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Monday, October 5, 2009
रोड इंस्पेक्टर और रहनुमा[सफर के रास्ते-2]
प्रा चीन संस्कृत धातु ऋत् और ऋष् में निहित गतिसूचक भावों का विस्तार अभूतपूर्व रहा है। संस्कृत धातु ऋ से बना है ऋत् जिसमें उचित राह जाने और उचित फल पाने का भाव तो है ही साथ ही चक्र, वृत्त जैसे भाव भी निहित हैं। भाषा विज्ञानियों ने इससे मिलती जुलती धातु प्राचीन इंडो यूरोपीय भाषा परिवार में भी खोजी है-reidh इस धातु की व्याप्ति यूरोपीय भाषाओं के कई शब्दों में है। ऋ से बने शब्द रिष् या ऋष् की छाया फारसी के रशद या रुश्द जैसे शब्दों में नजर आती है जिनका का अर्थ है सन्मार्ग, दीक्षा और गुरू की सीख। उचित राह पर कुशल मार्गनिर्देशन में आगे बढ़ना है रुश्द का सही मतलब।
मार्ग के अर्थ में हिन्दी में प्रचलित राह या रास्ता जैसे शब्द वैसे तो उर्दू-फारसी के जरिये हिन्दी में आए हैं मगर इनका रिश्ता भी ऋ से ही है। फारसी में रास के मायने होते हैं पथ, मार्ग। इसी तरह रस्त: या राह का अर्थ भी पथ या रास्ता के साथ साथ ढंग, तरीका, युक्ति भी है। उर्दू-हिन्दी में प्रचलित राहगीर, राहजनी, राहनुमा [रहनुमा] और राहत, राहबर, राही जैसे ढेरों शब्द भी इससे ही बनें हैं। है। इसी तरह देवनागरी के र वर्ण के मायने गति या वेग से चलना है जाहिर है ऋ से अवेस्ता में रस्तः शब्द बना जिसका फारसी रूप हुआ रास्तः जिसका मतलब है पथ, मार्ग, सरणि, पंथ आदि। फारसी-उर्दू में राह भी प्रचलित है और यह भी हिन्दी में खूब इस्तेमाल होता है। गौर करें कि पथ अथवा मार्ग की बनावट पर, इसके स्वभाव पर। यह एक रेखा होती है जो दो बिंदुओं को मिलाती है। रास्ता भी हमें कहीं न कहीं पहुंचाता है।मार्ग या राह का अर्थ भी इसमें छुपा है। इसी मूल से उपजा है हिन्दी का रिश्ता जो मूलतः फारसी से आया है। फारसी में रिश्ता का शुद्ध रूप है रिश्तः जिसका मतलब होता है धागा, सूत्र, डोरी, लाइन, कतार, भूमि की माप करने की डोरी अथवा सूत्र। रिश्तः और रास्तः की समानता काबिलेगौर है। यूं भी रास्ता किन्हीं दो बिंदुओं के बीच का रिश्ता ही है।
हिन्दी में रास्ता या मार्ग के अर्थ में रोड शब्द भी समा चुका है जो इसी शृंखला का शब्द है और reidh धातु से बना है। यह बना है प्राचीन इंग्लिश के rad से जिसमें सवारी या सैर करने का भाव है। जाहिर है सवारी में यात्री और यान दोनों का भाव है जिनका संबंध गति और सैर से है। इन्हीं भावों का समावेश road रोड यानी राह में हुआ अर्थात दो स्थानों के बीच का सम्पर्क मार्ग। रोड इंस्पैक्टरी या रोड इंस्पैक्टर इन दिनों हिन्दी का नया मुहावरा है जिसका अर्थ फालतू घमना, बेकार भटकना है। भाव बेरोजगारी से है। सड़कें नापना मुहावरे का भी यही अर्थ होता है। रोड का संबंध अंग्रेजी के राईड ride से है जिसका अर्थ चढ़ना, सवारी करना आदि है। इसी धातु से बना है reda जिसका अर्थ होता है यान, वाहन। संस्कृत के रथ rath से इसकी समानता पर गौर करें। रथ और रित् की समानता भी यूं ही नहीं है। रथ में जो आवर्त यानी घूमने, गति करने का भाव है वह उसके पहियों से आ रहा है। वृत्त, आवृत्ति, ऋतु आदि का चक्र समझना आसान है। सैर भी एक चक्र है। एक बिन्दु से शुरू होकर फिर उसी बिन्दु पर पहुंचना ही घूमना है। पुनि जहाज पे आवै का यह क्रम जब खत्म होता है, तब घुमक्कड़ी का लक्ष्य अनंत की ओर होता है जहां से वापसी नहीं होती। वह प्रयाण नहीं, महाप्रयाण होता है। उसे गमन नहीं, निर्वाण कहते हैं।
हिन्दी का मार्ग शब्द बना है संस्कृत की मृग् धातु से जिसमें खोजना, ढूंढना, तलाशना जैसे भाव निहित हैं। आमतौर पर हिन्दी में मृग से तात्पर्य हिरण प्रजाति के पशुओं जैसे सांभर, चीतल से है मगर इस शब्द की अर्थवत्ता बहुत व्यापक है। वैदिक काल में संस्कृत में मृग का अर्थ हिरण तक सीमित न होकर किसी भी पशु के लिए था। मृग शब्द का अर्थ हरी घास भी प्राचीनकाल में मृग शब्द में चरागाह या चरने का भाव प्रमुख था। संस्कृत शब्द मृगणा का अर्थ होता है अनुसंधान, शोध, तलाश। मृगया में शिकार का भाव है। जिस तरह से चर् धातु में चलने, गति करने का भाव प्रमुख है उसी के चलते इससे चारा (जिसका भक्षण किया जाए), चरना (चलते चलते खाने की क्रिया), चरागाह (जहां चारा हो) जैसे विभिन्न शब्द बने है। कुछ यही प्रक्रिया मृग के साथ भी रही। पथ, राह, रास्ता के अर्थ में संस्कृत का मार्ग शब्द है जो इसका ही रूपांतर है। मार्ग में भी खोज और अनुसंधान का भाव स्पष्ट है। कभी जिस राह पर चल कर मृगणा अर्थात अनुसंधान या तलाश की जाती थी, उसे ही मार्ग कहा गया।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 12:48 AM
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12 कमेंट्स:
पढ़कर आनदं आया... क्या रशद का रसद से कोई रिश्ता नहीं है...
और मृग मरीचिका ने आगे चलकर एक नया अर्थबोध ग्रहण किया -ज्ञानप्रद सफ़र !
आपकी इस पोस्ट से बहुत सारे शब्दों के बारे में जानकारी मिली।
ऋ बहुत महत्वपूर्ण शब्द है इस से निकले तमाम शब्दों में नियम और अनुशासन पाएंगे।
ज्ञानप्रद विश्लेषण.
क्या मृगणा व मृगया का भी कोई रिश्ता बनता है . ज्ञानप्रद मार्ग पर आपके द्वारा चल रहे है हम
# गुमशुदा राह फिर से पाई है,
फारसी संस्कृत की जाई* है,
उर्दू-हिन्दी की; दोनों ताई है,
बोलने वाले भाई-भाई है.
*जाई= बहन
# 'ऋ' से रस्ता मिला - रशद पाया,
मृग-तृष्णा मिटी - जलज पाया,
राहबर भी मिला - तो रथ लेकर,
क्यों चरे चारा- जब शहद पाया.
ऋ से संबंधित अनगिनत प्रविष्टियाँ पढ़ गया हूँ आपकी । इन्हें एक स्थान पर सहेजना होगा, और इसके बहुआयामी स्वरूप का इकट्ठा परिचय करना होगा ।
आभार ।
शब्दों का सफर की यह पोस्ट भी ज्ञानदायिनी रही।
ऋ से ऋतु और ऋshee तो जानते थे पर रास्ता, रशद , पथ र,िश्ता आदि जानकर ज्ञान वर्धन हुआ.
उसी तरह मृग से मृगया ही नहीं मार्ग भी वाह!
मराठी में एक शब्द है रास्त यानि उचित इक उद्गम क्या है ?
इसका
anand aa gaya
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