भारतवर्ष जिसके चर्चे प्राचीनकाल से ही पूरी दुनिया में रहे हैं ,दो महान सभ्यताओं जातियों के मेल से बना है आर्य और द्रविड़। मूल रूप से द्रविड़ दक्षिण भारतीय माने जाते हैं मगर कभी ये सुदूर उत्तर में फल-फूल रहे थे। संस्कृत शब्द द्रविड़ मे दक्षिण भारत में निवास करने वाले सभी प्रमुख चार जाति समुदायों यानी मलयालम, तमिल, कर्नाटक और तेलुगू को शामिल माना जाता है। वैदिक काल में दक्षिण भारत को द्रविड़ों के नाम से नहीं बल्कि दक्षिणापथ के नाम ससे जाना जाता था। खास बात यह भी कि दक्षिण के क्षेत्रों में गुजरात, महाराष्ट्र समेत समूचा् दक्षिण भारत शामिल था। द्रविड़ शब्द तो संस्कृत में बहुत बाद में शामिल हुआ। दरअसल द्रविड़ शब्द तमिळ (तमिल) का रूपांतर है। भाषा के स्तर पर जो अर्थ संस्कृत का है यानी जो सुसंस्कृत हो या जिसमे संस्कार हो वही अर्थ तमिल का भी है। चेन्तमिल, तेलुगू , कन्नड़ आदि शब्दो के मूल में भी शुद्धता -माधुर्य आदि भाव छुपे हैं। द्रविड़ शब्द संस्कृत का है जरूर पर उसका मौलिक नहीं तमिळ का विकृत रूप है। इसका विकासक्रम कुछ इस तरह रहा है-
तमिळ > दमिळ > द्रमिळ > दमिड़ > द्रविड़ । दरअसल आर्य भाषा परिवार में ळ जैसा कोई वर्ण नहीं था और न ही ध्वनि थी इसलिए ळ वर्ण सहज रूप से ड़ में बदल गया। संस्कृत पर द्रविड़ परिवार के असर के बाद ही भारतीय भाषाओं में ळ वर्ण का प्रवेश हुआ और अब मराठी , गुजराती और राजस्थानी में भी इसका प्रयोग होता है। हालांकि इसमे कोई शक नहीं कि दक्षिण की सभी भाषाओं में तमिल भाषा सर्वाधिक शुद्ध है जबकि तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम पर आर्य भाषाओं का काफी प्रभाव पड़ा है। आर्य जिसे दक्षिणापथ कहते थे उसमें सौराष्ट्र और महाराष्ट्र समेंत दक्षिण के राज्य शामिल थे। महाराष्ट्रीय समाज आज भी खुद को द्रविड़ संस्कृति के निकट मानता है और पंचद्रविड़ भी कहलाता है।
Wednesday, October 3, 2007
दक्षिणापथ और पंचद्रविड़
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 8:35 PM
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4 कमेंट्स:
बहुत ज्ञानवर्धन हुआ आज इस पोस्ट से.दरअसल द्रविड़ शब्द तमिळ (तमिल) का रूपांतर है। नई जानकारी प्राप्त हुई. ऐसे ही ज्ञानगंगा प्रवाहित करते रहें अनवरत.
यह था संस्कृत पर तमिळ का प्रभाव. इसका उलट भी है क्या?
आपके ब्लॉग पर आना मतलब ज्ञान की झोली मे कुछ और वृद्धि कर ही लौटना!!
सही पूछा ग्यान दत्त जी---वास्तव में उलटा ही है----सन्स्क्रित तमिल से प्राचीन भाषा है---सन्स्क्रित ( व हिन्दी भी) में ल्र ल्र्र(lr...lrr) अक्षर होते हैं/थे अब प्रयोग नहीं होते--उन्ही से तमिल ळ बना है, जो बाद में हिन्दी में ड़ होगया---
---संस्क्रित द्रवति=बहना, धावति=पलायन करना....जो लोग आर्यत्व-आचरण से पलायन करके सुदूर दक्षिण पलायन करते गये द्रविड होते गये...
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