Thursday, October 18, 2007

अंगुली में अंगूठी, एक मुश्त मुक्का..

अंगूठी एक ऐसा गहना है जो महिलाओं और पुरूषों में समान रूप से प्रचलित है और सभी पारंपरिक गहनों में सर्वाधिक प्रयोग में आने वाला आभूषण है। अंगूठी शब्द भले ही हिन्दी का हो मगर आया यह फारसी से है। फारसी में अंगूठी को अंगुश्तरी कहते हैं और इसी ने संकुचित होकर हिन्दी में अंगूठी का रूप लिया। गौरतलब है कि फारसी के अंगुश्तरी लफ्ज के पीछे संस्कृत का अङ्ग शब्द छुपा हुआ है। संस्कृत के इसी अङ्ग को हिन्दी में अंग लिखा जाता है जिसका अर्थ है शरीर, देह या अवयव। अंग माने किसी संपूर्ण वस्तु का खंड, प्रभाग या अंश। जैसे शेषांग, चतुरंग, नवरंग या अष्टांग आदि। पुराणकालीन एक जनपद, प्रदेश जिसे वर्तमान में बिहार के भागलपुर मंडल के आसपास समझा जा सकता है। इसी प्रदेश का अधिपति था महाभारत का प्रसिद्ध पात्र कर्ण जिसे अंगराज इसी कारण कहा जाता था।
देह के एक अवयव के रूप में ही अङ्ग (या अंगु) शब्द बना जिसका मतलब हुआ हाथ । हाथ के उपांग के रूप में अङ्गुरी: शब्द सामने आया जिसके संस्कृत में अङ्गुल:, अङ्गुलि:, अङ्गुली: ,अङ्गुलिका जैसे रूप भी बने। हिन्दी में भी इसके अंगुलि, अंगुली या उंगली जैसे रूप प्रचलित हैं।

इंसी तरह संस्कृत के अङ्गुष्ठ: शब्द से अंगूठा शब्द बना। यही अङ्गुष्ठ जब फारसी में पहुंचा तो बना अंगुश्त अर्थात अंगुलि या उंगली। संस्कृत-हिन्दी में अंगुलियों के बड़े ही खूबसूरत नाम भी हैं-अंगुष्ठ, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा। गौरतलब है कि संस्कृत का अङ्गुरी: वाला रूप ही फारसी में पहुंच कर अंगुश्तरी के रूप में ढल गया और हिन्दी में अंगूठी बना। मज़ेदार बात यह कि ‘उ’ की मात्रा में सिर्फ ह्रस्व और दीर्घ के फर्क के साथ हिन्दी में अंगूठी अंगुली में पहना जाने वाला गहना है और अंगुठी अंगूठे में पहना जाने वाला। श्रीमंतों की अंगूठी ही उनकी पहचान थी जो मुद्रिका बन कर हुक्मनामों पर मोहर की तरह छपती रही। उधर अनपढों के लिए अंगूठी की जगह उनका अंगूठा ही पहचान बन गया और वे अंगूठाछाप कहलाने लगे।

हथेली की सारी अंगुलियां जब मोड़ ली जाती हैं तो घूंसा बनता है जिसे मुक्का भी कहते हैं। संस्कृत में यही मुक्का मुष्टि: है अर्थात अंगुलियों की विशिष्ट स्थिति। इसी से बना मुष्टिका और फिर हिन्दी में मुट्ठी । फारसी में यही मुष्टि बन गई मुश्त जिसका मतलब भी मुट्ठी , घूंसा , या एक साथ कई चीजें। इसी से बना एकमुश्त शब्द जो एकसाथ के भाव के साथ हिन्दी में भी प्रयोग किया जाता है।

9 कमेंट्स:

Asha Joglekar said...

बडे ही सुंदर ढंग से आपने शब्दों के मूल तथा परिवर्तित रूप समझायें हैं । इस तरह के आदान प्रदान से ही भाषाएं समृध्द होती है। ऐसा माना जाता है कि संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा है तभी बहुतसे शब्दों का मूल वहीं मिलता है । लेख के लिये बधाई ।

Udan Tashtari said...

मुष्टिका, अंगुश्तरी--बहुत ज्ञान बढ़ाते जा रहे हैं प्रभु. जल्द ही आपका किताब लायक कलेक्शन हो जायेगा. शुभकामना.

Confusious said...

आपका ये ब्लॉग बहुत ही सुन्दर है .. इसकी कड़ी मैं अपने ब्लोग में रखूँगा

काकेश said...

पोस्ट तो आपकी हमेशा की तरह ज्ञानवर्धक है ही. इस बार चित्र भी बहुत अच्छे हैं.

अनूप शुक्ल said...

सुंदर!

Atul Chauhan said...
This comment has been removed by the author.
रजनी भार्गव said...

हमेशा की तरह रोचक जानकारी है.

Atul Chauhan said...

अंगुली के बारे में इतनी अधिक जानकारी,पहले कभी नहीं मिली। इस जानकारी को देने के लिये आपको धन्यवाद्।

रंजू भाटिया said...

बहुत ही रोचक जानकारी लगी ...बहुत कुछ जानने को मिला यहाँ
शुक्रिया आपका

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