पंसारी और परचून की कड़ी में अगर किरानी शब्द छूट जाए तो अधूरापन सा लगता है। हिन्दी उर्दू में एक शब्द है किरानी। दोनो ज़बानों में इनके दो अलग अलग मायने हैं। जाहिर सी बात है कि किरानी का एक अर्थ तो परचूनिया अथवा पंसारी ही हुआ। हिन्दी उर्दू में इससे ही बना किराना शब्द भी है जिसके मायने हुए परचून की
दुकान । दिलचस्प बात ये कि पंसारी और परचून दोनों ही लफ्ज आज कारोबारी शब्दावली में अपना रुतबा खो चुके हैं मगर किरानी का रुतबा बना हुआ है। हर शहर में जनरल स्टोर्स के साथ किराना स्टोर्स ठाठ से लिखा मिल जाता है।
जनरल स्टोर पर बैठा किरानी
किराना या किरानी शब्द बना है संस्कृत कि धातु क्री से । इसका मतलब होता है खरीदना
, मोल लेना। किराए पर लेना या बेचना। विनिमय या अदला बदली भी इसमें शामिल है। क्री से ही एक अन्य क्रियारूप बनता है क्रयः जिसका अर्थ भी खरीदना, मूल्य चुकाना है। इसमें वि उपसर्ग लगने से बना विक्रय जिसका मतलब हुआ बेचना। जाहिर है क्रय से ही हिन्दी के खरीद, खरीदना जैसे शब्द बने और विक्रय से बिक्री बना। इससे ही बने क्रयणम् या क्रयाणकः जिसने हिन्दी उर्दू में किरानी और किराना का रूप लिया।
अंग्रेजों का नौकर
किरानी का एक दूसरा मतलब है क्लर्क, बाबू। खाताबही लिखने वाला। अब इन अर्थो में इस शब्द का प्रयोग हिन्दी में लगभग बंद हो गया है मगर अंग्रेजीराज से संबंधित संदर्भों में यह शब्द अनजाना नहीं है। यह बना है करणम् से जिसका मतलब है कार्यान्वित करना, धार्मिक कार्य, व्यापार-व्यवसाय, बही, दस्तावेज, लिखित प्रमाण आदि । गौरतलब है कि यह लफ्ज भी बना है संस्कृत धातु कृ से जिसका मतलब है करना, बनाना, लिखना, रचना करना आदि। हाथ को संस्कृत में कर कहते हैं । यह इसीलिए बना क्योंकि हम जो भी करते हैं , हाथों से ही करते हैं सो कृ से ही बना कर यानी हाथ। इसी से बना करबद्ध यानी हाथ जो़ड़ना। सिखपंथ का एक शब्द है कारसेवा। कई लोग इसे कार्य-सेवा के रूप में देखते हैं। दरअसल यहां भी कर यानी हाथ ही है। कारसेवा यानी जो हाथों से की जाए।
मोरक्को का प्रसिद्ध यात्री अबु अब्दुल्ला मुहम्मद जिसे हम इब्न बतूता के नाम से जानते हैं चौदहवीं सदी में भारत आया था और उसके यात्रा वर्णन में भी किरानी शब्द का उल्लेख है जो एकाउंटेंट के अर्थ में ही है।
सुरीला किराना
संगीत में भी किराना शब्द चलता है। यह एक प्रसिद्ध घराना है। मगर उपरोक्त किराना से इसका कोई लेना देना नहीं है। किराना दरअसल उत्तरप्रदेश के सहारनपुर जिले के एक कस्बे कैराना से चला है। यह दरअसल गायकी का घराना है और उस्ताद अब्दुल करीम खां, उस्ताद अब्दुल वहीद खां जैसे नामवर गायक इसी घराने से ताल्लुक रखते हैं।
Thursday, December 6, 2007
किराने की धूम- बाबू किरानी, उस्ताद किरानी
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:10 AM
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9 कमेंट्स:
परफैक्ट फिनिश. एकदम सही जगह समापन किया. यदि आप कैराना का उल्लेख नहीं करते तो मुझे बहुत निराशा होती. लेकिन यही तो आपकी सबसे बड़ी खूबी है. वैसे आपको बताउं कि पंजाब में लोग खास तौर पर गांवों में अब भी किराना शब्द को थोड़ा सा बदल कर किरयाना या किरयाने (पंजाबी स्टायल में) के रूप में खूब इस्तेमाल करते हैं. बहुत अच्छी जानकारी.
अजित भाई, आश्चर्य करता हूं कि रोज इतना शोधपूर्ण लेखन के लिए कैसे समय निकाल पाते हैं... चिट्ठी का जवाब जब समय मिले तो लिखें आपने पढ़ ली यही पर्याप्त है.
हम सब किरानी हुये - जिन्दगी का गलत सही अकाउण्ट रखते हुये। अकाउण्ट रखने में ही समय निकल जा रहा है कि जिन्दगी जीने का समय ही नहीं मिल रहा।
आगरा में किनारी बाजार है, वहां सोने की दुकानें हैं।घणी जानकारीपूर्ण पोस्ट है जी। आप तो एक किताब लिख दो यह सब समेट कर, हम बच्चों के कोर्स मे लगा देंगे जी।
वाकई भाई साहब, आलोक जी का कहना सही है। आप इन सब पर किताब की तैयारी कर लो अब तो!! ( कहीं कर ही तो नही रहे?)
पढ़ कर गदगद हूँ.....बस
बढ़िया जानकारी. "किरानी" के ऊपर ये शोधकार्य अच्छा है. वैसे संगीत वाले "किराना" का पता भी चल गया सो आपको शंयावाद. हाँ ज्ञान भइया कि बात भी मजेदार है है.
कहाँ कहाँ से आते हैं शब्द । रोचक !
बहुत ज़बरद्स्त रहा अजित भाई.. परचून, पंसारी और किराना.. पढ़ता सब रहा बस टिप्पणी न कर सका..
बढिया ।
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