विहार शब्द मूलत: संस्कृत का है मगर हिन्दी में भी बोला-समझा जाता है। इसके कई अर्थ हैं जो रागरंग से भी जुड़ते हैं और धर्म-वैराग्य से भी। विहार के विभिन्न मायनों में शामिल है सैरसपाटा, भ्रमण, देशाटन,आमोद-प्रमोद, उद्यान या वाटिका, विलास ,मनोरंजन वगैरह-वगैरह। इसके कुछ अन्य अर्थ भी हैं जैसे बौद्ध या जैन मंदिर, पूजास्थल, मठ आश्रम,संघाराम,विश्राम,भिक्षुमठ, निवास,धर्मस्थली अथवा तीर्थाटन आदि। विहार के इन दूसरे अर्थों से ही रिश्ता जुड़ता है आज के बिहार प्रान्त और उज्बेकिस्तान के बुखारा नाम के प्रसिद्ध शहर का। ये दोनों ही नाम विहार शब्द से बने हैं और इनका बौद्धधर्म से बहुत गहरा संबंध है। विहार यानी बौद्धमठ। ईसापूर्व पांचवीं सदी तक लगभग समूचे उत्तरी भारत में बौद्धधर्म का झण्डा फहरा चुका था। आज का बिहार उस जमाने में मगध कहलाता था। और बौद्धधर्म का खास केन्द्र था। वह मौर्य और गुप्तकाल का समय था। न सिर्फ बौद्धमठों (विहार) की अधिकता के कारण बल्कि भिक्षुओं के निरंतर तीर्थाटन (विहार) के कारण इस समूचे भूक्षेत्र को विहार के नाम से प्रसिद्धि मिलने लगी और बाद में यह बिहार कहलाने लगा। मगध नाम इतिहास की किताबों में दर्ज होकर रह गया।
चौथी सदी तक बौद्धधर्म का डंका पूर्वी एशिया से लेकर मध्यएशिया तक बज चुका था। इस इलाके में आज के उज्बेकिस्तान,ताजिकिस्तान, किगिर्गिजिस्तान,तुर्कमेनिस्तान,कजाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान जैसे मुल्क आते हैं। प्राचीनकाल में बुखारा मध्यएशिया के बल्ख प्रान्त की राजधानी था और यहां तेरहवीं सदी ईसापूर्व से ही सभ्यता के निशान मिलते हैं। बल्ख का जिक्र प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में वाल्हीक के रूप में भी मिलता है। प्राचीनकाल से ही यूरोप को चीन से जोड़ने वाले मशहूर सिल्क रूट या रेशममार्ग पर होने की वजह से यहां बस्ती रही जो बाद में बड़े कारोबारी केन्द्र के रूप में बदल गई । उस जमाने में तक्षशिला ही बौद्धधर्म का केन्द्र नहीं था बल्कि काबुल, कंदहार और इस्फहान में भी बौद्धों का खूब बोलबाला था। मगर बुखारा की बात ही कुछ और थी। वहां इतने विहार बने कि नाम ही बुखारा हो गया । क्रम कुछ यूं
रहा -विहार > बिहार> बखार> बुखार> बुखारा । इस्लाम के जन्म तक यह स्थान इसी नाम से प्रसिद्ध हो चुका था। यहां खड़े बौद्धविहारों के अवशेष यही कहते हैं कि ये कभी विहार था। भारत में मुस्लिम उपनामों में एक है बुखारी जो बुखारा से ही ताल्लुक रखता है। तो हो गई बिहारी की बुखारी से रिश्तेदारी ...
Thursday, November 29, 2007
बिहारी की है बुखारी से रिश्तेदारी
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:50 AM
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13 कमेंट्स:
अच्छा सफ़र है।
बिहारी की बुखारी से अच्छी रिश्तेदारी बनाई भाईजी. अच्छा जरा बताइए कि ऊटपटांग और अजीबागरीब जैसे शब्द किस के रिश्तेदार हैं? क्या ऊटपटांग का यह मतलब सही होगा कि कोई ऊंट पे टांग रख कर खड़े हाने की कोशिश करे तो ऊटपटांग लगता है? और अजीब में ये गरीब क्या घुसा हुआ है? कहां से आया?
एक दावा ठोक ही दिया जाये यूएनओ में बुखारे और बल्ख पर!
ज्ञानवर्धक.
बहुत रोचक जानकारी
अब बुखार बुखारा बुखारी पर भी कुछ जानकारी दीजिए ..
बढ़िया है जी।
चिरकुट शब्द पर कुछ शोधिये ना। मुझसे कई लोग पूछते हैं।
आपने इतनी अच्छी जानकारी इसके लिए बधाई . पर ये क्या अगड़म बगड़म जी को देखिये क्या काम दिया गया है . मैं तो कहता हूँ की इस अगड़म-बगड़म पर ही एक शोध की जरुरत है.
भाई अजित जी
आपको चुपचाप पढ़ रहा हूँ....
माँ पर एक किताब संपादित करने में लगा हूँ....आप से एक पोस्ट की माँग है माँ से मिलते जुलते जितने शव्द हों
उनको छापें.....आपके नाम से संकलित करूँगा
आपका
बोधिसत्व
अजित भाई
अम्मा वाली पोस्ट मेरे पास है.....उसके अलावा
कुछ हो सके तो....मुद्दा माँ की महिमा का है....
Just great!
दिलचस्प!!
संजय जी और आलोक पुराणिक जी ने जिस शब्दों की उत्पत्ति के बारे मे जानकारी चाही है वह तो और दिलचस्प लेख रहेगा शायद!!
बिहारी और बुखारे के बीच जो रिश्तेदारी आपने समझाई है, वह तो समझ में आ गई। लेकिन आज के संदर्भ में तो हम 'बिहारी'शब्द को हिकारत युक्त गाली के भावों के साथ प्रयुक्त होता सुनने के अभ्यस्त हो चले हैं।
अनूपजी, संजय जी, ज्ञानदा, काकेश भाई,मीनाक्षीजी, आलोकजी, बालकिशनजी, बोधिभाई, सृजनजी,चंदूभाई और संजीतभैया का आभार कि आपने हमारी पोस्ट को पसंद किया।
आपके द्वारा उल्लेखित शब्दों को सफर में शामिल करने की हरमुमकिन कोशिश रहेगी। स्नेह बना रहे।
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