इन्हें भी ज़रूर देखें-
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परचून की पैदाइश से उपेन्द्रनाथ अश्क तक
- छुटकू की खुर्दबीन और खुदाई...[क्षुद्र-2]
- खुदरा बेचो, खुदरा खरीदो.[क्षुद्र-1..]
इस कड़ी से जुड़े कुछ अन्य शब्द सफ़र के अगले पड़ाव पर
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 1:49 AM
16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
11 कमेंट्स:
बन्धु,तीन व्यक्ति आप का मोबाइल नम्बर पूँछ रहे थे।मैनें उन्हें आप का नम्बर तो नहीं दिया किन्तु आप के घर का पता अवश्य दे दिया है।वे आज रात्रि आप के घर अवश्य पहुँचेंगे।उनके नाम हैं सुख,शान्ति और समृद्धि।कृपया उनका स्वागत और सम्मान करें।मैने उनसे कह दिया है कि वे आप के घर में स्थायी रुप से रहें और आप उनकी यथेष्ट देखभाल करेंगे और वे भी आपके लिए सदैव उपलब्ध रहेंगे।प्रकाश पर्व दीपावली आपको यशस्वी और परिवार को प्रसन्न रखे।
बहुत खूब जानकारी रही. ज्ञानगंगा बहने दिजिये.
आभार.
narayan narayan
प्रिय अजित जी
आपको यह सूचना किसने दे दी कि मैं विश्वविद्यालय में रीडर के पद से सेवामुक्त हुआ. जो व्यक्ति सत्रह वर्षों तक प्रोफेसर रहा हो उसे रीडर लिखकर आप क्या संकेत करना चाहते हैं मैं नहीं समझ पाया. वैसे आप प्रवक्ता या अध्यापक भी लिख देते तो कोई अन्तर न पड़ता. मनुष्य अपने ज्ञान से पहचाना जाता है, पदों से नहीं.
स्नेह सहित
शैलेश ज़ैदी
बिलकुल सही विश्लेषण। मैं बुर्द का अर्थ नहीं पकड़ पा रहा था। बुरादे ने सब स्पष्ट कर दिया। दोनों का युग्म एक नया और वजनदार अर्थ दे रहा है। इस खुर्द-बुर्द का कोई समानार्थक भी नहीं है।
@कात्याययन
दीपावली की मंगलकामनाएं सुंमंतजी...आपके भेजे तीनों सुनाम श्रीयुत मेरे पूर्व परिचित निकले। अब उनसे आग्रह किया है कि वे यहीं निवास करें।
@युग-विमर्श
क्षमा चाहूंगा डॉ ज़ैदी। पदनाम आपके ब्लाग पर जाकर क्रासचेक करना चाहिए था, जो नहीं कर पाया। भूल सुधार ली गई है। आपको जो कष्ट हुआ उसके लिए एक बार फिर क्षमा चाहूंगा।
अच्छा लगा इसे पढ़कर। डा.जैदी साहब की प्रतिक्रिया भी बहुत अच्छी लगी। डा.जैदी साहब आशा है आगे भी अपनी प्रतिक्रियाओं से हमारा ज्ञान-वर्धन करते रहेंगे।
शुक्रिया ज्ञानवर्धन के लिए!
शुभ दीपावली
नया साल और दीपावली मुबारक हो --
डा.जैदी साहब की ज्ञानवर्धक टीप्पणी से आपकी पोस्ट भी ज्यादा विस्तार से समझ पाये हैँ
इसी तरह ज्यादा शब्दोँ के बारे मेँ जान पायेँगेँ -
आप दोनोँ को शुभकामनाएँ ~~
- लावण्या
बहुत जानकारी पूर्ण आलेख. शुक्रिया आपको भी और डा.जैदी साहब की ज्ञानवर्धक टीप्पणी के लिए भी
Ajit ji bahut khoob. aise hi gyan wardha karte rahiye. conclave me bhopal aana tha lekin do naye akhbaro ke khul jane se aa nahi saka.
-manish gupta
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