... यूं गप्पी और बातूनी में हलका सा फर्क है। बातूनी बेलगाम बोलता है गप्पी अक्सर झूठ ही बोलता है...
औरतों पर हमेशा ज्यादा बोलने का आरोप मढ़ा जाता है। यूं वार्तालाप का शौक किसी को भी हो सकता है। जिस तरह से सभी औरतें ज्यादा नहीं बोलती उसी तरह सभी पुरुष भी अल्पभाषी नहीं होते। वैसे स्त्री-पुरुष के वर्गीकरण से हटकर देखें तो सबसे ज्यादा बोलने की आदत बच्चों में होती है। युवावस्था की तुलना में बूढ़े भी ज्यादा बोलते हैं, मगर उनकी बातें सुनने के लिए नई पीढ़ी के पास वक्त नहीं होता। ज्यादा बोलनेवाले को बातूनी कहते हैं। गप्पी या गपोड़ा भी इसी श्रेणी में आते हैं। बतोला या बतोलेबाज जैसे शब्द भी इस श्रेणी के लोगों के चर्चित विशेषण हैं। यूं गप्पी और बातूनी में हलका सा फर्क है। बातूनी बेलगाम बोलता है, हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि वह झूठ भी बोलता है। पर हमेशा सच ही बोलने की नैतिकता का पालन करना उसके लिए ज़रूरी भी नहीं। अलबत्ता गप्पी सब कुछ तत्काल रचता है। गप्पी सब कुछ कपोल-कल्पित ही कहता है। बहरहाल पहले बातूनी की बात।
यह तो ज़ाहिर है कि किसी व्यक्ति को बातूनी इसीलिए कहते हैं क्योंकि वह ज्यादा बोलता है। बोलना यानी बात करता। यानी बातूनी का बात से ज्यादा रिश्ता है। बात शब्द बना है संस्कृत के वार्त्ता से जिसमें गुप्त समाचार, कहना, बात, विवरण आदि अर्थ हैं। यह बना है वृत्त से जिसमें गोल, घेरा जैसे भाव तो हैं ही साथ ही घटना, बीता हुआ, खबर,समाचार, नियम आदि भाव भी हैं इसे आप इतिवृत्त से समझ सकते हैं। इतिवृत्त का अर्थ होता है सम्पूर्ण घटनाक्रम। इति यानि शुरुआत। किसी बिंदु से कोई बात शुरु कर वहीं समाप्त करने को ही इतिवृ्त्त कहते हैं जिसमें कथाचक्र का भाव शामिल है। वृत्ति भी इससे ही बना है जिसमें अवस्था, शैली, कार्य जैसे भावों के साथ शब्द की शक्ति का भाव भी शामिल है। भाषिक-रचना की शैली भी वृत्ति कहलाती है। हिन्दी की विभिन्न बोलियों में बातां, बतियां जैसे शब्द-प्रयोग भी प्रचलित है। कुल मिलाकर वार्त्ता में अफ़वाह, कहानी, कहावत, किस्सा आदि अर्थ शामिल हैं। इतिवृत्त की तरह ही वृत्तांत भी इससे ही बना है। वृत्त+अन्त से यह बना है जिसमें वही भाव हैं जो इतिवृत्त में हैं।
वृत्त से बने वार्त्ता और फिर इसके अपभ्रंश रूप बात से कई शब्दों की रिश्तेदारी है। ज्यादातर शब्द हिन्दी की लोकशैलियों में प्रचलित हैं जिनसे बातूनी शब्द भी जन्मा है। संस्कृत में एक प्रत्यय है वत् जिसमें स्वामित्व का भाव है। इसमें अनु्स्वार लगकर इसका रूप वन्त हो जाता है। इसका एक रूप मन्त भी होता है। बातूनी शब्द का विकास निश्चित ही वार्ता+वन्त> वाताअन्त> बाताअन> बातूनी से मिलते जुलते क्रम में हुआ होगा। यहां वार्तावन्त का अर्थ हुआ खूब बात करने वाला। मगर बातूनी में हल्की सी नकारात्मकता भी है और इसकी व्यंजना वाचाल के करीब पहुंचती है। परिस्थितियों के मद्देनजर इसे सद्गुण भी माना जाता है। बातूनी को बातूनिया भी कहते हैं।
बातूनी की तरह ही एक शब्द है बतोला या बतोलेबाज मगर इसका मतलब ज्यादा बोलने से कुछ अधिक है। बतोला शब्द की व्युत्पत्ति वार्ता+कारकः>वत्तकारअ>बताला> बतोला भी बताई जाती है किन्तु यह विश्वसनीय नहीं है। हिन्दी शब्दसागर में इसका मूल वार्तालु बताया गया है किन्तु वार्तालु जैसा शब्द संस्कृत कोश में नहीं मिलता। हमारे विचार में बतोला शब्द बातुल से बना है सकता है या फिर उसकी व्युत्पत्ति अरबी के बातिल से सम्भव है। बातिल शब्द हिन्दोस्तानी में बहुत आम था जिसका अर्थ है असत्य, झूठ या निरर्थक। बतोला का मतलब भी बड़बड़ करनेवाला, बेसबब या फालतू की बातें बोलनेवाला ही है। हालाँकि बाद के दौर में इसका अर्थविस्तार भी हुआ। बतोलेबाज व्यक्ति को झांसेबाज की श्रेणी में रख सकते हैं। यह व्यक्ति
... गपबाज आमतौर पर विश्वसनीय नहीं होता अर्थात गप में काल्पनिक वार्त्ता ही होती है।
अक्सर बातों से लोगों को धोखा देने का प्रयास करता है। हिन्दी में बातें बनाना मुहावरा प्रसिद्ध है। बतोलेबाज दरअसल बातें बनानेवाला ही होता है। एक बतोलेबाज, धोखेबाज भी हो सकता है जबकि बातूनी व्यक्ति सिर्फ अधिक बोलता है और दूसरे का समय ही नष्ट करता है। वार्त्ता से बने कुछ अन्य प्रचलित शब्द हैं बतरस यानी बोलने में आनंद लेना, बतरसिया यानी बातूनी, बतबाती यानी बेसिरपैर की बातें करना आदि।
गप शब्द की व्युत्पत्ति भी दिलचस्प है। आमतौर पर गल्प से गप की व्युत्पत्ति मानी जाती है। हिन्दी में गल्प का अर्थ होता है कहानी, झूठ, डींग आदि। यूं संस्कृत में गल्प शब्द नहीं है। गल्प का जन्म हुआ है संस्कृत के जल्प् धातु से जिसमें बोलना, बातें करना जैसे भाव है। गुनगुनाना, कलरव करना और कहना-पुकारना जैसी अर्थवत्ता भी इसमें है। जल्पः इससे ही बना है और इसमें इन तमाम अर्थों के साथ प्रलाप और वाद-विवाद जैसे अर्थ भी शामिल हो गए जो ज्यादा बोलने से ही जुड़े हैं। जल्प का ज हिन्दी में आकर ग मे तब्दील हुआ। गल्प से बना गप्प जिसका मतलब हुआ झूठ या मन से कहना। गप में अफ़वाह का भाव भी शामिल है। गपबाज आमतौर पर विश्वसनीय नहीं होता अर्थात गप में काल्पनिक वार्त्ता ही होती है। इससे ही बना है गपशप जिसमें हलकी-फुलकी, गुफ्तगू, मनबहलाव की बातें शामिल हैं। गप को गप्प भी कहते हैं और गप लगानेवाले को गप्पी, गपोड़ी, गपोड़ा या गपबाज तक कहा जाता है।
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26 कमेंट्स:
गप्प और गपोड़ी-यह भी जान गये!!
बातूनियों की फौज देखता हूँ आसपास । कई बार इतना न बोल पाने का मलाल होता है ।
वार्तावन्त शब्द रुच गया । आभार ।
"गप को गप्प भी कहते हैं और गप लगानेवाले को गप्पी, गपोड़ी, गपोड़ा या गपबाज तक कहा जाता है।"
गप्पी और बातूनी का भेद समझाने के लिए
धन्यवाद!
ये अच्छी रही जानकारी. अपना स्थान ढूंढ रहे हैं इसमे.:)
रामराम.
गल्प से पुराणों का स्मरण हो आता है | मेरे मत से पुराणों ने वैदिक सोच और शोध संस्कृति को भारी क्षति पहुंचाई है | आपके पाठकों में अनेक विद्वान् हैं जो संभवतया इस विचार पर अपने मत देंगे | गप्पी अपनी अविश्वसनीयता के चलते कभी निरापद नहीं होते | मनोरंजन की द्रष्टि से भी गल्प (गप्प) बहुत सार्थक नहीं होती |
बातूनियों के साथ इतना खतरा नहीं होता | बातूनी अपनी बात को विस्तार से बताने के आदी होते हैं | सुनने वाले का समय अवश्य बरबाद होता है परन्तु बातूनी के लम्बे चौडे आख्यान के पीछे कहीं कहीं उपयोगी बातें भी होती है | श्रोता धैर्यवान होना चाहिए |
कुछ वार्ताकार बहुत रोचक बातें करतें हैं | कुछ लोग गूढ़ बातें करतें हैं तो कुछ चाशनी में सनी प्रेम भरी लुभावनी बातें | सफल वार्ताकार तो वह जो सार पूर्ण हो सकारात्मक हो और उकताहट न उपजने दे |
- RDS
न बोल कर भी खूब बतियाते है आप, अजित भाई, बोलने और चुप रहने पर दो शेर याद आ रहे है,लिख देता हूँ:-
# मुस्तकिल बोलता ही रहता हूँ,
कितना खामोश हूँ मै अन्दर से.
# अंजुमन में ये मैरी खामोशी,
बुर्दबारी* नहीं है वहशत है.
*बर्दाश्त
बातूनी की बात करते करते कहीं आप ही न बातूनी बन जायें। अच्छी पोस्ट।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बकबक और बड़बड़ भी बहुत सुनाई देता है,बतोलेबाज़ बहुत दिनो बाद सुनाई दिया,आजकल तो खाता बहुत है या चाटता बहुत्त है चलन मे है।
अल्प भाषी और अतिभाषी, गप्पी और लबार की अद्भुत व्याख्या--बोध तथा सुव्यवस्था के साथ ! पढ़कर मन प्रसन्न हुआ और ज्ञानार्जन भी. साधुवाद भाई !!
bolo gapod nath ki jay!
हम भी इन में कहीं तो होंगे।
कुछ शब्द छूट गए हैं - बकबकी, बक्की, बकवादी, गपियाना, बड़बड़ी, बड़बड़ाना, वाचाल, मुंहजोर, विवादी, बहसिया।
और बातूनियां की जगह बातूनिया होना चाहिए। यां तो बहुवचन सूचक प्रत्यय है, जबकि या लघुता सूचक, जैसे लुटिया, बुढ़िया, रतिया, इत्यादि।
@बालसुब्रमण्यम
भाई, बकबकी, बकबकिया, बकवादी, बड़बड़, लबार, लबाड़ आदि शब्द अगली कड़ी में। पोस्ट का आकार बड़ा होने की वजह से एक ही श्रंखला के सभी शब्द चाह कर भी एक साथ नहीं दे सकते। बहस शब्द पर पोस्ट लिखी जा चुकी है।
सही विश्लेषण किया है ।
बहुत दिनों से अपनी लिखित उपस्थिति दर्ज़ न करा रहा था ।
आज मन हुआ तो दर्ज़ करा दिया !
वाह ! गप्पी, बातूनी और बतोलेबाजों की क्या बात है...
आप के बातों का बतोलापन आप की बातों से बयाँ होकर बनती है ये बयान आप के बातुनी भाई ने बताया
सही कहा आपने गप्पी और बातूनी में बातूनी अपेक्षाकृत अधिक विश्वसनीय होता है....
सुन्दर सार्थक शब्द चर्चा,सदैव की भांति....बहुत बहुत आभार.
बहुत बढिया पोस्ट। पर फोटो देखकर मुंह कीे सींवन उधड़ गई।
बड़ी अच्छी पोस्ट है, पूरा मज़ा आया
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
waah bahut khub
'बतोलेबाज़' भोपाल में ही सुना था पहली बार ये शब्द...
.. आज तो अच्छी जानकारी मिल गयी.
गप्पी तो हर जगह मिल ही जाते है हर जगह . बातूनी तो अपनी बात ही की खाते है और आजकल एक शब्द और मिलता है टप्पी जो टप्प बोलता रहता है
यह भी बढियां रही.
अगले पोस्ट के लिए एक और शब्द - बड़बोला!
एक और बात, भोपाल में बतोलेबाजी की स्पर्धा सुनी है. भारत भवन में कुछ बतोलेबाज अपनी प्रस्तुतियां भी दे चुके हैं .
आज कल हम एसे लोगो को tape दे रहा है भी कहते है. tape शब्द का आज कल हिंदी भाषा में बहुत परयोग करते है.
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