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Saturday, March 21, 2009
मियां, ऐश हो रही है !!!
सु ख-समृद्धि की ज़िंदगी के लिए ऐश शब्द का प्रयोग किया जाता है। अक्सर ही इसका इस्तेमाल मुहावरे की तरह भी होता है। ऐश शब्द में बेफिक्री के साथ गुज़र-बसर करने का भाव होता है प्रमुख है इसीलिए जेल में बंद सजायाफ्ता मुजरिमों के लिए भी ऐश करना मुहावरा प्रयोग किया जाता है क्योंकि जेल उनके लिए किसी ऐशगाह से कम नहीं होती।
इन्सान को जीने के लिए क्या चाहिए? हवा, पानी और रोटी। और ज्यादा की बात करें तो सिर और बदन पर साया (कपड़ा-मकान) भी इसमें जोड़ लीजिए। ज्यादातर लोगों के लिए ये तमाम चीज़े तो जीवन का आधार हैं। इनके जरिये सिर्फ जिंदा रहा जा सकता है, ऐश नहीं की जा सकती। दिलचस्प बात यह कि किसी ज़माने में ऐश का वह मतलब नहीं था जो आज प्रचलित हो चुका है।ऐश aish अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है रोटी, ब्रेड। अरबी में ही इसका एक अन्य अर्थ भी होता है जीवन। दार्शनिक अर्थ में विचार करें तो यह सच भी है। इन्सान को हवा-पानी तो ईश्वर ने मुफ्त में दिया। मगर इसके बूते उसकी जिंदगी चलनी मुश्किल थी। उसने तरकीब लगाई। मेहनत की और रोटी बना ली। बस, उसकी ऐश हो गई। हर तरह से वंचित व्यक्ति के लिए सिर्फ रोटी ही जीवन है। रोटी जो अन्न का पर्याय है, अन्न से बनती है। लेकिन बदलते वक्त में ऐश में वे तमाम वस्तुएं भी शामिल हो गईं जिनमें से सिर्फ रोटी को गायब कर दिया जाए तो उस तथाकथित ऐश से हर कोई तौबा करने लग जाएं। कबीरदास के शब्दों में भी ऐश का अर्थ वहीं है-साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय। मैं भी भूखा ना रहूं, साधु न भूखा जाय।।
ऐश से ही बना है फारसी, उर्दू, हिन्दी का अय्याश शब्द। अय्याश का जिक्र होते ही एक नकारात्मक भाव उभरता है। सुखविलास के सभी साधनों का अनैतिक प्रयोग करनेवाले के को आमतौर पर अय्य़ाश कहा जाता है। मद्दाह साहब के शब्दकोश में तो लोभी, भोगी के साथ व्यभिचारी को भी अय्याश की श्रेणी में रखा गया है। यह अय्याश शब्द भी ऐश की ही कतार में खड़ा है और उसी धातु से निकला है जिसका मूलार्थ जीवन का आधार रोटी थी मगर जिसका अर्थ समृद्धिशाली जीवन हो गया। उर्दू-फारसी-अरबी में लड़कियों का एक नाम होता है आएशा/आयशा ayesha जो इसी कड़ी का शब्द है मगर इसमें सकारात्मक भावों का समावेश है। आयशा का मतलब होता है समृद्धिशाली, सुखी, जीवन से भरपूर। पैगम्बर साहब की छोटी पत्नी का नाम भी हजरत आय़शा था और उन्हें इस्लाम के अनुयायियों की मां का दर्जा मिला हुआ है। अरबी के आएशा/आयशा से कुछ संगति हिन्दी के ऐश्वर्या से जुड़ती हुई लगती है। ऐश्वर्या का वही अर्थ है जो आएशा का है, मगर इन दोनों शब्दों का मूल अलग है। ऐश्वर्य या ऐश्वर्या बना है संस्कृत के ईश्वर से। जो परमसत्ता है, जो स्वयंप्रभु है, सर्वशक्तिमान है और इसलिए ईश्वर है। जाहिर है सुख और समृद्धि जैसे भाव तो ईश्वर में निहित हैं इसीलिए ऐश्वर्य का अर्थ ही सुख, संपत्ति, प्रभुता और शक्ति है। ऐश्वर्या अर्थात देवी। जिस (स्त्री) के पास ऐश्वर्य है, वह ऐश्वर्या है।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:02 AM
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12 कमेंट्स:
वाह! ऐश्वर्य राख (ash) से उत्पन्न होता है और राख में मिलता है!
हम तो आजतक एश का मतलब , कोई ऐसी "राय " जो ढूंढ ढांढ कर किसी मोटे बकरे माफ़ कीजीये गा बच्चन को फ़ास ले ही समजते थे :)
ऐश ही चल रही है-जब तक चल जाये.
जिस पर रोटी है वह ही तो एश करता है . और रोटी की गर्मी से अय्याशी पर उतर जाता है
रोटी को ऐश बोलते थे ......लेकिन अब तो वास्तव में ऐश ने दूसरा रूप ले लिया है :)
मेरे हिसाब से तो ऐश वो होती है जिसमे आपकी हर इक्षा (जाहे वो सही हो या गलत ) पूरी हो रही हो .
कोई ऐश बाकि न रहे , कभी हम ऐसा सोचा करते थे .
ऐश का सही अर्थ जानकर बहुत अच्छा लगा .
वो तो अभिषेक की
हो गई है
बाकी किसी की कैसे
हो सकती है ?
वाह इस हिसाब से तो हम सभी ऐश कर रहे हैं ।
बिना ऐश (रोटी) तो ऐश होना सच में मुश्किल है.
दोनो में से एक ऐश का होना जरूरी है -- "ऐश" के लिए!!!!!!
सच जीवन से भरपूर पोस्ट है यह.
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शुक्रिया अजित जी
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बहुत खूब …एकदम नयी जानकारी
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