हिन्दी का माता शब्द इंड़ो-यूरोपीय भाषा परिवार के सबसे पुराने शब्दों में एक है। इस शब्द की छाप आज भी इस कुनबे की ज्यादातर भाषाओं पर देखी जा सकती है। इसी वजह से संस्कृत का मातृ , जेंद अवेस्ता में मातर, फारसी-उर्दू में मादर, ग्रीक में meter , लैटिन mater यूनानी में जर्मन में muotar स्लाव में mati, डच में moeder और अंग्रेजी में मदर जैसे संबोधनसूचक शब्द देखने को मिलते हैं। विद्वान इस शब्द की उत्पत्ति अलग अलग ढंग से बताते हैं। संस्कृत में इसके जन्म के पीछे निर्माणसूचक ‘मा’ धातु मानी जाती है यानि जो निर्माण करे वह माँ। कुछ इसे मान् धातु से निकला शब्द मानते हैं अर्थात् जिसका मान-सम्मान व पूजा की जाए वह माता। मगर कई भाषाविज्ञानी उत्पत्तियों के इन आधारों को कपोलकल्पना मानते हैं और इसे ‘म’ वर्ण से निकला हुआ नर्सरी शब्द मानते हैं जो ध्वनि-अनुकरण प्रभाव के चलते एक ही आधार से उठकर भारतीय –यूरोपीय भाषा परिवार में फैलता चला गया। गौर करें कि शिशु जिन मूल ध्वनियों को अनायास निकालता है उनमें सर्वाधिक ‘म’ वर्ण वाली ही होती हैं यथा अम् , मम् , हुम्म् आदि।
हिन्दी सहित कई भारतीय भाषाओं में मां के लिए अम्मा सहित इससे मिलते जुलते शब्द चलते है जैसे मराठी में आई, माई, माय, कन्नड़ में अम्ब जैसे शब्द दरअसल संस्कृत के अम्बा से निकले हैं जिसका अर्थ माँ है। भाषा विज्ञानियों के मुताबिक मुस्लिम समाज में बोला जाने वाला अम्मी शब्द भी इससे ही निकला है और अंग्रेजी के मॉम या मम्मी के पीछे भी यही आधार है। अम्बा शब्द का मूलआधार संस्कृत धातु अम्ब् है। अम्बिका, अम्बालिका आदि शब्द भी इससे ही बने हैं जिनका अर्थ भी माता या देवी है। पार्वती को भी अम्बिका कहते हैं। गणेश का एक नाम आम्बिकेयः भी अम्बिकापुत्र होने के अर्थ में ही पड़ा। अम्ब् से ही बने अम्बः शब्द के मायने होते है पिता, आँख, जल आदि। गौर करें त्र्यंबक या त्र्यंबकेश्वर पर । यहां इस शब्द का त्रिनेत्र वाला भाव साफ समझ में आ रहा है अर्थात शिव। इस तरह देखें तो शिव,पार्वती और गणेश में अम्ब् की महिमा समायी हुई है।
एक और मज़ेदार बात बताएं। अम्बः का एक अर्थ स्वीकृतिबोधक ध्वनि भी होता है। जैसे ‘हूँ’ ‘हाँ’ आदि। कहने की ज़रूरत नहीं कि हूँ-हाँ में यही अम्बः झांक रहा है। राजस्थान-हरियाणा में पसरे मेवात क्षेत्र में चले जाइये वहां के ग्रामीणों के मुँह से आपको स्वीकृतिसूचक ‘हम्बै’ की हुंकार अक्सर सुनने को मिलेगी। मैं इसे सुन चुका हूँ।
Tuesday, October 23, 2007
अम्मा में समाई दुनिया...
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:13 AM
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7 कमेंट्स:
बहुत अच्छा लगा ’अम्मा’ जैसे अथाह शब्द के विषय में इस तरह जानकारी प्राप्त करना.
माँ शब्द मे ही सारी दुनिया समाई हुई है...बहुत अच्छा लगा पढ़कर... !
माँ , अम्मा के बारे में जानना अच्छा लगा.
हमेशा की तरह बेहतरीन लेख। आप अपने लेखों का शीर्षक भी बेहतरीन चुनते हैं। - आनदं
बहुत ही बढ़िया भैय्या!!
जय मता दी....
अम्मा शब्द के बारे में काफी अच्छी जानकारी प्राप्त हुई।
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