परिवार शब्द के मायने है कुटुम्ब, जाति-समूह, आश्रितजन वगैरह। हिन्दी का यह शब्द मूलतः संस्कृत की दो धातुओं - परि+वृ से मिलकर बना है। दरअसल परि संस्कृत-हिन्दी का बहुत लोकप्रिय उपसर्ग है जिसके मायने होते हैं आसपास, चारों ओर , इर्द-गिर्द आदि। इसी तरह वृ धातु का अर्थ हुआ घेरना, लपेटना या जिसे चुना जाए। वाशि आप्टे के कोष में कहा गया है - परिव्रियते अनेन यानी जिसमें व्यक्ति को घेरा जाए वह परिवार है। जाहिर है परिवार नाम का समूह संबंधों का समुच्चय है जिसके मूल में स्त्री-पुरूष हैं। स्त्री-पुरूष संबंध से ही परिवार का निर्माण हुआ और अन्य संबंधों या रिश्तों का जन्म हुआ। यह आश्चर्यजनक है कि विभिन्न संस्कृतियों-समाजों में पारिवारिक शब्दावली में गजब की समानता है।माता-पिता और भाई-बहन के रिश्ते को प्रकट करने वाले शब्द इंडो-यूरोपीय भाषाओं जैसे हिन्दी, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी, जर्मन, फ्रैंच आदि में मिलते-जुलते है। कई समूदायों में रिश्ते तो हैं मगर उनके लिए अलग से शब्दों का अभाव है जैसे हिन्दी में चाचा या मामा जैसे शब्द मिलते हैं मगर अंग्रेजी में यहां दोनों रिश्ते अंकल ही कहे जाते हैं फर्क यही कि एक जगह मैटरनल शब्द जोड़ लिया जाता है। आज जो शब्द हम सुबह से शाम तक सुनते रहते हैं जैसे मां , मम्मी-डैडी, अम्मा, माता-पिता, मादर, मदर-फादर आदि सभी शब्द चाहे अलग-अलग भाषाओं के हों,मगर इनका उद्गम एक ही है और उच्चारण की समानता भी काबिले-गौर है।
Monday, October 22, 2007
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5 कमेंट्स:
आभार ज्ञानवर्धन के लिये.
शुक्रिया है जी!
रोचक जानकारी. धन्यवाद.
हमेशा की तरह बेहतरीन। आपका कार्य अमूल्य है। आपने कबाड़खाने का निमंत्रण स्वीकार किया, उस के लिए अतिरिक्त आभार।
मैं इधर नया हूँ। आज मैं ने मुझे शब्द दो, मैं तुम्हें कविता दूँगा पॊस्ट किया ही था कि आप का यह चिट्ठा मिला । बहुत आभारी हूँ, इसलिए कि मुझ जैसे हिन्दीतर भाषी लोगों को यह "शब्दों का सफ़र" अत्यन्त लाभदायक है।
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