हो ली के साथ जो भाव सर्वाधिक जुड़ा हुआ है वह है मस्ती और उल्लास का। वसंत और फागुन का मिला-जुला आनंदातिरेक ही होली का उल्लास है मस्ती है। अतिशय उल्लास से ही उन्माद की सृष्टि होती है। मगर उन्माद के लिए लोग प्रायः नशा भी करते हैं उसकी वजह से कहीं रंग में भंग होता है और कहीं भंग (भांग) से रंग चढ़ता है। मस्ती, मस्ताना, मतवाला जैसे शब्दों की होली से खूब सोहबत है। होली के इन संगी-साथियों की कुछ खबर ली जाए।
हिन्दी में मस्त शब्द फारसी से आया है और यह इंडो-ईरानी भाषा परिवार का शब्द है। फारसी में मस्तम, मस्तान, मस्ताना और मस्ती जैसे रूप मिलते हैं जो सभी उर्दू-हिन्दी में भी मौजूद हैं। फारसी का मस्त शब्द बरास्ता अवेस्ता संस्कृत के मत्त से रिश्ता रखता है जिसका अर्थ होता है आनंदातिरेक, नशे में चूर आदि। इस नशे की व्याख्या यहां नहीं है कि नशा मादक पदार्थ का है अथवा आध्यात्मिक है मगर यह साफ है कि मत्त वही व्यक्ति है जो अपने आपे में नहीं है, जो दुनिया के सामान्य क्रिया-कलापों से अनभिज्ञ है। जो खुद में गाफिल है।
हिन्दी उर्दू में
मत्त से ही बना है
मतवाला जिसका मतलब होता है नशे में चूर। मत्त अथवा मतवाला का अर्थ घमंडी अथवा गर्व से इतरानेवाला भी होता है। जाहिर है घमंड की वजह भी धन, बल, संतान, स्त्री, ज्ञान की अधिकता ही है। सो वह भी एकतरह का नशा ही उत्पन्न करती है। इसलिए घमंडी व्यक्ति का व्यवहार भी मतवालों जैसा ही होता है। मतवाला शब्द का प्रयोग ज़रूरी नहीं कि शराबी के लिए ही हो। मस्तमौला भी मतवाला ही है। हिन्दी की व्यंग्य पत्रकारिता में मतवाला नाम मीला के पत्थर की हैसियत रखता है। आज से करीब नब्बे साल पहले कलकत्ता से
मतवाला का प्रकाशन होता था। तत्कालीन भारत के समाज, राजनीति और नेताओं पर की गई मुंशी नवजादिककलाल श्रीवास्तव और शिवपूजन सहाय की टिप्पणियां कालजयी हैं। मत्त से ही बना है
मत्सरः शब्द जिसका हिन्दी रूप मत्सर है। इसका मतलब होता है लालची, ईर्ष्यालु, द्वेष रखने वाला, घमंडी अथवा दुष्ट। धर्मग्रंथों में मत्सर को बड़ी बुराई बताया जाता है। हाथी जब कामभावना से उन्मत्त होता है तब उसके कान से एक द्रव का स्राव होता है जिसे मद कहते हैं। इस अवस्था में हाथी मनुष्य के काबू में नहीं रहता। इसीलिए हाथी को भी मत्त कहा जाता है क्योंकि वह
“मदवाला” होता है। इस अवस्था में हाथी विक्षिप्त भी हो जाता है।
मत्त का एक अर्थ पागल भी होता है। वैसे भी घमंड या नशे के प्रभाव में मनुष्य का स्वभाव सामान्य कहां रह पाता है।
होली पर जिस मस्ती की बात चली है वह
मस्ती सूफी संतों पर तो बारहो महिने छायी रहती है। इसी लिए सूफियाना कलामों में और सूफी संतों को मस्ताना, मस्त कलंदर आदि कहा जाता है। खुशमिजाज़ तबीयत के इन्सान को
मस्तमौला कहा जाता है। इस मुहावरे से भी सूफियाना सिफत
वसंतोत्सव को ही मदनोत्सव कहा गया है। होली के साथ नशा यूं ही नहीं जुड़ा है। होली ही दरअसल मदनोत्सव है।
ही झलक रही है। सूफी दार्शनिकों की निगाह में मस्त वह है जो ईश्वर के प्रेम में निमग्न है। ईश्वर भक्ति में आनंदलीन है। प्रभु की भक्ति में खुद को इस कदर मशगूल रहना की दीन-दुनिया की ख़बर न हो, वही है मस्ती। मौला यानी सन्यासी, सूफी इस तरह जब भक्ति में निमग्न फकीर जब हाल की अवस्था में आता है तो उसे भी मस्ती ही कहा जाता है। ऐसे फकीरों को ही मस्तमौला कहते हैं।
मत्त शब्द बना है संस्कृत धातु मद् से। मद् में वही सारे भाव हैं जो मत्त में हैं। मद् से ही बना है मदः शब्द जिसमें मस्ती, नशीलापन, लालसा, लालित्य, उत्कण्ठा, उल्लास जैसे भाव हैं। जो नशा करे वह मादक है। मादकता में ही उन्माद है। आनंददायक या उल्लास का भाव पैदा करे वह मदन है। कामदेव को इसीलिए मदन की उपमा दी गई है। कृष्ण को भी मदनगोपाल कहा जाता है। वसंत ऋतु को भी मदन कहा जाता है। वसंतोत्सव को ही मदनोत्सव कहा गया है। होली के साथ नशा यूं ही नहीं जुड़ा है। होली ही दरअसल मदनोत्सव है। मदिर अर्थात जिससे आनंद प्राप्त हो। मदिरा अर्थात शराब। आप्टे कोश के मुताबिक दुर्गा का नामान्तर भी मदिरा है। यूं भी शाक्त सम्प्रदाय में देवी अनुष्ठानों में मदिरा एक पवित्र सामग्री मानी जाती है। मद्य शब्द भी इसी मूल से निकला है।
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12 कमेंट्स:
हाँ होली ही है मदनोत्सव . आपको बधाई
दिलचस्प पोस्ट है। मादक भी है, मौसम के अनुकूल।
मस्त पोस्ट....सार्थक...प्रासंगिक.
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होली की शुभकामनाएँ
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
मतवाले मौके पर मत्त पोस्ट!
बधाई।
इस मदभरी मत्त पोस्ट के लिए बधाई! आप को सपरिवार होली की बधाइयाँ।
होली की ढेरों रंग बिरंगी शुभकामनाएं.
नीरज
मद, मस्त, मदिरा, मतवाला, मद्य, मत्सर सारे शब्दों की चर्चा इस मदमाते उत्सव में, एकदम सही ।
apke shabdon ke safar me ham holi ke rangon me bah gaye bahut badiya likha hai holi mubarak ho
आप गजब के प्रयोगधर्मी हैं कुछ रंग मैंने आपकी प्रोफाईल पर उड़ेलने को निकाले थे किन्तु आप तो पहले से ही भूत हो चुके हैं. तस्वीर को देख कर लगता है किसी आदिम सभ्यता का कोई भविष्यवक्ता कुछ पूछे जाने की प्रतीक्षा में है. होली की शुभ कामनाएं.
होली कि बहुत बहुत बधाई ।
होली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!
होली की शुभकामनाओं सहित!!!
प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर
ये ब्लॉग,जिसका नाम शब्दों का सफ़र है,इसे मैं एक अद्भुत ब्लॉग मानता हूँ.....मैंने इसे मेल से सबस्क्राईब किया हुआ है.....बेशक मैं इसपर आज तक कोई टिप्पणी नहीं दे पाया हूँ....उसका कारण महज इतना ही है कि शब्दों की खोज के पीछे उनके गहन अर्थ हैं.....उसे समझ पाना ही अत्यंत कठिन कार्य है....और अपनी मौलिकता के साथ तटस्थ रहते हुए उनका अर्थ पकड़ना और उनका मूल्याकन करना तो जैसे असंभव प्रायः......!! और इस नाते अपनी टिप्पणियों को मैं एकदम बौना समझता हूँ....सुन्दर....बहुत अच्छे....बहुत बढिया आदि भर कहना मेरी फितरत में नहीं है.....सच इस कार्य के आगे हमारा योगदान तो हिंदी जगत में बिलकुल बौना ही तो है.....इस ब्लॉग के मालिक को मेरा सैल्यूट.....इस रस का आस्वादन करते हुए मैं कभी नहीं अघाया......और ना ही कभी अघाऊंगा......भाईजी को बहुत....बहुत....बहुत आभार.....साधुवाद....प्रेम......और सलाम.......!!
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