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Wednesday, November 30, 2011
हिन्दी में सिमट गई ‘वारदात’
Monday, November 28, 2011
नीमहकीम और नीमपागल
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Sunday, November 27, 2011
खेती भी वर्ज़िश है
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Thursday, November 24, 2011
फ़ानूस की फ़ंतासी
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Monday, November 21, 2011
शून्य में समृद्धि है…
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 12 कमेंट्स पर 8:32 PM लेबल: business money, nature, तकनीक, माप तौल, व्यवहार
Saturday, November 12, 2011
अश्लील में ‘श्री’ की तलाश
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 13 कमेंट्स पर 8:29 PM लेबल: god and saints
Friday, November 11, 2011
लाम पर जाना, लामबन्द होना
...चक्रव्यूह जैसी युद्धरचना इसी देशी तरकीब से उपजी है। अरब में भी चाहे सामूदायिक कार्य हो या शिकार, अथवा किसी मनुष्य को सज़ा देना, यही तरीका अपनाया जाता था। ‘लाम बांधना’ के मूल में यही आशय है। दरअसल घेरबन्द लोगों के समूह का भाव ही इसमें खास है...
लिए घेरदार मानवशृंखला बनाई जाती थी। लोग अपने आगे के कंकर-पत्थर खेत या मैदान के मध्य में फेंकते जाते हैं और इस तरह घेरा संकुचित होता जाता है। बाद में इस ढेर को एक साथ हटा दिया जाता है। सामाजिक कार्य की यही पद्धति बाद में युद्धनीति बनी। चक्रव्यूह जैसी युद्धरचना इसी देशी तरकीब से उपजी है। अरब में भी चाहे सामूदायिक कार्य हो या शिकार, या किसी मनुष्य को सज़ा देना, यही तरीका अपनाया जाता था। लाम बांधना के मूल में यही आशय है। दरअसल घेरबन्द लोगों के समूह का भाव ही इसमें खास है। ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
Wednesday, November 9, 2011
समझ से परे यानी दुरूह
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Monday, November 7, 2011
अच्छा…हाँ हाँ…
संबंधित कड़ी-होनहार भूत और अनहोनी
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Saturday, November 5, 2011
बेहिचक शराबी की हिचकियाँ
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