Friday, October 9, 2009

स्वास्थ्य निकेतन और चिकित्सक [हकीम-4]

doctor-cartoon

कीम के अर्थ में रोजमर्रा की भाषा में डॉक्टर शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर होता है। चिकित्सक शब्द भी खूब प्रचलित है मगर इसका सिर्फ लिखित रूप में ही प्रयोग होता है। बोलचाल में बहुत कम यह इस्तेमाल होता है। दिलचस्प बात ये है कि औषधि और उपचार से जुड़े इन दोनो ही शब्दों का जन्म भारोपीय मूल से हुआ है। सबसे पहले बात चिकित्सक की। इसकी उत्पत्ति संस्कृत की प्राचीन धातु कित् से हुई जिसमें जानने का भाव छुपा है साथ ही स्वस्थ करने का भी। कित् का मूल भाव है रहना, चाहना। ये दोनों ही भाव परिचर्या यानी देखरेख से जुड़े हैं। किसी को स्वस्थ करने में सेवा के साथ-साथ समर्पण भी ज़रूरी है। परिचर्या में साथ रहना तो निहित है ही। कित् धातु का रहने संबंधी भाव इससे ही बने केतनम् में स्पष्ट है जिसका अर्थ है घर, आवास, स्थान, निमंत्रण और ध्वज, पताका आदि। केतन व्यक्तिनाम के तौर पर प्रचलित है जिसका अर्थ प्रतीक, चिह्न, मंगलकारी आदि होता है। घर या आवास के रूप में हिन्दी में केतनम् प्रचलित नहीं है पर इससे ही बने निकेत, निकेतन जैसे शब्द खूब इस्तेमाल होते हैं जिनका अर्थ भवन, आवास, आलय, घर आदि होता है। शांति निकेतन इसी कड़ी का शब्द है। अस्पताल के लिए चिकित्सालय शब्द बनाया गया है। इसी तरह स्वास्थ्य निकेतन, आरोग्य निकेतन  जैसे शब्दों का प्रयोग सेनिटोरियम के लिए किया जाता है। प्रसंगवश हिन्दी का अस्पताल दरअसल उर्दू के हस्पताल का रूप है। अंग्रेजी के हॉस्पिटल का हिन्दुस्तानी में जो उच्चारण हुआ वह हस्पताल ही था। अयोध्या नगरी को साकेत भी कहा जाता है, जिसमें यह कित् झांक रहा है। संभवतः रहने, बसने योग्य स्थान के तौर पर ही इसका नामकरण साकेत हुआ होगा।
कित् धातु से ही बने केतु शब्द का अर्थ है कांति, प्रकाश, उज्जवलता, स्वच्छता आदि। केतु का अर्थ पुच्छलतारा भी होता है और एक नक्षत्र भी जिसका भारतीय ज्योतिष में बड़ा महत्व है। इसका एक अर्थ ध्वज दंड अथवा पताका भी है। गौर करें प्रकाश, चमक जैसे भावों पर, जाहिर है ज्ञान और प्रकाश दोनों का भाव भी एक ही है। खगोलीय doctor_261425पिण्ड के रूप में प्रकाश और कांति अर्थ भी स्पष्ट हो रहे हैं तथा आसमान में इनकी स्थिति ऊंचाई की द्योतक है जिसका भाव पताका में झलक रहा है। कित् का ही एक महत्वपूर्ण रूपान्तर चित् भी है जिसका अर्थ हुआ प्रज्ञा-बुद्धि-ज्ञान। जानना, समझना, निरीक्षण करना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना, सतर्क रहना आदि। इससे बने चित्त का अर्थ है मन-हृदय,  जाना हुआ, समझा हुआ आदि। चेतन शब्द भी इसी से बना है जिसका अर्थ हुआ स्वस्थ, जागरूक मनुष्य। रोगोपचार का उद्धेश्य भी अस्वस्थ व्यक्ति में चेतना लाना ही है। इस तरह चित+कित से बना चिकित्सा। इन तमाम शब्दों के सन्दर्भ में चिकित्सा का जो अर्थ निकलता है वह है रोग का निदान, औषधि-उपचार, स्वस्थ करना आदि। इसी तरह चिकित्सक का अर्थ हुआ जानकार, ज्ञानी, चिंतन करनेवाला, वैद्य, हकीम या डाक्टर। किंचित (किम्+चित्) और कदाचित (कदा+चित्) भी इसी मूल से बने हैं। किंचित का अर्थ है थोड़ा सा (ज्ञान), अल्प (ज्ञान) इसी तरह कदा का अर्थ है कब, किस समय। चित् जुडने से अर्थ होता है किसी समय, एक दिन, एक दफा आदि।
ब बात डॉक्टर की। अंग्रेजी का यह शब्द इंडो-यूरोपीय मूल के शब्द dek से जन्मा है जिसका अर्थ भी शिक्षा, ज्ञान से जुड़ता है। यूं डॉक्टर बना है लैटिन के docere से जिसमें धार्मिक शिक्षक, सलाहकार या अध्येता का भाव है।  जिसने अंग्रेजी में डाक्टर यानी चिकित्सक के अर्थ में अपनी जगह बना ली। भारोपीय धातु डेक की रिश्तेदारी संस्कृत की धातु दीक्ष् और दक्ष् से है जिनसे बने दीक्षा और दक्ष शब्द हिन्दी में खूब प्रचलित हैं। पहले बात दक्ष की। दक्ष का मतलब होता है एक्सपर्ट, कुशल, विशषज्ञ, योग्य, चतुर आदि। पौराणिक चरित्र को तौर पर दक्ष प्रजापति का नाम भी इसी धातु से जुड़ा है। आप्टे कोश के मुताबिक दक्ष शिव का एक विशेषण भी है। अग्नि, नंदी को भी दक्ष कहा गया है। इसी तरह बहुत सी प्रेमिकाओं पर आसक्त प्रेमी को भी दक्ष कहा गया है। इसी तरह दीक्षा शब्द का मतलब है यज्ञ करना, धार्मिक क्रिया के लिए तैयार करना, खुद को किसी शिक्षा, ज्ञान के संस्कार के लिए तैयार करना आदि। इससे बने दीक्षक: का अर्थ है शिक्षक या शिक्षा देनेवाला। दीक्षणम् का अर्थ है ज्ञान प्रदान करना, शिक्षा देना। इसी तरह दीक्षित का अर्थ है शिक्षित, प्रशिक्षित, शिष्य, पुरोहित, उपाधि प्राप्त आदि।

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9 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

लो जी यह भी बढ़िया जोड़ मालूम चला. आभार आपका.

Unknown said...

वाह !
बाँच कर दिमाग की खिड़कियाँ खुल गईं
बधाई !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

रोजमर्रा बोले जाने वाले शब्दों का आपने सुन्दर विश्लेषण किया है।
बधाई!

दिनेशराय द्विवेदी said...

दक्ष और डॉक्टर में साम्य है। लेकिन फिर भी अदक्ष डॉक्टर खूब देखने को मिलते हैं, जैसे पोंगा पंडित!

निर्मला कपिला said...

लगता है आप मुझे मेरे पिताजी को नहीं भूलने देंगे मै उनकी लाडली बेटी थी । उन्हों ने तिबिया कालेग लाहौर से हिकमत भी कर रखी थी और वैद्य भी थे इस लिये आपकी कल और आज की पोस्ट पढ कर आँखें नम हो गयी। वो जिन्दगी के हर पहलू मे दक्ष थे आभार इस सफर के लिये ।ये सफर मेरे लिये यादगार सा बन गया।

निर्मला कपिला said...

उपर तिबिया कालेज लिखना था कालेग लिखा गया आभार्

Satish Saxena said...

नमस्कार स्वीकारें !

किरण राजपुरोहित नितिला said...

डागदर बाबू की अच्छी पहचान कराई ।
इसका संिक्षप्त रुप डाॅकसा भी चल पडा़ है।

Asha Joglekar said...

वाह वाह कित से कितने सारे शब्द । जानकारी का आभार ।

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