Thursday, November 8, 2007

मेरा शोक, अशोक....

शीर्षक पढ़कर आप चौंक सकते हैं। फिलहाल हम यहां शब्द विलास नहीं कर रहे हैं जैसा कि शब्दों के सफर में अक्सर करते हैं। बीते तीन दिनों की हमारी गैरहाजिरी की वजह ही यही थी कि हम त्योहार के मौसम में शोकग्रस्त थे।वजह ? वजह ये थी कि लगातार तीन महिनों शब्दों का सफर समेत ब्लागस्पॉट की कोई साइट न देख पाने की परेशानी के चलते हमने अपना कम्प्यूटर फॉरमेट कराने के लिए दे दिया।
हमने अपने कम्प्यूटर सुधारक महोदयजी को साफ-साफ बता दिया था कि हमारे काम की चीज़ें किस ड्राइव में किस नाम से हैं। अतिआत्मविश्वास के साथ उन्होनें हमें बेफिक्र रहने को कहा मगर होनी होकर रही। सफर की लगभग दो सौ कड़ियों में जाने लायक सामग्री जिस पर लगातार मैं काम कर रहा था , नष्ट हो गई
( या उनके अतिआत्मविश्वास की भेंट चढ़ गई ) । इसके अलावा करीब आठसौ विभिन्न शब्दों से संबंधित शोध सामग्री का डेटाबेस जो मैने बड़ी मेहनत से रातें काली कर , कई पुस्तकों, और नेट से आंखें आंखें फोड़कर जुटाया था , अन्तर्ध्यान हो गया। इसे क्या कहेंगे आप ?
हमारी पीड़ा आप समझ गए होंगे। बमुश्किल तमाम सुधारक महोदय भी दुख की उस भावभूमि पर पहुंचे और कोई रिकवरी टूल लगाकर डेटाबेस बरामद करने का भरोसा उन्होनें दिलाया। हुआ भी मगर पूरा नहीं। और जो मिला वो इतनी भ्रष्ट अवस्था में आ चुका है कि उसे व्यवस्थित करने में महिनों नहीं तो हफ्तों तो ज़रूर लगेंगे। चिट्ठाजगत की सक्रियता सूची में तेजी से गिरे सफर के सूचकांक ने भी धड़का सा लगा दिया। इस उत्सवी माहौल में ये किसका अभिशाप है ?
इसके बावजूद हमारे मन में उत्साह का उजाला है। हम इस सफर को जारी रखेंगे। तीन दिनों की अनुपस्थिति की जो वजह हमने बताई , उसके मद्देनज़र आप नज़रअंदाज़ करेंगे। इसी लिए कहा कि मेरा शोक, अशोक ...

8 कमेंट्स:

काकेश said...

कंप्यूटर अक्सर ऎसा कर देता है जी.हमारे साथ क़ई बार ऎसा हो चुका है. हमें आपके साथ पूरी सहानुभूति. जल्दी से आप फिर से उसी उत्साह से लौटें. डीपावली की ढेरों शुभकामनाओं के साथ.

काकेश

Asha Joglekar said...

हमारी समवेदना आपके साथ हैं । आप के उत्साह के नवीनीकरण के लिये प्रार्थना करेंगे । जल्दी ही शब्दो का सफर फिर शुरू होगा इस आशा के साथ
आपको दीपावली की शुभ कामनाएँ ।

Udan Tashtari said...

आपकी पीड़ा देख मेरे आँखों में आंसू आ गये. कंठ अवरुद्ध हो चला. पता नहीं कितना वक्त लगे सामान्य होने में.

यही तो परेशानी है अति संवेदनशील व्यक्ति की.

वैसे ८०० पोस्ट का मसाला उड़ गया है, इस बात से मैं तनिक भी उत्साहित नहीं हूँ. काहे से कि जो व्यक्ति ८०० पोस्ट का मसाला हार्ड ड्राईव में धरे है. कम से कम ८००० पोस्ट का मसाला दिमाग में धरे होगा गी. हम दो आने वाली पोस्ट रल्क कर निश्चिंत रहते हैं कि ४ का मसाला पक रहा है.

ईश्वर शक्ति दे. आपको लिखते रहने की और हमें पढ़ते रहने की.

संभालो अपने आपको ऐसे शोक के समय-वरना चिट्ठा परिवार को ढ़ाढ़स कौन बंधवायेगा.

अभय तिवारी said...

हे भगवन.. ये तो बहुत बड़ा नुक्सान हो गया..
आप की जगह मैं होता तो सुधारक महोदय शहर छोड़कर पलायन कर चुके होते मेरे रौद्र रूप को देखकर..
पर फिर मैं समझाता स्वयं को.. कि शायद ईश्वर एक नए सिरे से काम को करने की इच्छा प्रगट कर रहा है.. कोई एक पहलू ऐसा था जो मैंने अनदेखा कर दिया था अपने अतिउत्साह में.. इस बार उसे भी समेट लूँगा..

अजित भाई.. मुझे उम्मीद है आप इस क्षति के बावजूद अपने बेजोड़ काम को जारी रखेंगे.. एक नए उत्साह के साथ..

Tarun said...

आपका दुख समझ सकता हूँ, हम भी करीब ३ महीने के बाद उदय हए तो अपना सूचकांक ढूँढे नही मिला, कुछ एक आध टिप्पणीकार आते थे वो अभी तक हमें पहचान नही पायें हैं कि हम ही हैं।
अगली बार से बैकअप और ओरिजिनल दोनों में साथ साथ काम जारी रखियेगा।

Ashok Pande said...

बड़ा सदमा है आपके लिए अजित भाई। और हमारे लिए बड़ा नुकसान। आपकी मेहनत का मोल हम समझते हैं। तकलीफ यह है कि 'बीती ताहि बिसारि दे ..." कहकर खुद को फुसलाया भी नहीं जा सकता।

Sanjeet Tripathi said...

प्रभु यह तो सच में एक बड़ा नुकसान है!!

अभय जी सही कह रहे हैं यदि ठीक ऐसा ही मेरे साथ हुआ होता तो या तो सुधारक महोदय का बैंड बजा रहा होता या फ़िर बैठ कर चिंतन कर रहा होता कि शायद प्रभु को यही मंजूर था!!!

आप पर विश्वास है कि आप दुगुने उत्साह से अपने इस कार्य मे जुट जाएंगे!!

और हां ब्लॉगस्पॉट अब सही दिख रहा है?
शुभकामनाएं

अजित वडनेरकर said...

आप सभी शुभचिंतकों का तहे दिल से आभारी हूं। आप सबकी हौसलाअफजाई से ही सफर लगातार जारी है। इंशाअल्लाह, रहेगा भी।
संजीत भाई, कष्ट सबसे बड़ा यही है कि ब्लागस्पाट की साइट्स अब भी नहीं खुल रही हैं।मेरे पास बीएसएनएल का कनेक्शन है और मैं इसी नतीजे पर पहुंचा हूं कि ये वहीं से ब्लाक की जा रही हैं। इस बाबत एक जानकार ने भी मुझे ठोस संकेत दिया है।

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