे होता है चट्टान या पत्थर। इसका मतलब उन जीवधारियों के उन अवशेषों से है जो लाखों-करोड़ों वर्षों की भूगर्भीय प्रक्रिया के तहत प्रस्तरीभूत हो गए। बरास्ता प्राचीन ईरानी में अश्म हो गया अस्मरसमरकंद शहर के नाम में यही अस्मर झांक रहा है जिसमें प्राचीनकाल में यहां प्राकृतिक चट्टानों से निर्मित किले का भाव है। लैटिन पैट्रा में निहित चट्टान का भाव ही जॉर्डन के शहर पेट्रा में भी है जिसे दुनिया के सात आश्चर्यों में गिना जाता है और सबसे प्राचीन चट्टानी शहर का दर्जा प्राप्त है।

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

15 कमेंट्स:

Himanshu Pandey said...

घासलेटी साहित्य की अवधारणा ही बदल गयी । स्तुत्य हो गया वह । आलेख मजेदार है ।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

मेंटल वाला पेट्रोमेक्स मुझे अभी तक याद है। छोटे बड़े अवसरों पर इसे भाड़े पर लाया जाता था। बहुत ही नफासत से कारीगर इसे जलाता था। वह उस शाम का एक सम्माननीय व्यक्ति होता था।
कुतुहल मिश्रित प्रशंसा का भाव बच्चों के मन में रहता था और हम लोग उसके आस पास फतिंगों की तरह मँडराते रहते थे।
रेणु की एक बड़ी अच्छी कहानी भी इस पर है - 'पंचलाइट'।

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

घासलेटी साहित्य शब्द तो सुना था, लेकिन घासलेट की व्युत्पत्ति का पता आपसे ही चला. इसी तरह ऑलिव का सम्बन्ध आइल से है, यह भी नई जानकारी थी. बहुत उम्दा आलेख. बधाई.

श्यामल सुमन said...

हमेशा की तरह जानकारियों से भरा आलेख। प्रशंसनीय।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ said...

बहुत सुंदर।

admin said...

घासलेटी साहित्‍य के बारे में जानकर अच्‍छा लगा।


-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Arvind Gaurav said...

अच्छी जानकारी मिली आपके इस पोस्ट से

किरण राजपुरोहित नितिला said...

gaslight ki jankari sachmuch bahut upyogi hai.

अविनाश वाचस्पति said...

यह अद्भुत जानकारी देकर आपने घासलेट को बिठा दिया है

Abhishek Ojha said...

पेट्रा और ओलियम तो टेक्स्ट बुक में पढ़ा था और बाकी घासलेट को तो हम घास से ही जोड़ कर सोचते थे :)

डॉ. मनोज मिश्र said...

अच्छी जानकारी भरा आलेख .

दिनेशराय द्विवेदी said...

अब तो वनस्पति से द्रव ईंधन निकाला जा रहा है। शायद वह वनस्पति घासलेट कहा जाए। वैसे बायो डीजल शब्द प्रचलन में लिया जा रहा है।

Shiv said...

बहुत बढ़िया पोस्ट. एक पोस्ट में इतनी सारी जानकारी मिली कि जितनी तारीफ़ की जाय, कम होगी.
धन्यवाद अजित भाई.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

गैस लाइट बन गया घासलेट . कैसे अपनी सुबिधानुसार शब्द बना लिए जाते है और वः प्रचलित भी हो जाते है . इतनी रोचक जानकारी के लिए आपको धन्यबाद

Dr. Rajrani Sharma said...

बहुत ही ज्ञान बढ़ गया ! आपका शोध आँखे खोल देने वाला होता है हमेशा !
घासलेट शब्द के बारे में बताना है कि ब्रज में घासलेट वनस्पति घी को भी कहते हैं ! बचपन में घासलेट डालडा को कहते थे ! ये भी खोजें तो मिलेगा !

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin