Sunday, March 23, 2008

स्कर्ट की तकदीर है मुसलसल छोटा होते जाना !

काटने, छोटा करने, विभाजित करने के अर्थ में संस्कृत की कृ [kri] और इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की ker या sker धातुओं की महिमा निराली है। इनसे यूरोप और एशिया की कई भाषाओं में दर्जनों शब्द बनें जिनमे एक कतरनी भी है। परिधानों के निर्माण मे जितनी भूमिका सिलाई के धागे की है उससे कहीं कम नहीं है कैंची यानी कतरनी की। कतरनी आखिर करती क्या है ? यही , कि वह शरीर की ज़रूरत के मुताबिक कपड़े की काट-छांट करती है, उसे छोटा करती है, विभाजित करती है। स्कर्ट के लगातार छोटे होते आकार पर कई लोगों की भवें तनती हैं पर वो जान लें कि इसकी तो तकदीर ही छोटा होते जाना है। कतरनी और सीज़र की रिश्तेदारी पर सफर की पिछली पोस्ट पर बात हो चुकी है मगर कुछ और भी परिधान हैं जो उपरोक्त धातुओं से संबंधित हैं और जिनमें आपसी नाता है।

सिर्फ महिलाओं का परिधान नहीं स्कर्ट

शर्ट , कुर्ता ,स्कर्ट और बुशर्ट आज के दौर के सामान्य परिधान हैं और रोज़मर्रा में पहने जाते हैं। इनमेंअब स्त्री और पुरूषों जैसा फर्क़ भी नहीं रह गया है। स्कर्ट अलबत्ता ज़रूर भारत में सिर्फ लड़कियां ही पहनती हैं मगर यूरोप में तो स्कर्ट पुरुषों की पोशाक भी रही है और आज भी इसे पारंपरिक तौर पर पहना जाता है। प्राचीन रोमन सैनिकों के गणवेश में स्कर्ट ही प्रमुख था जिसे रोमनस्कर्ट ही कहा जाने लगा। यूरोप के कई देशों में आज भी शाही अमलदार रोमन स्कर्ट ही पहनते हैं। स्काटलैंड, आयरलैंड के मशहूर बैगपाइपर्स को याद करें तो उनके मशहूर बैगपाइप के अलावा जो चीज़ सबसे पहले ध्यान आती है वह उनका स्कर्ट ही है। बहरहाल बात हो रही थी काट-छांट की । कपड़े की सिलाई भी काट-छांट का ही नमूना है। बल्कि यहां तो इसके बिना काम ही नहीं चलता।

शार्ट माने शर्ट, स्कर्ट , कुर्ता

शर्ट शब्द की व्युत्पत्ति अंग्रेजी के शॉर्ट [short] से हुई है जिसका जन्म भी sker से ही हुआ है। प्राचीन जर्मन में इसका रूप हुआ skurta जिसने प्राचीन अंग्रेजी में sceort का रूप लिया और शॉर्ट में ढल गया। आज की जर्मन में शॉर्ट के अर्थ में इसका रूप kurz या kurtz है। आज के दौर में भी छोटी पतलून को शॉर्ट्स कहा जाता है। किसी ज़माने में कोई ताज्जुब नहीं कि कपड़े को काटने, छोटा करने के भाव ने ही शॉर्ट का रूप लिया और वही कालांतर में एक वस्त्र के रूप में शर्ट में बदल गया। अंग्रेजी के skirt की व्युत्पत्ति और आकार की बात आसानी के साथ समझ में आ जाती है कि ये क्यों छोटा होता है। कुर्ता तुर्की शब्द है और यह भी इंडो-यूरोपीय परिवार की भाषा है। sker धातु से जन्में शॉर्ट के अर्थ वाले जर्मन शब्द skurta से तुर्की कुर्ता की [kurta] समानता देखें। कुर्ता कुल मिला कर शर्ट की तरह पहना जानेवाला वस्त्र ही है । फर्क़ सिर्फ लंबाई का है ।

बुशर्ट यानी ढीली-ढाली जेबों वाली कमीज़

आमतौर पर भारत में शर्ट के लिए बुशर्ट, बुश्शर्ट शब्द ज्यादा चलता है आखिर इस बुशर्ट शब्द के मायने क्या हैं। बुशर्ट के अलावा इससे मिलते जुलते बुश्कोट या बुशजैकेट जैसे शब्द भी मिलते हैं। बुशर्ट शब्द दरअसल प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान एशिया में सर्वाधिक प्रचलित हुआ। बुशर्ट मोटे सूती कपड़े से बना एक ढीला-ढाला शर्ट होता है जिसमें कई जेबें होती हैं। अठारहवीं सदी में अफ्रीका में कई ब्रिटिश उपनिवेश थे। अफ्रीकी जंगलों में ब्रिटिश अफ़सर अक्सर शिकार के लिए बुश सफारी पर निकलते थे। इस बहाने उनका सर्वेक्षण भी चलता रहता और एडवेंचर भी।बुश शब्द का मतलब होता है एक खास किस्म का वृक्ष जिसकी लकड़ी से कलाकृतियां भी बनाई जाती हैं और उसे जलाने के काम में भी लाया जाता है। आस्ट्रेलिया में बुश पेड़ भी होते हैं और झाड़ी भी। बुश शब्द पुरानी फ्रैंच में busche लैटिन में busca और इतालवी में bosco के रूप में मौजूद है। अंग्रेजी में इसका रूप bush है।

यूं पहुंची हिन्दुस्तान

बुश सफारी के लिए खास किस्म के शर्ट को डिजाइन किया गया जो कि घने जंगलों, ऊंची घास के मैदानों में अभियानों के दौरान सुविधाजनक रहे। इसकी विशेषता थी आगे की तरफ दो जेबों का होना। उसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध जब छिड़ा तो बड़े पैमाने पर इस किस्म की शर्ट फौजी वर्दी का हिस्सा बन गई। बाद में थोक के भाव भारतीय बाजारों में न सिर्फ फौजियों की उतरन बिकने लगी बल्कि इसका विदेशी कपड़ों के भारत आने का सिलसिला सा चल पड़ा और बुशर्ट लोकप्रिय हो गई। शर्ट का एक प्रकार टी शर्ट भी होता है जिसे यह नाम उसके T आकार के चलते मिला क्योंकि ये पहले सिर्फ आधी बांह की ही होती थी।

आपकी चिट्ठियां

सफर की पिछली चार कड़ियों पर 29 साथियों की कुल 44 टिप्पणियां मिली। जिन साथियों ने हमारे प्रयास की सराहना की है उनमें हैं सर्वश्री अनूप शुक्ल ,डॉ प्रवीण चोपड़ा, मीत, ज्ञानदत्त पाण्डेय, डॉ चंद्रकुमार जैन, अफ़लातून, मीनाक्षी, संजीत त्रिपाठी, लावण्या शाह, तरुण, दिनेशराय द्विवेदी , आशा जोगलेकर, जोशिम, घोस्टबस्टर, हर्षवर्धन, अजित, आशीष, संजय, प्रमोदसिंह, पंकज अवधिया, रजनी भार्गव, परमजीत बाली, अनूप भार्गव, संजय पटेल, देबाशीष , ममता, सुजाता और सागरचंद नाहर । आप सबका बहुत बहुत आभार

@देबाशीष- आपने जिन मुहावरों का उल्लेख किया है देबूभाई, वो हमारी हिटलिस्ट
में हैं । जैसे ही सफ़र में कहीं टकराएंगे हमें फौरन उनका तअर्रूफ़ आपसे कराया जाएगा। याद दिलाने के लिए शुक्रिया।

@घोस्टबस्टर- आपका साथ अच्छा लग रहा है और आपने नाम ही घोस्ट बस्टर रखा है सो चाहते हैं कि साथ लंबा चले। आपने जो सिलाई मशीन के आविष्कार की कहानी बताई वो न सिर्फ दिलचस्प थी बल्कि प्रासंगिक भी थी। शुक्रिया।

@ममता/सागर नाहर- आपने बुशर्ट की बात कही और लीजिए बुशर्ट की व्युत्पत्ति पेश है। इसी तरह साथ बना रहे आपका।

11 कमेंट्स:

Neeraj Rohilla said...

अजितजी,
स्काटलैंड में स्कर्ट को किल्ट कहते हैं और यदि गलती से स्कर्ट मुंह से निकल जाये तो स्काटलैंड वासी तनिक खफ़ा से हो जाते हैं :-)

दिनेशराय द्विवेदी said...

अब तो बुश्शर्ट शब्द सुनने में आए बरसों बीत गए। शर्ट ऑफीशियल हो चुकी है, और टी-शर्ट कैजुअल।

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

चलिए आगे से हम स्कर्ट के छोटेपन पर व्यंग्य नहीं लिखेंगे. हम उसके छोटेपन को ही उसका बड़प्पन मानेंगे.

Rajesh Roshan said...

मुझे लगता है की आपके लिए कुछ दो चार शब्द हमेशा लिखता रहू. लाजवाब, बेजोड़, वाह वाह, क्या बात है! जिस किसी को पढता हू स्वाभाविक रूप से यही निकलता है
Rajesh Roshan

mamta said...

धन्यवाद अजित जी । बहुत ही रोचक लगा बुश्शर्ट के बारे मे जानना ।

Sanjeet Tripathi said...

रोचक रहा सफर का यह हिस्सा!!
शुक्रिया!!

PD said...

बहुत बढिया है ये उत्पत्तियों का सिलसिला.. आप लिखते रहें.. अच्छा लगता है आपका लिखा पढना..

Dr. Chandra Kumar Jain said...

अजीत जी,
स्कर्ट की कमतर होती लंबाई की बात पर
आपका यह जानदार पोस्ट पढ़कर
छ्त्तीसगढ़ के कवि रामेश्वर वैष्णव की ये पंक्तियाँ
बरबस याद आ गईं जिन्हें मैने क़रीब
उनसे २५ साल पहले सुना था .
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नोनी बेंदरी ओ ! नोनी बेंदरी ओ !
सारी अउ पोलखर नई मिलिस तोला
लपेटे हवस ते ह चेन्दरी ओ, नोनी बेंदरी !
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कन्या को साड़ी की जगह चिथड़े यानी चिन्दी
लपेटे देखकर उक्त व्यंग्य किया गया है !

अब तो स्कर्ट सचमुच चिन्दी ही नज़र आते है.
ये जुदा बात है उनमें लोग फॅशन तलाश रहे हैं .

मीनाक्षी said...

बहुत दिनों बाद बुशर्ट नाम पढ़ा.
तस्वीर देखते ही बैगपाइपर्स का मधुर संगीत याद आ गया.
द्विवेदी जी ने सही कहा कि आजकल तो टीशर्ट और शर्ट ही आम बोलचाल में सुनाई देता है.

Ashok Pande said...

बेहतरीन सूचनाओं से भरपूर है आपकी यह पोस्ट अजित भाई. मेरे नानाजी बुशशर्ट को बुकसट कहा करते थे और उसे पहनते नहीं थे बल्कि लगाया करते थे. आम तौर पर वे दर्ज़ी के यहां की बुनी बण्डी पहना करते थे जिसे फ़तुही कहा जाता था. बाहर जाने की सूरत में वे बुकसट लगा लिया करते थे.

असल में शब्दों के साथ साथ आप बहुत सारी अंतरंग यात्राओं पर भी जब तब ले जाया करते हैं. सदा की तरह आपका काम उम्दा है यानी कि फ़र्स्ट क्लास.

Sanjay Karere said...

अरे वाह बुशर्ट..... बरसों बाद यह शब्‍द सुन कर आनंद आ गया. धन्‍यवाद अजित भाई.

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