दुर्लभ भाषा
यदि हम इस इलाक़े का दौरा करने में दस साल की देरी कर देते तो संभव था कि हमें इस भाषा का प्रयोग करने वाला एक व्यक्ति भी नहीं मिलता
इसे भी देखें-एक मातृभाषा की मौत
यदि हम इस इलाक़े का दौरा करने में दस साल की देरी कर देते तो संभव था कि हमें इस भाषा का प्रयोग करने वाला एक व्यक्ति भी नहीं मिलता
16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
14 कमेंट्स:
ये बहुत अच्छा आलेख मिला पढने को .... वैसे लुप्त होती भाषाओं को को बचाए रखना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है...देखते हैं शोध से क्या निष्कर्ष निकलता है .
बहुत अच्छी जानकारी देती पोस्ट |ऐसी रचना पढ़ने का आनंद ही कुछ ओर होता है ,बधाई
आशा
बहुत अच्छी जानकारी
अपने देश में ना जाने कितनी भाषाए है जो रोज मर रही है . उसमे हिंदी भी एक है उसे भी सहेज़ने की आवशयकता है .नहीं तो संस्कृत की तरह वह भी किताबो में रह जायेगी
उपलब्धि ! ...पर आश्चर्य कि यह भी विदेशियों के हाथ आई ,क्या हमारे देश में भाषाशास्त्रियों के हाथ इतनें तंग हैं कि वे ...?
उत्तरपूर्व के विश्वविद्यालयों में भी तो भाषा विज्ञान विभाग अथवा अध्ययन संस्थान होंगे ?
खैर एक तरह से प्रसन्न और दूसरी तरह से क्षुब्ध मान कर हमारी टिप्पणी दर्ज की जाये !
जानकारी का आभार...
नवीन जानकारी के लिए आभार आपका भाई जी !
अली साहब की टिप्पणी से सहमत ...
और आपकी पोस्ट से तो हमेशा ज्ञान वर्धन होता है आपका आभार
अच्छी जानकारी आपका आभार
दुर्लभ भाषा के दुर्लभ शोध की दुर्लभ कहानी अच्छी लगी
कोरो भाषा के बारे में पढ़कर जानकारी मिली, अच्छी लगी. लेकिन शोधकर्ताओं ने अरुणाचल के उस जिले का उल्लेख नहीं किया जहाँ यह भाषा बोली जाती है. अनुमान है की अरुणाचल में 38 जनजाति के लोग निवास करते हैं और लगभग शायद उतनी ही भाषा बोली जाती है. लेकिन विद्वान लेखक ने नयी भाषा के बारे में सूक्ष्म शोध किया और इस नतीजे पर पहुंचे हैं . साधुवाद.
दुर्लभ भाषा पर दुर्लभ जानकारी। धन्यवाद।
पता नहीं कितनी भाषायें लुप्त हो रही हैं।
भाषा तो वे शब्द हैं कहते उर का भाव
अभिव्यक्ति हो ह्रदय की मात्र यही है उपाव
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