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Monday, January 30, 2012
सजने-सँवरने की बातें (गहना-1)
Wednesday, January 25, 2012
आम आदमी, बाज़ारू आदमी-1
... “अम्मु” का अर्थ है राष्ट्र या अवाम । दिलचस्प बात यह कि सेमिटिक भाषा परिवार की कई भाषाओं में “अम्मु” शब्द का वर्ण विपर्यय होकर माँ के आशय वाले शब्द बने हैं ...उक्त तमाम सन्दर्भों से गुज़रते हुए अरबी के “आम्” शब्द में सार्वत्रिक, सर्वसाधारण, सामान्य की अर्थवत्ता स्थापित हुई।
दूसरे से बदलती हैं। “प” वर्णक्रम की ध्वनियाँ यहाँ आपस में बदल रही हैं। “अम्बु” के दो ही अर्थ हैं। एक तो शब्द करना (अम्, मम्, हुम् ) दूसरा है जाना। इस जाना में “अम्बु” अर्थात जल का प्रवाही भाव भी छुपा है। अम्ब् से ही बने हैं “अम्बा”, “अम्बिका”, “अम्बालिका” जैसे शब्द जिसमें माता, दुर्गा, भवानी, देवी जैसे अर्थ समाये हैं। समझा जा सकता है कि जल और अम्बु में क्या रिश्ता है, पानी का, प्राण का, जन्मदायी जननि का। अरबी में भी जल के लिए “मा”, “माउ”, “माइ” जैसे शब्द हैं। ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
Saturday, January 21, 2012
रैली, रेवड़ और रेड़ मारना
रेड़ मारना- हिन्दी का एक आम मुहावरा है रेड़ मारना । रेड़ मारना का सामान्य अर्थ है किसी व्यवस्था या वस्तु को बिगाड़ देना, उसका बिगड़ जाना। किसी चीज़ को सही ढंग से प्रयोग नहीं करना। किसी व्यवस्था में अनावश्यक छेड़छाड़ करते हुए उसके मूल स्वरूप को बिगाड़ देना जैसी बातें रेड़ मारना, रेड़ करना या रेड़ पीटना जैसे मुहावरों में व्यक्त होती है। रेल के रेड़ रूप के सन्दर्भ में इसमें निहित धकियाने का भाव रेड़ मारना मुहावरे में गौरतलब है। भाव यही है कि किसी चीज़ के मूल स्वभाव के विपरीत उसके साथ की जाने वाली जोर-जबर्दस्ती या छेड़छाड़ ही रेड़ मारना है। भीड़ के मूल चरित्र यानी अस्तव्यस्तता, अव्यवस्था की नुमाइंदगी करने वाला रेड़ शब्द उसी रेल शब्द से निकला है जिससे भीड़ के अर्थ में रेला शब्द जन्मा है।
भाव यहाँ साफ़ नज़र आ रहा है। संघ, महासंघ, सभा, संघठन, दल, पार्टी, टीम, समूह आदि के अर्थ में लीग league शब्द हिन्दी में खूब जाना-पहचाना है और लगभग हिन्दी-उर्दू का ही जान पडता है । हिन्दी में लीग शब्द मुस्लिम लीग के सन्दर्भ में या खेल की टीमों के सन्दर्भ में इस्तेमाल होता है। लीग में भी मूलतः एक दूसरे के साथ आना, बराबरी से ले जाना, साथ बैठना जैसे भाव हैं। इसके अलावा रिलीज़न जैसा शब्द भी इसी मूल से आ रहा है। धार्मिक, सामाजिक या नैतिक आधार पर बाध्य करने के लिए अंग्रेजी में ओब्लाइज़ शब्द है। हिन्दी इसका प्रयोग अहसान जताने के अर्थ में खूब होता है। यह भी इसी मूल का है । ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 7 कमेंट्स पर 11:49 PM लेबल: animals birds, government, nature, राजनीति, व्यवहार
Friday, January 20, 2012
ग़नी और माले-ग़नीमत
उमर ने फौज के प्रति आम जन में आकर्षण पैदा करने के लिए युद्ध में शत्रुपक्ष से प्राप्त मुआवज़े के अतिरिक्त राज्य में लूटपाट से प्राप्त सामग्री, जिसे माले-ग़नीमत कहा जाता था, के बँटवारे के लिए एक अलग महकमा खोल दिया। हालाँकि जैसा कि ऊपर कहा गया है, अरब समाज में इससे पहले भी माले-गनीमत के लिए नैतिक व्यवस्थाएँ कायम थीं। उमर की बनाई व्यवस्थाएँ इसलिए लोकप्रिय हुईं क्योंकि इसमें फ़ौज में भरती प्रत्येक व्यक्ति के लिए पदानुक्रम में लूट के बँटवारे की व्यवस्था थी। इसका नतीजा यह हुआ कि समाज में मज़हब के नाम पर जुनून पैदा हुआ। अरबों ने उत्तर पूर्व की ओर बढ़ते हुए जिन इलाकों में आक्रमण किए वहाँ ग़ैरइस्लामी सत्ता थी। ऐसे क्षेत्रों को दारुल हर्ब कहा जाता था। इन तमाम इलाक़ों को जीत कर इन्हें दारुल इस्लाम बनाने का जुनून अभूतपूर्व था।
सेना में भरने के लिए उमर की माले ग़नीमत व्यवस्था आश्चर्यजनक रूप से कामयाब रही। वेतन के अतिरिक्त लूट में वाजिब हिस्सेदारी मिलने से युद्ध लड़ने के लिए आमजन में भी जोश पैदा हो गया। इतिहासकारों का कहना है कि उमर ने युद्ध को एक लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया था। इस्लामी विस्तारवाद के दौर में बहुत कुछ बदलाव हुआ और लूट के माल में गुलामों के साथ साथ औरतों को भी माले-ग़नीमत समझा जाने लगा। कहने की ज़रूरत नहीं कि ग़नीमत में शुरू से ही माल की अर्थवत्ता स्थापित थी। ज़ाहिर है कि जिसके हाथ माल लगा वह पहले तो घनीम अर्थात विजेता कहलाया। पराजितों की निगाह में वह लुटेरा, डाकू, दस्यु था। आगे घनीम का एक और रूपान्तर हुआ जिसमें शक्तिशाली, समृद्ध, मालदार, ताक़तवर, दौलतमंद जैसे वज़नदार अर्थों की स्थापना के साथ अरबी, फ़ारसी, उर्दू और हिन्दी में ग़नी जैसा रौबदाब वाला शब्द भी अस्त्तित्व में आ गया।
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 7 कमेंट्स पर 1:00 AM लेबल: animals birds, government, इस्लाम islam, पद उपाधि, भाषा, सम्बोधन, संस्कृति
Tuesday, January 17, 2012
महारत और महारथ
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Monday, January 9, 2012
येड़ा… बेंडा…एड्डु…इड्डु
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Friday, January 6, 2012
सब बराबर हैं…
... बराबरी में दिल को दिल से जोड़ने के बहाने समानता का सन्देश महत्वपूर्ण है...
‘बर-आ-बर’ का प्रचलित रूप बराबर हुआ। भाव समानता का है। इस तरह ‘बराबर’ शब्द की अर्थवत्ता व्यापक होती चली गई और इसमें वे सब भाव आ गए जिनका उल्लेख ऊपर किय गया है। फ़ारसी में मुहावरा है “बराबर करदन” जिसमें एक जैसा, सपाट करने का आशय है। इसका हिन्दी रूप हुआ “बराबर करना”। जिन चीज़ों को यथावत रहना था, उन्हें एक दूसरे के साथ गड्डमड्ड करने से मूल स्वरूप पर बुरा असर पड़ता है। इसे व्यक्त करने के लिए भी “सब बराबर कर दिया” का प्रयोग होता है। ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
Tuesday, January 3, 2012
बजरिया में बाजारू बातें
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Sunday, January 1, 2012
दुकाँ से दुकान तक
सम्बन्धित शब्द- नीलाम, विपणन, पण्य, क्रय-विक्रय, गल्ला, हाट,
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 4 कमेंट्स पर 11:32 PM लेबल: business money, government, उपकरण, तकनीक, निर्माण, माप तौल, व्यवहार