Tuesday, August 14, 2007

गुलाम तो बच्चा है



माज में बदलाव का दौर आता रहता है बदलाव की वजह कुछ भी हो सकती है मगर इसका प्रभाव खान पान, पहनावा और बोली पर महसूस किया जाता है। खान-पान, पहनावे की तुलना में बोली का बदलाव कहीं ज्यादा टिकाऊ और असरदार होता है। हिन्दी उर्दू सहित कई एशियाई भाषाओं में दास या सही मायनों में क्रीतदास (खरीदा गया सेवक) के अर्थ में गुलाम शब्द प्रचलित है और इसका इस्तेमाल आम है। मूलत: यह अरबी भाषा का है। किसी दौर में अरबी जबान में गुलाम शब्द का वह अर्थ नहीं था जिसे आज जमाना भर जानता है। सही मायने में गुलाम का मतलब था बच्चा।
भाषा प्रयोग के आधार पर किशोर से नौजवान तक के लिए यह शब्द इस्तेमाल होता था। बाद में यह लक्षण इसके साथ जुड़ गया कि जिस उम्र तक लड़के की दाढ़ी-मूंछ नहीं आती , वह गुलाम यानी बच्चा है।
हालांकि एक बात तो साफ है कि दास के अर्थ में गुलाम शब्द के ढलने के पीछे यह तथ्य भी छुपा है कि किसी जमाने में अरब देशों में सेवा-टहल के लिए बच्चों को काम मे लिया जाता रहा। मुस्लिम नामों के साथ जुड़े गुलाम शब्द के पीछे भी बच्चा या सेवादार जैसे अर्थ ही हैं मसलन गुलाम हसन,गुलाम नबी अथवा गुलाम मोहम्मद। ये ठीक वैसा ही है जैसे रामदास, हरिदास , केशवदास या रामसेवक आदि।
गुलाम शब्द का जो अर्थ आज ज़मानेभर में प्रचलित है वो है खादिम, दास, पराधीन वगैरह। गुलाम से जुड़े कुछ अन्य शब्द हैं गुलामगर्दिश जिसका मतलब होता है भवन के चारों और का बरामदा या रास्ता। गौरतलब है कि पुराने ज़माने में महलों और कोठियों के गलियारों में नौकर-चाकरों की आमदरफ्त बनी रहती थी इसीलिए ये रास्ते कहलाए गुलामगर्दिश। दासपुत्र कहलाता था गुलामजादा। इससे ही बना है गुलामी शब्द जो हिन्दी मे भी खूब प्रचलित है।
पश्चिमी एशिया के सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों के दौर में इस शब्द ने अपना मूल अर्थ खो दिया और इसका मतलब रह गया गुलाम यानी दास। अरब देशों में बच्चों के यौन शोषण जैसी बातें कोई छुपी हुई नहीं है। ऊंट दौड़ में बच्चों के इस्तेमाल को भी बाल शोषण के रूप में ही दुनिया देख रही है।
भाषा के नजरिये से गुलाम शब्द का वज़न कितना कम होता चला गया यह इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि नौकर शब्द भी गुलाम से ज्यादा रसूख रखता है। नौकर तो सेवा की एवज में तनख्वाह पाता है मगर गुलाम तो सिर्फ हुक्म बजाता है।
वैसे मध्यकाल में एक वक्त एसा भी आया था जब भारत और पश्चिमी एशिया में गुलाम लफ्ज काफी वजनदार हो गया था क्योकिं परिस्थितिवश तब दिल्ली और तुर्की के तख्त पर गुलामों का वंश ही काबिज हो गया था हालांकि यह बहुत थोड़े वक्त की बात रही और लंबे समय के लिए हिन्दुस्तान ही गुलाम हो गया।

4 कमेंट्स:

अभय तिवारी said...

बहुत बढ़िया.. नई जानकारी मिली..

अनुनाद सिंह said...

गुलाम शब्द का अर्थ तो मूल से बहुत विचलित हो गया है।

परमजीत सिहँ बाली said...

गुलाम शब्द के बारे में अच्छि जानकारी दी है।धन्यवाद।

रजनी भार्गव said...

बहुत रोचक जानकारी.

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