Wednesday, October 10, 2007

जादू वो जो सर चढ़ कर बोले

हावत है कि जादू वो जो सर पर चढ़ कर बोले। सफर की पिछली किसी कड़ी में
मग ( या मगध ) गण के मग पुरोहितों का उल्लेख हो चुका है । ये पुरोहित शताब्दियों पहले भारत के पूर्वी क्षेत्रों से फारस जाते रहे। फारस में तब मुस्लिम नहीं बल्कि अग्निपूजक जरथ्रुस्तवादी रहते थे। मग पुरोहित अग्नि आराधना के पारंगत थे । ईरान गए इन पुरोहितों का उल्लेख ग्रीक लेखकों ने पश्चिम में तंत्र-मंत्र के ज्ञाता के तौर पर किया और इन्हें मागिकोस कहा जिससे बाद में जादू से संबंधित मैजिक शब्द भी बन गया। संस्कृत के माया अथवा मायावी शब्द की उत्पत्ति भी मग से ही मानी जाती है।

बुहरहाल ज़रा देखा जाए कि हिन्दी में प्रचलित जादू शब्द का आधार क्या है। जादू यूं तो फारसी का है और उर्दू-हिन्दी में एक समान प्रचलित है। मूलरूप से यहा संस्कृत के यातु शब्द से बना है जिसका मतलब होता है यात्री, बटोही, हवा या भूतप्रेत, पिशाच अथवा राक्षस। इसके लिए यातुधान शब्द भी कहा जाता है। पूर्वी भारत में कहीं कहीं जातुधान शब्द भी चलन में है। दरअसल तंत्र-मंत्र करने वालों के लिए ही ये शब्द चलन में आए और चमत्कार के अर्थ में समाज में लोकप्रिय हो गए। अवेस्ता में यह शब्द यातु के रूप में ही है मगर फारसी में इसने जादू का रूप ले लिया और जादू करदन जैसा मुहावरा भी बन गया जो हिन्दी में जादू करना के रूप में विद्यमान है। जादू करने वाला व्यक्ति जादूगर है । फ़ारसी में करने वाले का आशय 'गर'  से प्रकट होता है । ‘करने’ के संदर्भ में ‘गरी’ और ‘कारी’ प्रत्यय प्रचलित हैं । भारोपीय भाषाओं में ‘क’ का रूपान्तर ‘ग’ वर्ण में होता है । वैदिक क्रिया ‘कृ’ इसके मूल में है जिसमें करने का भाव है । इंडो-ईरानी परिवार की भाषाओं में इनका प्रयोग देखने को मिलता है जैसे - कर ( बुनकर ) , कार ( कर्मकार, कलाकार, कुम्भकार ) , कारी ( कलाकारी , गुलकारी , फूलकारी ) , गार ( गुनहगार, रोज़गार ), गर ( रफ़ूगर, कारीगर, बाजीगर ) , गरी ( कारीगरी, रफ़ूगर, बाजीगरी )
संस्कृत में जहां यातु का अर्थ व्यापक है वहीं फारसी में यातु , जादू बनकर चमत्कार के अर्थ में सीमित हो गया। फारसी में जादू का मतलब है जादू-टोना, धोखा, छल, मनभावन या मनमोहक । इंद्रजाल फैलाना, वशीभूत करना, बस में करना वगैरह के लिए फारसी में जादू करदन जैसा शब्द मिलता है। जादू के अन्य प्रयोगों में जादू सुख़न जैसा शब्द भी बना जो ऐसे कवि या लेखक के लिए कहा जाता है जिसके पास अद्भुत कला-कौशल हो।

3 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

काश एक बार बस एक बार कोई, अनजाने में सही, भूलवश हमें जादू सुख़न पुकार ले-जीवन तर जाये. :)

-बहुत आभार इस ज्ञानवर्धन के लिये वरना तो कोई जादू सुख़न कह भी जाता गल्ती से तो भी हम जान न पाते कि जीवन पर कितना बड़ा अहसान कर गया.

अनूप शुक्ल said...

जादू सु्ख़न लेखन है यह!

Devi Nangrani said...

Vowwwwwwwwwwwwwww!!!
Devi Nangrani

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