Monday, December 31, 2007

बारिश के मौसम में आया नया साल

शब्दों के सफर में मेरे सभी हमराहियों को नए साल की शुभकामनाएं ...
कण-कण में समृद्धि मिले, क्षण-क्षण में मंगल हो...

या साल, नववर्ष या नवसंवत्सर ऐसे शब्द हैं जिन्हें हर बरस दुहराने का मौका मिल जाता है। वर्ष शब्द का जन्म संस्कृत के वर्ष: या वर्षम् से हुआ। इन दोनों शब्दो का अर्थ है बरसात, बौछार या मेघवृष्टि।
जीवेत् शरदः शतम्
शरद ऋतु को भी प्राचीनकाल में साल से जोड़कर देखा जाता था। शरद का अर्थ संस्कृत में पतझड़ के अलावा वर्ष भी है। प्रसिद्ध वैदिक उक्ति जीवेत् शरद: शतम् में सौ बरस जीने की बात ही कही गई है। ऋतुबोध से कालगणना का एक और उदाहरण हेमन्त से मिलता है जिसका मतलब है जाड़े का मौसम। यह बना हिम् या हेम् से जिसका अर्थ ही ठंडक या बर्फ है। वैदिक युग में वर्ष के अर्थ में हिम् शब्द भी प्रयोग में लाया जाता था। संस्कृत उक्ति-शतम् हिमा: यही कहती है। लेकिन वर्ष, संवत्सर और बरस से भी ज्यादा इस्तेमाल होने वाला शब्द है साल जो हिन्दी में खूब इस्तेमाल किया जाता है पर हिन्दी का नहीं है। साल शब्द फारसी से हिन्दी -उर्दू में आया जिसका अर्थ पुरानी फारसी में जो बीत गया था। फारसी में इसका अर्थ वर्ष ही है और इससे बने सालगिरह-सालाना जैसे लफ्ज खूब बोले जाते हैं।
संवत् , संवत्सर, नवसंवत्सर
उर्दू-हिन्दी में प्रचलित बच्चा संस्कृत के वत्स से ही बना है जिसके मायने हैं शिशु। वत्स के बच्चा या बछड़ा बनने का क्रम कुछ यूं रहा है-वत्स>वच्च>बच्च>बच्चा या फिर वत्स>वच्छ>बच्छ>बछड़ा। संस्कृत का वत्स भी मूल रूप से वत्सर: से बना है जिसका अर्थ है वर्ष, भगवान विष्णु या फाल्गुन माह। इस वत्सर: में ही सं उपसर्ग लग जाने से बनता है संवत्सर शब्द जिसका मतलब भी वर्ष या साल ही है। नवसंवत्सर भी नए साल के अर्थ में बन गया। संवत्सर का ही एक रूप संवत् भी है।
नए साल का वात्सल्य
वत्सर: से वत्स की उत्पत्ति के मूल में जो भाव छुपा है वह एकदम साफ है। बात यह है
कि वैदिक युग में वत्स उस शिशु को कहते थे जो वर्षभर का हो चुका हो। जाहिर है कि बाद के दौर में (प्राकृत-अपभ्रंश काल) में नादान, अनुभवहीन, कमउम्र अथवा वर्षभर से ज्यादा आयु के किसी भी बालक के लिए वत्स या बच्चा शब्द चलन में आ गया। यही नहीं मनुश्य के अलावा गाय–भैंस के बच्चों के लिए भी बच्छ, बछड़ा, बाछा, बछरू, बछेड़ा जैसे शब्द प्रचलित हो गए। ये तमाम शब्द हिन्दी समेत ब्रज, अवधी, भोजपुरी, मालवी आदि भाषाओं में खूब चलते है। फारसी में भी बच्च: या बच: लफ्ज के मायने नाबालिग, शिशु, या अबोध ही होता है। ये सभी शब्द वत्सर: की श्रृंखला से जुड़े हैं। इन सभी शब्दों में जो स्नेह-दुलार-लाड़ का भाव छुपा है, दरअसल वही वात्सल्य है।
आपकी चिट्ठी

सफर के पिछले पड़ावों -डंडे का धर्म और धर्म का दंडडंडापरेड,दंडवत की महिमा पर संजय , अशोक पांडे,ज्ञानदत्त पांडेय ,मीनाक्षी और दिनेशराय द्विवेदी की टिप्पणियां मिलीं। आप सबका आभार।

16 कमेंट्स:

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

आप हिन्दी की सच्ची सेवा कर रहे हैं. इसका कहीं संग्रह कीजिये और पुस्तकाकार प्रकाशित करवाइए.

नीरज गोस्वामी said...

अनिल रघुराज जी की आज की पोस्ट पर आप के द्वारा दिए कमेंट और अंत में लिखे शेर को पढ़ ही मैं आप के ब्लॉग पर आने को utsuk हुआ. आप के ब्लॉग पर आना और पढ़ना मैं pichhle (२००७) साल की याद रखने योग्य घटना मानता हूँ. vilakshan pratibha और ज्ञान के dhani हैं आप. बहुत aanand आया आप को पढ़ कर. इस वर्ष से आप को पढ़ना अपनी aadat में shamil कर रहा हूँ.
नीरज

Anonymous said...

नए साल की बधाइयां बांटने के साथ बांटने के लिए और भी बहुत कुछ दे दिया। शुक्रिया। हैप्पी न्यू इयर।

Ashish Maharishi said...

आपके ब्‍लॉग के माध्‍यम से मेरे जैसे युवा पत्रकार को कई नए शब्‍द से होकर गुजरना पड़ा, जो कि वाकई मेरे लिए बहुत मजेदार और फायदेमंद रहा

रजनी भार्गव said...

नव वर्ष की शुभकामनाएँ,हमेशा की तरह दिलचस्प है.

Gyan Dutt Pandey said...

नीरज गोस्वामी जी की टिप्पणी की स्पिरिट से पूरी सहमति। नया साल मुबारक।

Divine India said...

आपको नववर्ष की ढ़ेरों बधाइयाँ…।

अफ़लातून said...

साल मुबारक़ .

Sanjay Karere said...

बहुत ही सामयिक जानकारी दी अजित भाई. नए साल की ढेरों शुभकामनाएँ. शब्‍दों का सफर निर्बाध जारी रहे....

Pankaj Oudhia said...

आपको नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए।

आपका जीवन खुशियो से भर जाए।

महावीर said...

नया वर्ष आप सब के लिए शुभ और मंगलमय हो।
महावीर शर्मा

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

नए साल की शुभकामनाएं आपको भी।
-- Lavanya & Family

Pratyaksha said...

नये साल में नई रोचक जान कारी लेने हम यहाँ आते रहेंगे । बहुत शुभकामनायें ।

Sanjeet Tripathi said...

चलता रहे
शब्दों का सफर यूं ही साल दर साल
टूटे ना नाता शब्दों से कभी
पढ़ें जब भी कोई शब्द
लगे बना हो अभी अभी।
नव वर्ष की शुभकामनाएं

मीनाक्षी said...

आपके शब्दों के सफर में चलते चलते अपनी एक कविता याद आई और उसे दूसरी तरह कहने का जी चाहा .....

"शब्दों का झरना बहे
अमृत की रसधार बहे
ज्ञान की ऊँची लपट बने
अवनि पर प्रतिपल जलती रहे !"

नव वर्ष मंगलमय हो..

VIMAL VERMA said...

अजित भाई,आप तो खास तरह के काम में जुटे पड़े हैं,और मेहनत भी अच्छी हो जाती होगी,आपके यहां बहुत कुछ सीखने को मिलता है,यही रूप सदैव बना रहे,
नया साल मंगलम हो !!!

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