पिछली कड़ी-नकदी, नकबजन और नक्कारा
अरबी में नक्ल का अर्थ
स्थानान्तरण भी है। गौर करें कि किसी दस्तावेज की अनुकृति बनाना दरअसल मूल कृति की छवि का स्थानान्तरण ही है।
अ रबी का नक़ल शब्द अनुकरण के विकल्प के तौर पर हिन्दी में कुछ इस क़दर प्रचलित हुआ कि अब नकल शब्द के लिए कोई दूसरा शब्द ध्यान ही नहीं आता। मूलतः अरबी में इसका रूप नक़्ल है मगर हिन्दी में नकल ही प्रचलित है। अरबी में नक़ल की अर्थवत्ता जितनी व्यापक है उतनी व्यापकता से हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं होता, मगर यह हिन्दी के सर्वाधिक बोले जाने वाले शब्दों में एक है। हिन्दी में नकल का सामान्य अभिप्राय किसी चीज़ की कॉपी करने, हाव-भाव-भंगिमाओं का अभिनय करने और अनुकृति तक ही सीमित है। अरबी में नक़्ल का अर्थ होता है स्वांग, कहानी, अनुकरण, स्थानान्तरण, प्रतिलिपि, चुटकुला आदि है। नक़्ल में मूलतः प्राचीनकाल में स्थानान्तरण का ही भाव था जो निर्माण और रचनाकर्म से जुड़ा था। गौर करें नक़्ल करना यानी एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना। किसी विचार या वस्तु का विस्तार या प्रसारण इसके दायरे में आता है। इसका अर्थविस्तार किस तरह से अनुकृति बनाने, स्वांग रचने में हुआ इसके पीछे मनुष्य की कल्पनाशक्ति की दाद देनी होगी। गौर करें कि किसी दस्तावेज की अनुकृति बनाना दरअसल मूल कृति की छवि का स्थानान्तरण ही है। कैमरे से छवि उतारना मूलतः नक्ल बनाना ही है। इसी तरह किसी चरित्र के हाव भाव के अनुरूप अभिनय करना भी एक व्यक्ति विशेष के किरदार का किसी अन्य व्यक्ति में स्थानान्तरण ही है। साफ है कि नकल में स्थानान्तरण का भाव है।
नक़्ल में स्थानान्तरण के भाव को सिक्कों की ढलाई से समझा जा सकता है। आज से करीब ढाई हजार साल पहले लीडिया के महान शासक क्रोशस, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में कारूँ (खजानेवाला) के नाम से जाना जाता है, के राज्य में पहली बार सिक्के ढालने की डाई अर्थात सांचा बनाने की तकनीक ईजा़द हुई। उससे पहले सिक्के ठोक-पीट कर बना लिए जाते थे और उस पर राज्य मुद्रा उत्कीर्ण कर दी जाती थी। मगर डाइयों के जरिये सिक्के ढालने से सब आसान हो गया। डाई की एक परत पर राज्यमुद्रा की मूल प्रति उत्कीर्ण की जाती है। उसके बाद पिघली हुई धातु इसमें डालने पर सांचे की आकृति धातु पिंड पर उभर आती थी और ठंडा होने पर वह सिक्का बन जाता था। सिर्फ पिघली हुई धातु डालने से ही सिक्का नहीं बनता था बल्कि इसे सही आकार में लाने के लिए इसे ठोका-पीटा भी जाता था। इस तरह डाई की छवि का स्थानान्तरण धातुपिंड पर होने की क्रिया के लिए नक़्ल शब्द प्रचलित हुआ। फिर इसी किस्म की स्थानान्तरण क्रियाओं का विस्तार होता गया और नकल में अकल नज़र आने लगी। सरकारी काग़जा़त की प्रतिलिपि को भी नकल कहा जाता है। इसके लिए नकलनवीस नाम का एक कर्मचारी होता है। अरबी फारसी में किसी दस्तावेज की सत्य प्रतिलिपि को नक्ल मुताबिक ऐ अस्ल कहा जाता है। नक्ल शब्द का प्रयोग मुहावरों में भी होत है जैसे नकल करना यानी स्वांग भरना। नकली माल कहने मात्र से किसी भी वस्तु की गुणवत्ता के प्रति लोगों का नजरिया बदलने लगता है। नक़्क से ही बनी है नक्श जैसी क्रिया जिसमें चित्रांकन, रूपांकन, किसी आकृति में रंग भरना आदि क्रियाओं को नक्श कहा जाता है। मूर्तिकला में भी यह शब्द प्रयुक्त होता है। उत्कीर्णन के लिए अरबी का नक़्काशी शब्द हिन्दी के किसी भी शब्द की तुलना में ज्यादा प्रभावी है। नक्काशी यानी किसी पदार्थ पर छवियां अथवा अक्षर उकेरना। गौर करें की उकेरने की क्रिया में आघात और चोट पहुंचाना दोनो ही शामिल है। चेहरे के विभिन्न अंगों अर्थात नाक, कान, आंख आदि को साहित्यिक शब्दावली में नैन-नक्श कहा जाता है। गौर करें कि किसी भी छवि में सर्वाधिक प्रभावी अगर कुछ है तो वे आंखें ही होती हैं। आखों का नक्श बनाना यानी नैन-नक्श बनाना। पुराने ज़माने में वरिष्ठ कलाकार किसी भी छवि-चित्र में चेहरे का रूपांकन खुद करते थे जिसे नैन-नक्श बनाना कहते हैं। इसके जरिये ही असली व्यक्ति के चेहरे की सही अनुकृति बन पाती थी। एक व्यक्ति के रूपाकार को सीधे सीधे केनवास, प्रस्तर या धातु पर उतार देना भी स्थानान्तरण का ही उदाहरण है।
नक्श से ही बना है मानचित्र के लिए नक्शा शब्द। अंग्रेजी मैप के लिए नक्शा शब्द का भी कोई आसान हिन्दी विकल्प हमारे पास नहीं है इसीलिए क्योंकि नक्शे को हिन्दी ने सदियों पहले ही अपना लिया था। यूं अरबी के नक्शा शब्द में रेखाचित्र भी शामिल है। मगर हिन्दी में नक्शा का अर्थ सिर्फ मानचित्र ही होता है। इस संदर्भ में एटलस शब्द पर भी गौर करें। भू-रेखाचित्र बनानेवाले को नक्शानवीस कहा जाता है। मुहावरेदार भाषा में नक्शा दिखाना या नक्शेबाजी शब्द का प्रयोग हाव-भाव दिखाने या अदाए दिखाने के लिए भी होता है। सूफी भक्ति आंदोलन के दौर में सूफियों की एक प्रसिद्ध शाखा थी नक्शबंदिया। इस शाखा के सूफी अपने अदेखे प्रियतम अर्थात खुदा की आकृतियां भी बनाते थे। गौरतलब है कि इस्लाम धर्म में चित्रकारी, मूर्तिकारी अर्थात अनुकृति बनाने की मनाही है इसलिए नक्शबंदी या नक्शबंदिया जमात के लोगों को खूब आलोचनाएं भी सहनी पड़ीं मगर इसमें कोई शक नहीं कि उनकी बनाई तस्वीरें कला का उत्कृष्ट नमूना थीं। [समाप्त]
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9 कमेंट्स:
अजित भाई
अनुकृतियां बनाने...स्वांग रचाने...रूपाकृतियाँ गढ़ने और भू-रेखाचित्रों की निर्मिती का श्रेय मनुष्य की कल्पनाशीलता को देने से पहले ये तो सोचा होता कि मनुष्य तो स्वयं ही एक अनुकृति वर्गीय आइटम है ! आपको नहीं लगता कि इस हुनर / फन की आदि गुरु प्रकृति है ?
उत्तम!
कला का उत्कृष्ट नमूना !!
नकल का अर्थावमूल्यन हो गया है । नकल को तो बढ़ावा मिलना चाहिये ।
विवेचना बढ़िया रही!
@अली
सही कहा अली भाई। इस मायने में तो प्रकृति ही गुरु है। अनुकरण की प्रक्रिया लगातार चल रही है अनादिकाल से।
ज्ञानवर्धन हुआ....
बहुत बहुत आभार...
जीवन के उद्भव के एक माडल अनुसार ऐसा समझाया जाता है कि ज़िन्दगी का आरम्भ RNA अणुओं के उभरने से साहमने आया.यह अणु ऐन्जईम (Enzyme) की भांती भी थे और अपने आप की नकल करके अपनी प्रतिकृति(self-replicator) बना सकने के योग्य भी थे. ऐसे में नकल तो जिदगी को कायम रखने के लिए लाजमी है.आज यह सब कुछ बहुत जटिल पधर पर हो रहा है.
ज्ञानवर्धन के लिए पुनि-पुनि आभार
"नक्श फरियादी है किसकी शौखीए तहरीर का,
कागज़ी है पैरहन हर पैकरे तस्वीर का."
चचा ग़ालिब का multiple भावार्थ वाला शेर आज भी पहेली है!
आपकी शौख़ तहरीरे पढ़ते तो कुछ यूं कहते:-
नक्श फरयादी 'अजित' की शौखी ए तहरीर का,
शब्द हर उसका लगे एक बोलती तस्वीर सा.
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