Friday, October 5, 2007

रुद्राक्ष के बहाने आंखों की बात !

शिव के रौद्र रूप के संदर्भ में अक्सर उनके तीसरे नेत्र का उल्लेख होता है। मगर नेत्र का संदर्भ रुद्राक्ष से भी जुड़ता है और यहां भी शिवजी की उपस्थिति है। नेत्र के लिए हिन्दी में आम बोल-चाल का शब्द है आंख ,अंग्रेजी में इसे कहते हैं आई। दिलचस्प बात ये कि आई और आंख एक ही मूल यानी प्रोटो इंडो-यूरोपियन भाषा परिवार के हैं ।
आंख शब्द बना है संस्कृत के अक्षि से जिसका मतलब होता है नेत्र, आंख की पुतली, दो की संख्या अथवा दृश्यमान। अक्षि शब्द की मूल धातु है अश्। इसका मतलब है पहुंचना, व्याप्त होना, संचित होना अथवा पैठना। गौर करें कि जगत में जो कुछ भी दृश्यमान है, जिसका निश्चित आकार-प्रकार में भौतिक अस्तित्व है वह सब नेत्रों में व्याप्त हो जाता है,संचित हो जाता है इसीलिए अश् से बने अक्षि शब्द में नेत्र का भाव सार्थक है। संस्कृत का अक्षि ही अपभ्रंश में आक्खि-आखि होते हुए हिन्दी में आंख हुआ। इसी का एक रूप नज़र आता है रूद्राक्ष में । चौपड़ के खेल में पांसों को भी अक्ष ही कहा जाता है। दरअसल रुद्राक्ष बना है रुद्र + अक्ष से मिलकर। पुराणों में रुद्र एक गणदेवता का नाम है । इसी तरह शिव के उग्र रूप को भी रुद्र कहते हैं । गौरतलब है कि रुद्र से ही बना है रौद्र अर्थात उग्र। जब कोई व्यक्ति गुस्से में होता है तो उसकी आंखें लाल हो जाती हैं। यही है रुद्राक्ष का अर्थ। रौद्ररूप शिव के नेत्र। गुस्से की अभिव्यक्ति का मुहावरा भी हैं आंख दिखाना ,आंखें तरेरना या आंखें चढ़ाना ! यूं रुद्राक्ष एक वृक्ष है जो पहाड़ी क्षेत्र में होता है और इसके बीजों की माला बनाई जाती है जिसे अक्षसूत्र भी कहते हैं और इसे पवित्र माना जाता है। शैव परंपरा में रुद्राक्ष का बड़ा महत्व है। शिव का एक नाम अक्षमालिन् भी इसी वजह से है। महर्षि वसिष्ठ की पत्नी का नाम भी अक्षमाला है।
अक्षि से मिलते -जुलते उच्चारण में ग्रीक में आंख के लिए ओप्सिस लफ्ज है वहीं लैटिन में ओकुलस, लिथुआनी में अकिस, आर्मीनियाई में अखु जैसे शब्द हैं। वैसे भाषा विज्ञानियों ने आंख , आई समेत इन तमाम शब्दो के लिए प्रोटो इंडो-यूरोपीय भाषा में oqw जैसे शब्द की कल्पना की है जिससे इनका जन्म हुआ है। माना जाता है कि अंग्रेजी ज़बान के eye का जन्म इससे ही हुआ होगा। अश् से ही बना है संस्कृत हिन्दी का अक्ष जिसका अभिप्राय भी पैठना, व्याप्त होना आदि है। इस से ही बना है संस्कृत का अक्ष: जिसका अर्थ है धुरी, धुरा, गाड़ी का पहिया , तराजू की डंडी आदि। गौरतलब है कि अंग्रेजी के एक्सिस और एक्सिल जैसे शब्द इससे ही निकले हैं।

4 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

आभार इस ज्ञान के लिये..एक्सिस की उत्पत्ति ऐसे हुई है यह तो कभी सपने में भी नहीं आता.

नूर की बात, रौशनी की बात said...

आप शब्द ज्ञान पर बहुत श्रम कर रहे हैं। आपका ब्लाग बहुत पसंद आया।
नूर मोहम्मद खान

Srijan Shilpi said...

शुक्रिया। आपसे हर पोस्ट में बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

Anonymous said...

मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी ऐसा श्रेष्ठ ब्लॉग नही देख; आपका शब्द उत्पत्ति ज्ञान व प्रस्तुतीकरण गज़ब का है।
इसे कभी बंद मत करियेगा plzzzzzzzz
मैं इससे बहुत सीख रहा हूँ।

आपको धन्यवाद!!!!

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