गुल्लक की रिश्तेदारी सचमुच दुनियादारी से इतनी नज़दीकी है कि दुनिया गोल नज़र आती है…
ब चपन से ही सभी को बचत का पाठ पढ़ाया जाता है। आज की बचत को कल की खुशहाली भी कहा जाता है क्योंकि इसी बचत से बच्चों को दुनियादारी का पाठ सिखाया जाता रहा है। बच्चों को बचत की प्रेरणा देने के लिए अक्सर उन्हें गुल्लक थमा दी जाती है। पारंपरिक गुल्लक अक्सर मिट्टी की होती है मगर अब प्लास्टिक से लेकर धातु तक की गुल्लकें मिलती है। अक्सर खिलौना गुल्लक या बच्चों की गुल्लक जैसा विशेषण भी इसके आगे लगाया जाता है। इंड़ो-यूरोपीय भाषा परिवार से ताल्लुक रखनेवाले गुल्लक की रिश्तेदारी सचमुच दुनियादारी से इतनी नज़दीकी है कि भूगोल और ग्लोब जैसे हिन्दी और अंग्रेजी के शब्दों में भी इसकी गोलाई नजर आती है। इस शब्द में न सिर्फ बचत अर्थात संग्रह का भाव है बल्कि गोलाई, समष्टि, समूह का अर्थ भी निहित है।
गुल्लक एक गोल आकार का घड़ेनुमा बंद मुंह वाला मिट्टी से बना पात्र होता है। इसमें सिक्के इकट्ठा करने के लिए एक छोटा छिद्र बना होता है। जब पात्र भर जाता है तो इसे तोड़ कर सिक्के निकाल लिये जाते हैं। प्रायः मिट्टी की गुल्लक बच्चों के लिए होती है या देहातों में महिलाएं रसोई की बचत के तौर पर इसे प्रयोग करती हैं। गुल्लक बना है मूल रूप से संस्कृत के गोलः शब्द से। गोलः का अर्थ होता है पिंड, गेंद, खंड आदि। प्राचीनकाल से ही मनुश्य प्रकृति चिंतन करता था। पृथ्वी, आकाश, अंतरिक्ष आदि के बारे में मौलिक विचार वह रखता था। इसीलिए गोलः शब्द में अंतरिक्ष, आकाश अथवा भूगोल जैसे अर्थ भी समाहित हैं। गोलः शब्द बना है गुडः से जिसका मतलब भी होता है पिंड या पिंड बनाना, गोल आकार देना। गुड का एक अन्य अर्थ गुड़ भी होता है।
प्राचीन काल से ही गन्ने के रस से बने गर्म गाढ़े शीरे को मोटे कपड़े में बांध कर रखा जाता है जो ठंडा होने पर एक पिंड में बदल जाता है। इसे ही
गुड़ की भेली कहते हैं।
भेली शब्द की सटीक व्युत्पत्ति तो अभी तक ज्ञात नहीं है। हमारे विचार में हिन्दी की कई बोलियों में
भेला, भेली जैसे शब्दों का अलग अलग अर्थो में प्रयोग होता है। इसका आशय एकत्र करना, मिलना, समेटना होता है। यह बना है मिल् धातु से जिसमें मिलना, समेटना जैसे भाव ही हैं। गाढ़े शीरे को कपड़े में उंडेल कर बांधने की प्रक्रिया दरअसल शीरे को बहने से रोकने, समेटने का ही प्रयास है। मालवी में इकट्टा होने को
भेला होना कहते हैं।
गुडः से बने
गोलः से ही बना है गोलकः जिसमें गोल पात्र, गेंद, पानी का मटका, गुड़ की भेली जैसे अर्थ इसमें शामिल हैं। वैसे गन्ने के छोटे छोटे टुकड़ों
कहानी पिग्गी बैंक की अल्पबचत के प्रतीक तौर पर दुनियाभर में पिग्गीबैंक बहुत प्रचलित हैं। इसकी शुरूआत भी दिलचस्प है। मध्यकालीन इंग्लैंड में भी भारतीय महिलाओं की ही तरह ब्रिटिश गृहिणियां भी रसोई की बचत को मिट्टी के जार में रखती थीं। ये जार एक खास मिट्टी से बनते थे जिसे पिग कहते थे। इन पात्रों को पिग जार कहा जाता था। रसोई से बचत की यह प्रक्रिया पूरे ब्रिटेन के समाज में खूब लोकप्रिय थी। बचत के अर्थ में धीरे-धीरे इसे इसे पिगी बैंक कहा जाने लगा। वहां तक तो कोई खास बात नहीं थी। मगर जैसे ही पिग से जुड़ कर गुल्लक का आकार सूअर की तरह हुआ यह एक दिलचस्प वृत्तांत बन गया। क्योंकि पिगी बैंक से सूअर का दूर पास का कोई रिश्ता नहीं।
को गड़ेरी कहते हैं जो इसी गुडः से बना शब्द है।
गोलकः और
गुल्लक की रिश्तेदारी संभव है भारत में फारसी की आमद के बाद हुई हो। घड़े के लिए गोलक शब्द तो भारतीय भाषाओं में प्रयोग होता रहा है। हिन्दी में भी गोलक और गुल्लक दोनों शब्द मिलते हैं। मगर
गोल शब्द के फारसी-ईरानी रूपों को देखने से ऐसा लगता है कि गुल्लक रूप फारसी प्रभाव में बना होगा। फारसी-ईरानी की विभिन्न शैलियों में बरास्ता अवेस्ता के
गुडे से बने कुछ रूप देखिये-
गुलूले, गुल्ले, गोरूक, गुल्लू, गुला आदि। दिलचस्प यह कि ये सभी रूप गोलाई के साथ साथ संग्रह को भी इंगित कर रहे हैं। आमतौर पर
अनाज मंडी को
गल्ला मंडी कहा जाता है। यह गल्ला क्या है ? गल्ला शब्द का प्रयोग मोटे तौर पर अनाज के भंडारण के लिए किया जाता है। पुराने ज़माने में हवेलियों के भीतर अनाज रखने के लिए बड़ी बड़ी घड़ेनुमा टंकियां बनाई जाती थीं जिन्हें गोलक कहा जाता था। गोलक से गल्ला जैसा शब्द बनने के पीछे गोल पात्र में रखे संग्रह का भाव ही है। यही गल्ला व्यापारी के लिए नगद राशि का पर्याय भी बनता है। कारोबारी भाषा में गल्ले की कमी का मतलब नगदी मुद्रा की समस्या से होता है। अंग्रेजी का
ग्लोब भी इसी शब्द समूह का हिस्सा है। प्राचीन इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की एक धातु है गेल gel जिससे ग्रीक में
ग्लूटोस gloutos शब्द बना। इसके लैटिन में glomus, globus जैसे रूप बने और बाद में अंग्रेजी का
ग्लोब globe बना। संस्कृत के गोलः या गोलकः का अर्थ भी पृथ्वी, अंतरिक्ष या भूगोल ही होता है। ग्लोब का अर्थ भी गोलाई के भाव में पृथ्वी या धरापिंड से ही है। विश्वबैंक को ग्लोबल गुल्लक कह सकते हैं। पूरी दुनिया इसमें तगड़ी रकम डालती है ….बचत के लिए नहीं बल्कि कर्ज की किस्तें चुकाने के लिए।
ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
12 कमेंट्स:
वाह ग्लोब घुमने के लिये गुल्लक मेँ पैसा जमा करो
गुलगुले भी तो कोई मिठाई होती है ना ?
- लावण्या
यह आलेख पढकर मुझे अच्छा लगा। अधिकांश जानकारियां मुझे हैं, यह देखकर आत्म विश्वास बढा।
'गुडभेली' के लिए आपका अनुमान उचित ही लगता है।
मुम्बई की 'भेल' भी इस 'मिलने', 'मिश्रण' (मराठी में जिसके लिए 'मिसळ' भी प्रयुक्त होता है) से ही बना है
तो ये रही सफ़र की ग्लोबल प्रस्तुति.
============================
आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
गुल्लक की जानकरी ने तो दिमाग को गोल - गोल गुम दिया ,
जानकारी भेली गुड़ (वेरी गुड ) है
बढिया रही जी यह जानकारी.
रामराम.
सभी गुल्लकें हमारे लिए हमेशा आकर्षण का केन्द्र रही हैं। बस हसरत से देखा करते हैं, इन्हें।
गुल्लक ही तो थी जो बचपन मे पैसा वाला होने की याद दिलाती थी .
धरती कितनी बड़ी गुल्लक है और अब लोग उसमें जमा करने की बजाय खाली करने में लगे हैं!
एकदम अलग सी जानकारी । गोल से गुड गुल्लक और ग्लोब ।
आज गुल्लक की ग्लोबल माया से भी परिचित हो लिए.
मजेदार
गुजराती में भी भेगा करना का मतलब इकट्ठा करना होता है, जो भेला का जो अर्थ आपने बताया है, उसके जैसा ही है। दोनों शब्द देखने-सुनने में भी बहुत निकट के लगते हैं। शायद एक ही मूल के हों।
और, अच्छा खाया-पिया सूअर गोल-मटोल ही होता है, गुल्लक की तरह, इसलिए पिग और गोलक में गोलपन का संबंध तो है ही :-)
Post a Comment