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Wednesday, October 14, 2009
मोटे असामी का इस्मे-शरीफ़
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मो टा असामी शब्द का मतलब पूछने पर बचपन में अक्सर हमें बताया जाता था कि इसका अर्थ है मालदार आदमी। इसकी व्याख्या समझदार लोग असम से जोड़ कर करते थे। गौरतलब है कि मारवाड़ी देश के हर कोने में दिसावरी के लिए अर्थात धन कमान के लिए जाते रहे हैं। अंगरेजों ने जब असम में चाय उगानी शुरू की तो मारवाड़ी इस धंधे में भी हाथ आज़माने असम पहुंच गए। वहां जिन लोगों की किस्मत चमकी और उन्होंने मोटा माल बनाया, उन्हें मोटा असामी कहा जाने लगा। दिलचस्प और भरोसा करने लायक पर्याप्त तर्क होते हुए भी यह व्युत्पत्ति सही नहीं है। असामी दरअसल हिन्दी में अरबी ज़बान से आया शब्द है और इसके कई मायने हैं। इसका अर्थ शब्दकोशों में पापी, गुनहगार, अपराधी से लेकर किसान, ग्राहक या सौदा करनेवाले के रूप में दिया है। कहीं भी इसकी सम्पूर्ण व्याख्या नहीं मिलती। रामचंद्र वर्म्मा/बदरीनाथ कपूर के प्रसिद्ध उर्दू-हिन्दी कोश में जहां एक साथ इसका अर्थ बतौर पापी लोग और काश्तकार दिया है वहीं मुहम्मद मुस्तफा खां मद्दाह के उर्दू-हिन्दी कोश में ये दोनों शब्द इन्हीं अर्थों में अलग-अलग जगह दर्ज हैं। यानी कोशकार ने पापी असामी और काश्तकार असामी को अलग-अलग शब्द माना है।
हमारा अनुमान है कि मूलतः यह शब्द भी मनुष्य की पशुपालन संस्कृति से उपजा है जिसकी अर्थवत्ता
... पुलिस के लिए हर वह व्यक्ति असामी हो गया जो सीखचों के अंदर है या जिसे पहुंचाया जा सकता है। (इससे बचने के लिए वो अपनी जेब ढीली कर सकता है )...
दिनोंदिन व्यापक होती चली गई। इसकी रिश्तेदारी दो सेमिटिक धातुओं a-s-m और i-s-m ( अलिफ़-साद-मीम) से जोड़ी जाती है। अगर इसके किसान, कृषक जैसे अर्थो पर गौर करें तो a-s-m से इसका संबंध जुड़ता है जिसमें रोक कर रखना, हिफ़ाज़त करना, सुरक्षा करना जैसे भाव हैं। पशुपालक समाज ही बाद में एक स्थान पर टिक कर, रुक कर खेतिहर समुदाय में तब्दील हुआ। जाहिर है अस्म शब्द में किसान या कृषिकर्म करनेवाले का अर्थ समाहित हुआ। जहां तक लेन-देन करनेवाले, ग्राहक या सौदा करनेवाले व्यक्ति के तौर पर इसके अर्थ का प्रश्न है, वह सवाल भी हल हो रहा है। आदिम समाजों में घुमक्कड़ी के बाद का पड़ाव था खेती और उसके बाद सामाजिक विकासक्रम में व्यापार नाम का तत्व प्रविष्ट होता है। जाहिर है कृषि उपज के बदले अन्य आवश्यक सामग्रियों का लेनदेन कृषक और सौदागरों के बीच ही होता था अर्थात कृषक ही ग्राहक भी था। मुग़लों और ब्रिटिश राज के राजस्व दस्तावेज़ों में असमी शब्द कृषक से ही जुड़ता है। हर वह किसान जिसके पास खुदकाश्त है और जो अपने छप्पर का मालिक है, असमी कहलाता था। ऐसा व्यक्ति जिसके पास बतौर पैतृक सम्पत्ति कृषिभूमि है, वह भी असामी था। बाद में बटाई पर खेती करनेवाला व्यक्ति भी असामी की श्रेणी में आ गया। हिन्दी शब्द सागर के मुताबिक असामी का एक अर्थ वेश्या भी होता है। नवाबी दौर में यह शब्द इस्तेमाल होता था। असामी का प्रयोग रोजगार या नौकरी के लिए भी होता था जैसे असामी मिल गई या कच्ची असामी यानी चंदरोज़ के लिए काम मिलना।
मोटा असामी शब्द पर गौर करें तो बनिये के लिए अच्छा, मालदार ग्राहक मोटा असामी है। इस मुहावरे का प्रयोग हमेशा इसी अर्थ में होता है। व्यापारी को मोटा असामी नहीं कहा जाता बल्कि तगड़ा ग्राहक मोटा असामी कहलाता है। अरबी में अस्मन का अर्थ होता है बहुत चर्बीला, बहुत मोटा आदि। वैसे मोटा असामी की तर्ज पर डूबा असामी मुहावरा भी है जिसका अर्थ दिवालिया होता है। इस्म ism से असामी शब्द की व्युत्पत्ति पर गौर करें तो इस धातु का अर्थ होता है नाम। पुराने ज़माने में किसी से उसका परिचय जानने के लिए कहा जाता था, आपका इस्मे-शरीफ क्या है अभिप्राय शुभनाम से ही होता था। इस्मत (अस्मत) का मतलब होता है सतीत्व, पातिव्रत्य। संभव है नाम के साथ जुड़ी पहचान के चलते इस्म से इस्मत इस अर्थ में प्रचलित हुआ है। इस्म का बहुवचन होता है अस्मा या असामी जिसमें लोग, व्यक्ति आदि की अर्थवत्ता समा गई। गौर करें ग्राहक या कृषक के तौर पर असामी शब्द की व्यंजना यहां सामान्य व्यक्ति के रूप में ही है अर्थात- दुकान के भीतर कई असामी थे। दुकान के भीतर जो लोग हैं उन्हें ग्राहक ही माना जाएगा। जहां तक असामी के अपराधी वाले अर्थ का सवाल है, अरबी में एक अन्य शब्द है इस्म जिसके मायने पाप, गुनाह आदि हैं। अरबी लिपि में ऊपर-नीचे की बिंदी की वजह से हिन्दुस्तानी कायस्थ मुंशियों द्वारा असमी शब्द को कुछ इस ढंग से लिखा गया कि यह पाप के अर्थ वाली इस्म धातु से वाबस्ता हो गया। सर हेनरी मायर्स इलियट (Henry Miers Elliot) मेम्वार्ज़ ऑन द हिस्ट्री, फोकलोर, एंड डिस्ट्रीब्यूश ऑफ़ द रेसेस ऑफ द नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंस ऑफ इंडिया में लिखते है-
साफ है कि पाप, गुनाह, बदी, बुराई जैसे अर्थों से असामी का कोई लेना देना नहीं था, मगर बाद में हो गया। व्यापारी के लिए ग्राहक असामी हो गया। ज़रूरतमंद के लिए साहूकार या महाजन असामी हो गया और पुलिस के लिए हर वह व्यक्ति असामी हो गया जो सीखचों के अंदर है या जिसे पहुंचाया जा सकता है। (इससे बचने के लिए वो अपनी जेब ढीली कर सकता है ) असामी का एक अर्थ कर्जदार भी होता है। यूं यह विशुद्ध रूप से पशुपालन संस्कृति से उपजा और विभिन्न अर्थगर्भित भावों के साथ विकसित हुआ शब्द है जो हिन्दी में आकर असामी या आसामी के तौर पर प्रचलित हुआ। प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 4:48 AM लेबल: business money
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19 कमेंट्स:
वाकई असामी शब्द प्रयोग में लिया जाता है पर इतना विस्तृत अर्थ आज ही जाना --
दीपावली पर्व पर समस्त परिवार को शुभकामनाएं अजित भाई
अब जाकर मतलब साफ हुआ.
हमारे यहाँ गाँव में असामी गरीब भूमिहीन मजदूर और शुद्र जाती के लोगो को कहा जाता है . हर बड़े आदमी के असामी अलग होते थे पुश्त दर पुश्त . अब समय बदल गया है . अब सब असामी नरेगा के है .
सामान्य और प्रचलित अर्थों में असामी वह जिस से कमाई की जा सके। इस्मत/अस्मत यदि पातिव्रत्य है तो इस का सौदा करने वाली, इस के सहारे कमाने वाली वेश्या है। मर्दों की दुनिया ने इस कर्म को पाप कहा तो असामी का अर्थ पापी भी हो गया। वहीं वेश्याओं के लिए ग्राहक असामी हुआ। कितनी व्यंजनाएँ हैं इस एक साधारण से दिखाई देने वाले शब्द में? वास्तव मे कल इस ब्लाग पर आई ईश की टिप्पणी बहुत सार्थक है।
काश, मेरा भी कोई रकीब होता।
ह ह हा।
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मोटे असामी का इस्मे-शरीफ़
तो सारी दुनिया ही है।
समझ गये जी धन्यवाद दीपावली की शुभकामनायें
मेरी मां हमेशा मोटे असामी शब्द का इस्तेमाल करतीं हैं. अब उन्हें भी इसके विभिन्न अर्थ बताउंगी.
aksar upyog me aanewale shabd ke aur bhi arth pata chale, dhanyavaad
अक आसामी शब्द की इतनी व्याख्या सिर्फ शब्दों के सफर पर ही पढ़ी जा सकती है |
आभार
वाह! यह तो बहुत अच्छी बात बताई आपने.........
आपका बहुत बहुत धन्यवाद.........
सादर
महफूज़
मैं भी असामी को असमी से उद्गम मानता था...उर्दू में इस्म और खुद्काश्त्कार से सम्बन्ध जानकार सुखद लगा..
आभार.
:)
तो मोटे आसामी इधर से आये ! वाह !
चलिए यह तो तय रहा की आसामी का असम या अहोम से कोई सम्बन्ध नहीं है.
इस्म, आसामी, और इस्मत एक साथ समझ में आ गया। वाह। आभार।
अजित भाई
असामी वाले इस लेख में आपने इस शब्द के *किसान वाले अर्थों के विकास का अनुमान लगते हुए लिखा है ,"अगर इसके किसान, कृषक जैसे अर्थो पर गौर करें तो a-s-m से इसका संबंध जुड़ता है जिसमें रोक कर रखना, हिफ़ाज़त करना, सुरक्षा करना जैसे भाव हैं। पशुपालक समाज ही बाद में एक स्थान पर टिक कर, रुक कर खेतिहर समुदाय में तब्दील हुआ। जाहिर है अस्म शब्द में किसान या कृषिकर्म करनेवाले का अर्थ समाहित हुआ। " जब कि सर हेनरी मायर्स इलियट की
दी हुई प्रविष्टी में साफ़ लिखा है कि इस शब्द के विभिन्न अर्थ इस लिए व्युत्पत हुए क्योंकि ऐसे सब लोगों की सूची एक रजिस्टर में चढ़ाई जाती थी जिस का सिरलेख *असामी (हिन्दी में *नामावली कह सकते हैं.) अर्थात क्योंकि किसान, मुजरिम, उपजीवी वगैरा सब इस *असामी सिरलेख के अधीन ही आते थे, इस लिए इन सब को असामी ही कहा जाने लगा. ये सबी अर्थ अरबी में नहीं हैं, इन का विकास भारत में ही हुआ. आप के अनुमान से लगता है जैसे शब्द के किसान वाले अर्थ अरब में ही विकसित हुए होंगे. शायद मुझे ही समझाने में कुछ गलती लगी हो .मेरा ख्याल है अगर आप उससे अलग विचार रखते हैं तो फिर भी आपको मायर्स इलियट की व्याख्या का खंडन करना चाहिए था .एक अरबी कोष में मुझे अस्म के अर्थ नाम, ओहदा , ज़हर वगैरा मिले हैं, और असामी के साम(Semite), सर्वोच्च, ऊब,तिली आदि हैं.
बलजीत भाई,
आपकी आपत्ति समझ में नहीं आई। किसी भी बात का खंडन-मंडन करने की ज़रूरत कहाँ है?
यह शब्द अन्य अनेक सेमिटिक, इंडोयूरोपीय शब्दों की तरह ही पशुपालन संस्कृति से जन्मा होगा, हमने यह बात अनुमान के तौर पर कही है न कि असमी, असामी या आसामी का एक अर्थ किसान भी हो सकता है इस पर अटकल लगाई है। असमी का अर्थ किसान भी होता है यह तो कई कोश कह रहे हैं। इसके अतिरिक्त नामावली की बात तो स्पष्ट है ही। अस्म या अस्मा, इस्म का बहुवचन है। कहाँ दिक्कत है आपको?
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