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Saturday, May 1, 2010
[माइक्रोपोस्ट] स्वाद चखाना, स्वाद बिगड़ना
दु निया में जायका किसे पसंद नहीं होता। जायकेदार भोजन, जायकेदार बातें। जायका यानी लज्जत। लज्जत यानी मजा और मजा यानी स्वाद। किसी वस्तु अथवा विचार का जब सार हासिल हो जाता है तो उसी बिन्दु पर आनंद का सृजन होता है, यही स्वाद है। यूं खाने-पीने के स्वाद के संदर्भ में कह सकते हैं कि जीभ यानी रसेन्द्रियों को खाद्य पदार्थ के फीके, कटु, तिक्त या मधुर होने का अनुभव ही स्वाद कहलाता है। स्वाद बना है संस्कृत की स्वद् धातु से जिसमें पसंद, मधुरता, रस लेना आदि। किसी वस्तु को मधुर करना, चखना या उसका उपभोग करने का भाव भी स्वद् में निहित है। स्वद् से बना है स्वादः या स्वादनम् जिसका अर्थ है मजा, आनंद, रस। इसमें चखना, खाना, पीना जैसे भाव भी हैं और बोलचाल में यही इसका मूलार्थ भी हो गया। इस शृंखला के कुछ अन्य शब्द भी हिन्दी में प्रचलित हैं मसलन स्वादिष्ट अर्थात अत्यंत मधुर, जायकेदार, लज्जतदार। एक अन्य शब्द है स्वादु। स्वादु में सु उपसर्ग लगने से स्वाद को और भी महत्व मिलता है।
संस्कृत में स्वादु के स्वादिष्ट के अतिरिक्त भी कई अर्थ है जैसे सुखद, रुचिकर, सुंदर, प्रिय, मनोहर। सुस्वादु का अर्थ भी अत्यंत सुहावना, मधुर होता है। इसका अर्थ मिठास भी होता है। गुड़, राब, शीरा, चाशनी, अंगूर भी इसकी अर्थवत्ता में शामिल हैं। संस्कृत में स्वादुखण्ड यानी गुड़, स्वादुअम्लः यानी अनार का पड़, स्वादुफलम् यानी बेर, स्वादरसा यानी अंगूर और स्वादशुद्धम् यानी सेंधा नमक होता है। एक अन्य शब्द भी हिन्दी में खूब प्रचलित है-रसास्वादन यानी किसी बात, विचार अथवा पदार्थ का आनंद लेना। स्वाद का मुहावरेदार इस्तेमाल भी होता है। जैसे स्वाद लगाना यानी किसी चीज़ की आदत लगा देना। स्वाद बिगड़ना यानी किसी चीज का जायका खराब होना या कोई बात मनोनुकूल न होना। स्वाद चखाना यानी किसी को उसके किए की सजा देना। इसका अर्थ एक अन्य मुहावरे से और स्पष्ट होता है। किसी को मजा चखाना। जाहिर जब कोई नियम और नैतिकता का उल्लंघन करने में स्वाद लेने लगे तब उसके साथ उसकी नीति से बर्ताव करना, उसे मजा या स्वाद चखाना ही तो कहलाएगा न!!!
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:03 AM लेबल: food drink, पदार्थ, रहन-सहन
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11 कमेंट्स:
बहुत जायकेदार जानकारी रही.
आज मजदूर दिवस है
एक मई नेक है
चखना मजदूरी का
नायाब उदाहरण है
इतना कार्य करना
क्या साधारण है ?
स्वाद आ गया अविनाशजी आपकी प्रतिक्रिया से, यूं कहिए शब्दों की जो मेहनत-मजूरी चर रही है सफर में उसका फल मिल गया।
कितने तरह के स्वाद की अनुभूतियाँ हैं -खटरस कौन हैं ! कृपया जोड़ें ?
अजित भाई
सामयिक प्रविष्टि... स्वाद और स्वेद ...दोनों ही सुख की अनुभूति के स्रोत ...फिलहाल स्वेद दिवस की शुभकामनायें !
वाह अजित जी,
सुबह सुबह ज़ायके का सफ़र करा दिया...
जय हिंद...
अर्थ 'स्वादिष्ट'* का पढ़ा और चल दिए,
चख के भी अनजान थे जिस स्वाद से,
"देर करदी", कह के पट बंद कर दिया,
और मियाँ ने हाथ अपने मल लिए.
[*सुन्दर, प्रिय, सुमधुर]
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
रसोई जाकर स्वाद बनाते हैं ।
स्वादिष्ट 'माइक्रोपोस्ट'
अजित साहब,आप कहते हैं कि आप भाषा विज्ञान के आधिकारिक विद्वान नहीं हैं पर सच यह है कि भाषा विज्ञानं में रूचि रखने वाले हर पाठक को आपके आलेख पढना चाहिए .साधुवाद के अलावा और क्या कहूं.
समाजवाद/साम्यवाद की तर्ज पर स-वाद (स्वाद) भी कोई वाद है, लगता है!
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